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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Monday, November 30, 2009

future progarrammes of Guruji

FUTURE PROGRAMMES OF MAHARAJ SHRI

25th – 29th November, 2009 Gurgaon, Haryana

2nd December, 2009 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, New

Delhi.

6th December, 2009 Monthly Satsang at Anand Dham Ashram, New

Delhi.

9th – 13th December, 2009 Surat, Gujarat

19th-20th December, 2009 East Delhi

23rd – 27th December, 2009 Nagpur, Maharashtra

31st December, 2009 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, New

Delhi.

8th – 10th January, 2010 Kolkata, West Bengal

13th – 17th January, 2010 Thane, Maharashtra

19th January, 2010 Kanpur, Uttar Pradesh

26th January, 2010 Republic Day, Anand Dham Ashram, New Delhi.

3rd – 7th February, 2010 Indore, Madhya Pradesh

12th – 14th February, 2010 Meditation Camp, Anand Dham Ashram, Delhi

19th – 23rd February, 2010 Punjabi Bagh, New Delhi

28th February, 2010 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, Delhi

7th March, 2010 Monthly Satsang at Anand Dham Ashram, Delhi

26th – 28th March, 2010 Hisar, Haryana

30th March, 2010 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, Delhi

Wednesday, November 25, 2009

हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है






"हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है । विचार वह है जो भाव बन करके आपके अन्दर से उठते है, लेकिन उन भावों में जो भाव सकारात्मक है, वे आपको शक्ति देते है और जो नकारात्मक विचार है वे आपकी शक्ति को खींचते है और खराब करते है। इसलिये अपने मन मै सदैव सकारात्मक विचार लायें।"

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

"The power of thought has great value in our lives. Thoughts are simply what we feel inside. Positive thoughts give you a new energy and a fresh perspective. On the contrary, negative thoughts set us back and waste our energy. Therfore always have positive thoughts."

His Holiness Sudhanshuji Maharaj


Humble Devotee

Praveen Verma






Monday, November 23, 2009

जैसे भेड़ों का झुंड चलता है




अमृत वचन


"बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है। ससार की तरफ घूमती हुई वृति, वो आपको परमात्मा की तरफ या कहना चाहिए अपने आपको जानने की तरफ नही जाने देती । और उसका परिणाम यह होता है कि हम एक भीड़ में ,जैसे भेड़ों का झुंड चलता है, उस तरह से, भीड़ की तरह से जीने लग जाते है। तो आप अपने अन्दर कोई विशेषता नहीं ला पाते।

आप अपने अन्दर एक पवित्र इन्सान बन सके, आप अपनी शान्ति के साथ जी सके, अपने प्रेम के साथ जी सके, अपने अन्दर एक सतोगुण को आप जन्म दे सके तो वो बहुत बडी चीज है।"



परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

"Our instincts are outward focused. Our mindset is so much towards the world that it does not allow us to focus on God or even properly know ourselves.
The result of this outward focus is that we live like sheep and follow others instead of being able to bring peace within us.
It is indeed a great accomplishment if you can lead a sin free life in peace with love, purity and goodness."


(Translated by Humble Devotee
Praveen Verma)








बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है




अमृत वचन


"बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है। ससार की तरफ घूमती हुई वृति, वो आपको परमात्मा की तरफ या कहना चाहिए अपने आपको जानने की तरफ नही जाने देती । और उसका परिणाम यह होता है कि हम एक भीड़ में ,जैसे भेड़ों का झुंड चलता है, उस तरह से, भीड़ की तरह से जीने लग जाते है। तो आप अपने अन्दर कोई विशेषता नहीं ला पाते।

आप अपने अन्दर एक पवित्र इन्सान बन सके, आप अपनी शान्ति के साथ जी सके, अपने प्रेम के साथ जी सके, अपने अन्दर एक सतोगुण को आप जन्म दे सके तो वो बहुत बडी चीज है।"



परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

"Our instincts are outward focused. Our mindset is so much towards the world that it does not allow us to focus on God or even properly know ourselves.
The result of this outward focus is that we live like sheep and follow others instead of being able to bring peace within us.
It is indeed a great accomplishment if you can lead a sin free life in peace with love, purity and goodness."


(Translated by Humble Devotee
Praveen Verma)








Saturday, November 21, 2009

अमृत वचन

अमृत वचन


"बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है। ससार की तरफ घूमती हुई वृति, वो आपको परमात्मा की तरफ या कहना चाहिए अपने आपको जानने की तरफ नही जाने देती । और उसका परिणाम यह होता है कि हम एक भीड़ में ,जैसे भेड़ों का झुंड चलता है, उस तरह से, भीड़ की तरह से जीने लग जाते है। तो आप अपने अन्दर कोई विशेषता नहीं ला पाते।

आप अपने अन्दर एक पवित्र इन्सान बन सके, आप अपनी शान्ति के साथ जी सके, अपने प्रेम के साथ जी सके, अपने अन्दर एक सतोगुण को आप जन्म दे सके तो वो बहुत बडी चीज है।"



परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

"Our instincts are outward focused. Our mindset is so much towards the world that it does not allow us to focus on God or even properly know ourselves.
The result of this outward focus is that we live like sheep and follow others instead of being able to bring peace within us.
It is indeed a great accomplishment if you can lead a sin free life in peace with love, purity and goodness."


(Translated by Humble Devotee
Praveen Verma)








उलझन

उलझन



  • जिस समय तुम संसार में उलझ जाओ या परेशान हो जाओ ,अपने हृदय मन्दिर की संवेदना जगाते हुए हृद्य में बैठे भगवान का ध्यान करते हुए उसी से प्रार्थना करो कि हे भगवान ,मुझे रास्ता दिखाओ !आवेश में उलझ न जाऊँ !आवेश में अपने आपको गिराना नही हे ! होश में सोच समझकर शांत रहते हुए जीवन की समस्याओंको सुलझाना हे !आवेश में आयेंगे तो क्रोध का राक्षस शक्तिशाली हो जायेगा और बुधि विवेक नष्ट कर देगा !

    पूज्य सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

Saturday, November 14, 2009

चिंता से चिंतन की


  • चिंता से चिंतन की ओर यात्रा करो, मन शांत होगा.
  • अपने जीवन मैं व्यस्तता अपनाओ अस्तव्यस्तता नही
  • ख़ुद के साथ मीटिंग करो, introspection करो और आगे बढ़ो, शक्ति भरो अपने अन्दर
  • जिसने अपनी ऊँगली भगवान को थमा दी उसे किसी से डरने की ज़रूरत नही है
  • आप अपने काम से संतुष्ट हो थो शाबाशी दो अपने आपको और आगे बढ़ो
  • कांटे गिनने से ज़िन्दगी मैं बाहर नही अति, negative approach हटाओ सब जगह से पोसिटिवे सोचो
  • जहाँ भी जाओ अच्छी चीज़ चुनो, सीखो और आगे बढ़ो, खिलो और खिल कर जियो, स्वाभाव मैं इन सब चीजों को लाओ
  • मन को भगवान की समाधी मैं डुबो दो ।
  • गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
Rashmi Bansal

Swaman






यदि हम अपने आप को स्वमान ( आत्म स्वरुप, परमात्मा का प्यारा बच्चा ) में स्थित कर ले तो हम परेशान नहीं होंगे हम परेशान तभी होते है जब स्वमान में नहीं होते इसलिए अगर परेशानी से बचना है तो स्वमान में रहना है

बिद्यानन्द दीक्षित

हमारे जीवन में विचारों की शक्ति



"हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है । विचार वह है जो भाव बन करके आपके अन्दर से उठते है, लेकिन उन भावों में जो भाव सकारात्मक है, वे आपको शक्ति देते है और जो नकारात्मक विचार है वे आपकी शक्ति को खींचते है और खराब करते है। इसलिये अपने मन मै सदैव सकारात्मक विचार लायें।"

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

"The power of thought has great value in our lives. Thoughts are simply what we feel inside. Positive thoughts give you a new energy and a fresh perspective. On the contrary, negative thoughts set us back and waste our energy. Therfore always have positive thoughts."

His Holiness Sudhanshuji Maharaj


Humble Devotee

Praveen Verma





विश्वास

विश्वास


  • संतों को परखो नहीं ,स्वय को परखो ,उनके उपदेशों पर विश्वास करो ,श्रधा -भक्ति से उनकी कृपा प्राप्त करो ,वे तुम्हें परमतत्व के रहस्य समझाएंगे !

    जिंदगी में जो स्थान श्वास का हे वही स्थान समाज में विश्वास का हे ! समस्त रिशतों के बीच विश्वास उसी तरह कार्य करता हे ,जिस तरह से जिंदगी में श्वास काम करता हे ! जिंदगी की आस और प्राणों की प्यास में विश्वास ही हे !
    गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Thursday, November 12, 2009

जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता

  • जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता ! रत्नों के ढेर उस क्षण को वापस नहीं ला सकते जो बीत गया ! इसलिये हर क्षण को अच्छे कार्य में बिता ! मछली कांटा लगे चोर को नहीं निगलती ,शेर बिछाये गये जाल में न फंसता यदि वह जानता होता ! अच्छी तरह याद रखो शरीर के नश्ट होने के बाद् भी तुम्हे जीवित रहना हे !
    गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

Tuesday, November 10, 2009

चिंता से चिंतन की और

चिंतन




  • चिंता से चिंतन की और यात्रा करो, मन शांत होगा.

    गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश
    रश्मी बंसल

Monday, November 9, 2009

द्वंद

द्वंद


  • "पूरा संसार द्वन्द्वमय है। हार-जीत, मान-अपमान, सुख-दुख, गर्मी-सर्दी, उन्नति-अवन्न्ति, ये सब द्वंद है। इसी से ससार बना हुआ है। दोनो तरह के रूपों के बीच जीवन बहता
    रहता है। इन दोनों के बीच जब सन्तुलन बनने लगता है तो अन्दर शांति आती है।"
  • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

Saturday, November 7, 2009

क्षमा

  • दूसरों के दोषों को क्षमा करने के लिए हमेशा तत्पर रहो ,पर अपने दोषों को गलतियों को कभी क्षमा नहीं करना चाहिये ,तभी आपका आत्मिक विकास होता हे !
  • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

Friday, November 6, 2009

गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी

अमृतवाणी


  • गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी पकड़ में आ जायेगा !
  • गुरु को सब से जयादा महत्त्व दो सब से पहले माँ ज्ञान देती है मगर गुरु संसार में जीने की कला देता है !
  • हर काम व्यवस्थित करो नियम se करो !
  • सदगुरु को समझना बड़ा मुशकिल है मगर जब उसके ज्ञान को समझेंगे तभी आप सच्ची तरह से गुरु को समझ पायंगे !
  • भगवान जिंदगी देता है मगर जीने की तरीका नहीं देता वह तो गुरु सिखाता है !
  • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश


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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 10/27/2009 09:34:00 AM

Wednesday, November 4, 2009

भगवान गीता में कहते हें

Subject: [GURUVANNI] बुद्धि और मन


  • भगवान गीता में कहते हें की जो मुझ में रमा हे और जो अपने मन और बुद्धि को कहीं और न लगा कर मुझ में लगाता हे में उसके लिए आसानी से सुलभ होजाता हूँ !
  • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

Tuesday, November 3, 2009

बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो

उपयोगी बातें


  • बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो जहाँ तकरार होने लग जाए !
  • कहीं से भी सुधार कर लो चाहे शाम हो वहीं से सुभह समझो !
  • ज्ञान अर्जन करने के लिए गुरु की शरण में जाओ !
  • प्रणाम करके झुक कर श्रधा से जिज्ञासा करो ताकि वे कुछ बता सकें !
  • साधक ban जाओ जो आपने सीखा उसको नियम वाले बन kar साधना करो !
  • अगर आपने संतोष की साधना की उस पर दिनभर हर काम men संतोशी रहो !
  • जो भी भगवान ने दिया हे vah तो भगवान का प्रसाद हे ,प्रसाद को थोडा जयादा नहीं देखा जाता वह तो भगवान् की क्रपा हे !
  • भगवान् से कहो जो तुझे पसंद हे वही मुझे भी पसंद हो जाए !
  • मन को अभ्यास से और ध्ययान से मन को काबू में कर सकए हो !
  • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश


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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 10/30/2009 12:12:00 PM

Sunday, November 1, 2009

हमारे कर्म हे उलझन हें




  • हमारे कर्म हे उलझन हें !हम ठीक से सोच नहीं पाते तो उलझाते हें ! ठीक से चल नहीं पाते तो उलझाते हें !व्यवहार में दोष आता हे तो उलझाते हें !अगर दुनिया में उलझ जाना , तो एक काम करना -अच्छे ग्रन्थ पढ़ना , सत्संग करना ,एकांत में बैठ कर आत्मचिंतन करना ,इससे आपको बड़ी शान्ति मिलेगी !
  • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

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