जितना विनम्र होके जीयेंगे, उतनी भगवन कि भक्ति बढती जाएगी. और जहाँ परमात्मा कि कृपा बरसती है, वहां सदा मन में उत्सव होता रहता है, शोक नहीं रहता है!
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Thursday, April 15, 2010
भगवान् की भक्ति
----- Original Message -----
Sent: Thursday, April 15, 2010 5:14 AM
Subject: [GURUVANNI Good Thoughts by Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] Fw: [ADHYATMIK Good th...
From: Madan Gopal Garga
To: mggarga@gmail.comSent: Thursday, April 15, 2010 5:14 AM
Subject: [GURUVANNI Good Thoughts by Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] Fw: [ADHYATMIK Good th...
जितना विनम्र होके जीयेंगे, उतनी भगवन कि भक्ति बढती जाएगी. और जहाँ परमात्मा कि कृपा बरसती है, वहां सदा मन में उत्सव होता रहता है, शोक नहीं रहता है!
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI Good Thoughts by Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 4/15/2010 05:14:00 AM
प्रभु की भक्ति
----- Original Message -----
Sent: Wednesday, April 14, 2010 8:56 PM
Subject: [ADHYATMIK Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] प्रभु की भक्ति
From: Nidhi Vohra
To: mggarga@gmail.comSent: Wednesday, April 14, 2010 8:56 PM
Subject: [ADHYATMIK Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] प्रभु की भक्ति
जितना विनम्र होके जीएगे, उतनी भगवन की भक्ति बढती जाएगी. और जहाँ परमात्मा कि कृपा बरसती है, वहां सदा मन में उत्सव होता रहता है, शोक नहीं रहता है!
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
--
Nidhi Vohra द्वारा ADHYATMIK Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj के लिए 4/14/2010 08:50:00 PM को पोस्ट किया गया
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- जब कभी संकट की बेला (1)
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- जब मन में सन्तुष्टी हो (1)
- जब संसार की वासनाओं का (1)
- जब हम कर्म के फल की कामना (1)
- जहां भी त्याग की भावना (1)
- जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी (1)
- जागो (1)
- जिज्ञासा प्रारंभ में परमात्मा ने हमको दी णी (1)
- जिज्ञासु :-गुरुदेव जब भी भक्ति मैं बैठता हूँ तो मन. (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : अगर भाग्य के (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : साधारण जीवन में परमात्म (1)
- जिंदगी (1)
- जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली (1)
- जिंदगी को (1)
- ज़िन्दगी के पन्ने पर कुछ ऐसा लिख जा (1)
- जिन्दगी के प्रत्येक कर्म (1)
- जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ (1)
- जिन्दगी वक्त के रूप (1)
- जिस समय तुम संसार में उलझ (1)
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- जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है (1)
- जीना मरना (1)
- जीने की समझ (1)
- जीभ (1)
- जीवन (1)
- जीवन की दिशा बदल (1)
- जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं (1)
- जीवन की वाटिका (1)
- जीवन की सम्पूर्णता है आनन्द (1)
- जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं (1)
- जीवन जीने की अनुपम विधा है (1)
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- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध को (1)
- जीवन में श्रेष्ठ को जान (1)
- जीवन में सब तरह के रंग (1)
- जीवन रुपी रस्सी को नाव से खोलोगे (1)
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- दिया जला नहीं सकते तो (1)
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- दुनिया की पुरानी रीत (1)
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