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जिज्ञासु : पूज्य गुरुदेव ! दिव्य जीवन क़ा सूत्र क्या है ?
महाराजश्री : दिन की शुरआत मधुरता से हो और समापन भी मधुरता से हो ! अपने माधुर्य में कमी न आने दें , झगड़ा भी हो जाए तो जाते - जाते मिठास छोड़ें ! फूल बांटने वाले के हाथ में फूल रहें न रहें , खुशबू तो रहेगी ! फूल जिस डाली पर खिला ,जहां पैदा हुआ , जिसके गले में डाला गया , सब जगह शोभा बढाई ,ऐसे ही आप भी जहां जाओ , वहां माधुर्य छोडो ताकि दुनिया से जाने के बाद भी आपके कर्मों की खुशबू रह जाए !
परम पूज्य सुधांशुजी महाराज