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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Friday, June 26, 2009

वेद ,पुरान


Subject: ved,puran


in case you want to listen Ved,Puran Please visit the following site
http://idharudharkee.blogspot.com

Thursday, June 25, 2009

जुआ सुख ,सम्पति और समय

  • जुआ सुख ,सम्पति और समय
  • इन तीनों का -जो कि जीवन के
  • लिए अति मूल्यवान हें
  • उसका नाश करता हे !

जुआ

  • जुआ लोभ का पुत्र ,
  • दुराचार का भाई और
  • बुराइयों का पिता हे !
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

धन -ज्ञान

  • ज्ञान धन से उत्तम हे
  • क्योंकि धन की तुम को रक्षा
  • करनी पड़ती हे और
  • ज्ञान तुम्हारी रक्षा कर्ता हे
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

Wednesday, June 24, 2009

दुःख -सुख

  • दुःख आता हे सुख देने को ,मन मूरख क्यों घबराता हे !
  • जब जोर से गरमी पड़ती हे ,तो बादल जल बरसाता हे !!
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
  • सँकलन -राज गर्ग

Tuesday, June 23, 2009

खुशबू



  • खुशबू को फलने मैं समय लगता है , बदबू को फलने मैं समय नहीं लगता ,इसलिय बदबू नहीं फेलाओ खुशबू ही फेलाओ !

  • एक शिष्य

  • श्रीमती राज गर्ग

पैसे से आप

पैसा


  • पैसे से आप बिसतर खरीद सकते हैं नींद नहीं

    पैसे से आप भोजन खरीद सकते हैं भूख नहीं

    पैसे से आप आदमी खरीद सकते हैं वफादारी नहीं

    पैसे से आप दवा खरीद सकते हैं सवासथ नहीं

    पैसे से आप किताब खरीद सकते हैं ज्ञान नहीं

    पैसे से आप पाउडर खरीद सकते हैं सुन्दरता नहीं

    पैसे से आप औरत खरीद सकते हैं पत्नी नहीं

    पैसे से आप शस्त्र खरीद सकते हैं होसला नहीं

    पैसे से आप मूर्ती खरीद सकते हैं भगवान नहीं

    पैसे से आप सुख साधन खरीद सकते हैं शांति नहीं

Sunday, June 21, 2009

पैसा

  • पैसे से आप बिसतर खरीद सकते हैं नींद नहीं

    पैसे से आप भोजन खरीद सकते हैं भूख नहीं

    पैसे से आप आदमी खरीद सकते हैं वफादारी नहीं

    पैसे से आप दवा खरीद सकते हैं सवासथ नहीं

    पैसे से आप किताब खरीद सकते हैं ज्ञान नहीं

    पैसे से आप पाउडर खरीद सकते हैं सुन्दरता नहीं

    पैसे से आप औरत खरीद सकते हैं पत्नी नहीं

    पैसे से आप शस्त्र खरीद सकते हैं होसला नहीं

    पैसे से आप मूर्ती खरीद सकते हैं भगवान नहीं

    पैसे से आप सुख साधन खरीद सकते हैं शांति नहीं

Saturday, June 20, 2009

संसार



  • संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे !पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रांती तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी !तलवार से क्रांती नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रांती ही चिरस्थाई हो सकती है !

  • धर्मदूत दिसम्बर २००८

Monday, June 15, 2009

लालच



  • लालच की कोई सीमा रेखा नहीं होतीं ,जीवन में शान्ति ,नियंत्रण ,समाधान ,क्ष्रद्धा होनी चाहिये !
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
  • संग्रह कर्ता राज गर्ग

जब हम कर्म के फल की कामना

  • जब हम कर्म के फल की कामना करते हैं और कामना पुरी नहीं होती तो दुःख होता है ! इस लिए फरज समझ कर कर्म करो !
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

लड़ाई

  • भगवान को अपनी लड़ाई मैं मत शामिल करो ! अपनी लड़ाई ख़ुद लडो ! अगर धर्म की लड़ाई है तो आप जरुर जीतेंगे !
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

जीभ

  • " हमारी जीभ का एक सिरा नीचे जुड़ा हें, ह्रदय की ओर। दूसरा सिरा मस्तिष्क के साथ जुडा हें
  • ह्रदय की संवेदनाएँ और दिमाग़ से विचार कर, दोनों का सहयोग लेकर फिर बोलना चाहिए अन्यथा यहवाणीविनाश बहुत करती हें
  • इस वाणी में परमात्मा का नाम बसाया जाए।"
  • परम पूज्य सुधांशु जी महाराज
  • "One end of our tongue is connected towards the heart and the other with the brain. When we speak, it should be a collaboration between the feelings of the heart and the great intellect or sensible thoughts. Otherwise this speech can cause massive destruction. Thus one should always speak as if they are one with God"
  • His Holiness Shri Sudhanshuji Maharaj
  • Humble Devotee
  • Praveen Verma

Saturday, June 13, 2009

जीवन रुपी रस्सी को नाव से खोलोगे



  • जीवन रुपी रस्सी को नाव से खोलोगे नहीं तो माला रुपी चप्पू से नाव आगे कैसे बढेगी ! विषय वासना रुपी रस्सी को खोलो तभी नाव आगे बढेगी !

