।।ॐ गुरवे नमः।।🙏🏻🌹🙏🏻
हरि ओम जी🙏🏻😊
आज के (29/06/22)दिशा सत्संग का सारांश:
🚩 *उपनिषद में कहां है- ओंकार धनुष्य बाण है और तीर है आत्मा, और लक्ष्य ब्रह्म- भगवान है जहां आपको चेतना जोड़नी है।*
ओंकार की गूंज में-लीन होते हुए आप का तीर लक्ष्य तक जा रहा है और आप उससे जुड़ रहे हो। जब लीन होते हो ,तो आपका *शरीर धरती पर है -लेकिन तुम परमात्मा की गोद में हो और उसके आशीष पा रहे हो ऐसा ध्यान हो।*
🚩 जब ॐकार का अभ्यास करते हुए ध्यान में अंदर *घंटानाद- शंखनाद प्रकट हो, अनहद बजे, तब व्याकुलता खत्म होगी*, क्योंकि सिर पर परमात्मा का हाथ होगा।
🚩 *अनहद प्रकट होने से परम शांति मिलनी शुरू होती है।* अंदर *संतुलन, धैर्य, निश्चिंतता, निर्भयता, खुशी, शांति और तृप्ति* आती है।
🚩 *अनहद सुनने से इतनी तृप्ति आती है कि आपके पास कुछ भी ना हो तो भी आप आनंदी जीवन जीते हो।*
🚩 *एक राजा* जिसके पास बहुत धन होने के बाद भी दुखी था, वह एक *मस्त बाबा की छाया में बैठकर खुशी पा गया।*
🚩 *खुशी अंदर, दिल में ,जीने के तरीके, सोच में, विचारधारा में होती है। जिस पर परमात्मा की कृपा है वह हमेशा खुश होगा*।
🚩 *जब तक झूठा अहंकार होगा आप खुशी से दूर होगे।* जब भी शरणागत हो जाओ तो खुशी मिलेगी।
🚩 *शरणागति भी पूरी होनी चाहिए।* एक बिल्ली की तरह और दूसरी बंदरिया की तरह।
🚩बिल्ली का बच्चा सब कुछ बिल्ली के ऊपर छोड़ता है, पकड़ता नहीं, ढीला है-के बिल्ली उसे पकड़े और जहां चाहे लेकर जाए।
*आप भी भगवान को सब कुछ मानकर ,सब कुछ उसके ऊपर छोड़ दे- वह "जैसे रखें उसमें खुश" यह बिल्ली की शरणागति है।*
🚩 बंदरिया का बच्चा बंदरिया को पकड़ता है। पकड़ छूटी तो गिरेगा, चोट खाएगा। चिपककर बैठे तो बंदरिया के साथ होगा।
वैसे ही *अगर आप अकल लगाते हो तो आपका नाम- नियम ऐसे बनाओ और भगवान को ताकत से पकड़े रहो, भक्ति छोड़ना नहीं- वह जहां ले जाए -वहां जाए। यह बंदरिया की शरणागति है।*
हरि ओम जी🙏🏻😊
आप का हर पल मंगलमय हो, सब सुखी निरोग रहे।
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