अपनी अहंकारात्मक चेतना से ब्रह्म के स्तर तक उठने का मार्ग यही है की हम अपनी बौधिक, मनोवेगान्त्मक और संकल्पात्मक शक्तियों को परमात्मा में केन्द्रित कर दें। यही उत्तम मार्ग है।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
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