  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

  • श्रीमती राज

कर्म

  • "मनुष्य की यही महिमा हें कि वह स्वतन्त्र हें कर्म करने में और न करने में भी वह स्वतन्त्र हें और यही उसका विषाद भी हें । मनुष्य गलत करने में भी स्वतन्त्र हें । स्वतन्त्रता में गलत और सही दोनों की स्वतन्त्रता हें ।"

    परम पूज्य सुधाँशु जी महाराज


    "Human being has freedom to perform any action or refrain from any action. This is the magnitude or grandeur of human birth as well as the gloom or misfortune of human birth. A perosn has a total freedom of doing both moral or immoral behaviour and right or wrong actions."

    His Holiness Sudhanshuji Maharaj


    Humble Devotee
    Praveen Verma

Thursday, June 11, 2009

दोष



  • हम अपने धन की ,घर की और अपनी सुरक्षा का प्रबन्ध तो करते हैं परन्तु जो हमारे अन्दर दोष हैं उनको दूर करने का उपाय कभी सोचते ही नहीं ! इन दोषों के कारण सदा भयभीत और आशान्त रहते हैं

जो भी रोजी रोटी कमाने का रास्ता






  • जो भी रोजी रोटी कमाने का रास्ता मिला उस को सेवा समझ कर काम पूरा करो !
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
  • ५-५-०९ के टी वी प्रवचन से


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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 6/11/2009 04:56:00 AM

सेवा



  • जो भी रोजी रोटी कमाने का रास्ता मिला उस को सेवा समझ कर काम पूरा करो !

  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

  • ५-५-०९ के टी वी प्रवचन से

Wednesday, June 10, 2009

सज्जनता

  • कम खाना ,गम खाना और नम जाना -नम जाना का मतलब है ,झुक जाना ,प्रणाम करना ,शिष्ट रहना,अभिमान से रहित रहना-कहते हैं कि ये तीन शब्द सज्जनता के परिचायक हैं !

Monday, June 8, 2009

बोलना

  • बोलने के तीन ढंग माने गये हैं ,
    1]सीधे ढंग से बोलना,
    2]चतुराई से बोलना ,
    3]व्यंग से बोलना

    क्ठोर वचन बोलने वाले को दुख जरूर मिलता है !
  • परम पुज्य सुधांशुजी महाराज

मुस्कराने से खुशियां आपके आस पास

  • • मुस्कराने से खुशियां आपके आस पास रहतीं हैं और अन्दर खुश होने से अन्दर भी खुशी आयेगी !

Saturday, June 6, 2009

Fw: सदगुरु के अनमोल बोल








  • " हमारी जीभ का एक सिरा नीचे जुड़ा हें, ह्रदय की ओर। दूसरा सिरा मस्तिष्क के साथ जुडा हें
    ह्रदय की संवेदनाएँ और दिमाग़ से विचार कर, दोनों का सहयोग लेकर फिर बोलना चाहिए अन्यथा यह वाणी विनाश बहुत करती हें ।
    इस वाणी में परमात्मा का नाम बसाया जाए।"

    परम पूज्य सुधांशु जी महाराज


    "One end of our tongue is connected towards the heart and the other with the brain. When we speak, it should be a collaboration between the feelings of the heart and the great intellect or sensible thoughts. Otherwise this speech can cause massive destruction. Thus one should always speak as if they are one with God"

    His Holiness Shri Sudhanshuji Maharaj


    Humble Devotee
    Praveen Verma










Thursday, June 4, 2009

अम्रित वाणी

  • मांगो उसी से जो दे दे खुशी से !
  • कहो उसी से जो कहे न किसी से !
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
  • संग्रह कर्ता राज गर्ग

Wednesday, June 3, 2009

जग



  • न हर भूलो न जग भूलो , रहो इस तरह से जिंदगानी में !

  • जिस तरह से कमल रहता है , तालाब के बंद पानी में !!

  • परम पूज्य सुधान्शुजी महाराज

  • संग्रह कर्ता श्रीमती राज गर्ग

Monday, June 1, 2009

सोते समय मन को



  • सोते समय मन को खाली करो तो नीद अच्छी आयेगी ,जो भी करो मन से करो !
  • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
  • संग्रह कर्ता श्रीमती राज गर्ग

बुरा


  • • बुरे के पास न बैठें नहीं तो आपको भी बुरी आदत लग जायेगी !

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