क्रोध
जब हम किसी चीज़ को लगातार देखते तो उस में संग पैदा होता हे ,संग होने के बाद उस को पाने की कामना होने लगती हे ,जब कामना पुरी नहीं होती या कोई होने नहीं देता तो क्रोध आता हे , क्रोध आने के बाद मूढ़ता आ जाती हे और बुधि भ्रमित होजाती हें जिस से मनुष्य कोई निर्णय लेने के लायक नहीं रहता और वह गलत करने लगता हे !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश