परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव ! दु:ख-दर्द ,कष्ट-क्लेश एवं विपत्तियॉ का मूल कारण क्या है ? इनसे हमारी मुक्ति कैसे हो सकती है ?
महाराजश्री:-दु:ख,दर्द । क्लेश , विपत्ति, व्यथा सब अज्ञान के कारण हैं ! अन्धकार से प्रकाश की ओर चलो ,मृत्यु से अमृत की ओर चलो !ईश्वर प्रेमरूप है , प्रेम की उपासना करो !दूसरों को मत देखिए कि कोई हमें पार करवा देगा !आत्मा का आत्मा से ही उद्धार कीजिए !अपना कल्याण आप ही करिये ! अपने हृदय को विशाल , उदार-उच्च और महान बना दीजिए !सब काम वैसे ही कीजिए जैसे संसार में रहने वाला व्यक्ति करता हे ! अपने चिन्तन के दृष्टिकोंण को थोडा सा विकसित कर दीजिए,कि संसार की वस्तुये आपकी वस्तु नहीं हैं ! बस आप इन क्लेशों से मुक्त हो जायेंगे !