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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Thursday, December 24, 2009

मनुष्य के जीवन में सबसे पहले यह






Subject: [AMRIT VANI] अमृत वचन









अमृत वचन


"मनुष्य के जीवन में सबसे पहले यह आवश्यक है कि हर समय प्रभु के अस्तित्व का एहसास हमारे मन में बना रहे। मन में ये प्रश्न हमेशा उठते रहें। इन बहती हुई

नदियों को बहाने वाला कौन है ? रंग-बिरंगी तितलियों के पंखों को कौन रंगता है? कौन है जो इस चन्द्रमा में मुस्कुराता है? किसका प्रकाश सूर्य के द्वारा संसार में फैलता है?


असंख्य जीवों को जन्म कौन देता है? कौन सबको भोजन देता है? फूलों में रंग कौन भरता है? पर्वत किसने बनाए? आकाश को सितारों से कौन सजाता है?


ऐसे अनेक प्रश्नों को मन में पैदा होने दीजिए । इससे आपके मन में ईश्वर के प्रति भावना जागेगी। आपका उनके प्रति विश्वास बढेगा।




परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज



Humble Devotee
Praveen Verma












--
Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI at

Sunday, December 20, 2009

परम उद्देश्य

  • जीवन का परम उद्देश्य हे,इश्वर को पाना .परम में पहुँचना किन्तु कितने हें जो इस ओर ध्यान देते हें ? कोई शारीरिक सुख में मस्त हे तो कोई भ्रम जालों में फंसता जा रहा हे !मृत्यु तो सिर के ऊपर नाच रही का . अगले पल का भरोसा नहीं !अब तक भूले हो पर अब न भूलो ! आंखें खोलो सचेत हो जाओ , जीवन क्या हे ? हम क्या हें ? हमारा उद्देश्य क्या हे ? इन प्रश्नों को महत्त्व दो जितना रोटी ,कपड़ा .मकान को देते हो !

  • गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Saturday, December 19, 2009

महानता

  • मिट्टी की दिली इच्छा थी कि वह कुम्हार से अपने मन की बात कहे ! ऐक दिन अवसर मिलते ही उसने कुम्हार से कहा - मुझे ऐसा पात्र बना दीजिए , जिसमें पूजा का पवित्र जल रखा जाए ! कुम्हार ने उसकी बात सुनकर ;कहा - यह तभी संभव होगा जब फावडे से खुदने ,पैरों से रौदें जाने और आग में तपने का साहस जुटा सको ! इससे कम में महानता की इच्छाएं पूरी नहीं होती हें !
    गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Thursday, December 17, 2009

मननहीं बदला जाए

----- Original Message ----- To: mggarga@gmail.com
Sent: Thursday, December 17, 2009 4:56 AM
Subject: [ADHYATMIK] मन


जब तक मन नहीं बदला जाए कुछ भी बाहर की चीज़ बदलने से कोई फैदा नहीं !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

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Madan Gopal Garga द्वारा ADHYATMIK के लिए 12/17/2009 04:53:00 AM को पोस्ट किया गया

Sunday, December 13, 2009

कुछ उदबोधन और जागृति के अक्षर





सदगुरु की अमृत वाणी






  • कुछ उदबोधन और जागृति के अक्षर अपने सामने रखकर जीवन जीओ जिससे आप सामान्य से ऊपर उठ सकें ।


परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज


Praveen Verma









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    --
    Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI at 12/11/2009 09:25:00 PM
  • Wednesday, December 9, 2009

    जब संसार की वासनाओं का

    • जब संसार की वासनाओं का विषधर काटे , तब परमात्मा के नाम की जडी बूटी को चबाना चाहिए किसी विषय वासना का असर काम करेगा ही नहीं , जहर चढ़ेगा ही नहीं !
    • गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

    Tuesday, December 8, 2009

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    mggarga

    Thursday, December 3, 2009

    जिस समय तुम संसार में उलझ

    उलझन



    • जिस समय तुम संसार में उलझ जाओ या परेशान हो जाओ ,अपने हृदय मन्दिर की संवेदना जगाते हुए हृद्य में बैठे भगवान का ध्यान करते हुए उसी से प्रार्थना करो कि हे भगवान ,मुझे रास्ता दिखाओ !आवेश में उलझ न जाऊँ !आवेश में अपने आपको गिराना नही हे ! होश में सोच समझकर शांत रहते हुए जीवन की समस्याओंको सुलझाना हे !आवेश में आयेंगे तो क्रोध का राक्षस शक्तिशाली हो जायेगा और बुधि विवेक नष्ट कर देगा !

      पूज्य सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Monday, November 30, 2009

    future progarrammes of Guruji

    FUTURE PROGRAMMES OF MAHARAJ SHRI

    25th – 29th November, 2009 Gurgaon, Haryana

    2nd December, 2009 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, New

    Delhi.

    6th December, 2009 Monthly Satsang at Anand Dham Ashram, New

    Delhi.

    9th – 13th December, 2009 Surat, Gujarat

    19th-20th December, 2009 East Delhi

    23rd – 27th December, 2009 Nagpur, Maharashtra

    31st December, 2009 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, New

    Delhi.

    8th – 10th January, 2010 Kolkata, West Bengal

    13th – 17th January, 2010 Thane, Maharashtra

    19th January, 2010 Kanpur, Uttar Pradesh

    26th January, 2010 Republic Day, Anand Dham Ashram, New Delhi.

    3rd – 7th February, 2010 Indore, Madhya Pradesh

    12th – 14th February, 2010 Meditation Camp, Anand Dham Ashram, Delhi

    19th – 23rd February, 2010 Punjabi Bagh, New Delhi

    28th February, 2010 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, Delhi

    7th March, 2010 Monthly Satsang at Anand Dham Ashram, Delhi

    26th – 28th March, 2010 Hisar, Haryana

    30th March, 2010 Purnima Darshan at Anand Dham Ashram, Delhi

    Wednesday, November 25, 2009

    हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है






    "हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है । विचार वह है जो भाव बन करके आपके अन्दर से उठते है, लेकिन उन भावों में जो भाव सकारात्मक है, वे आपको शक्ति देते है और जो नकारात्मक विचार है वे आपकी शक्ति को खींचते है और खराब करते है। इसलिये अपने मन मै सदैव सकारात्मक विचार लायें।"

    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    "The power of thought has great value in our lives. Thoughts are simply what we feel inside. Positive thoughts give you a new energy and a fresh perspective. On the contrary, negative thoughts set us back and waste our energy. Therfore always have positive thoughts."

    His Holiness Sudhanshuji Maharaj


    Humble Devotee

    Praveen Verma






    Monday, November 23, 2009

    जैसे भेड़ों का झुंड चलता है




    अमृत वचन


    "बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है। ससार की तरफ घूमती हुई वृति, वो आपको परमात्मा की तरफ या कहना चाहिए अपने आपको जानने की तरफ नही जाने देती । और उसका परिणाम यह होता है कि हम एक भीड़ में ,जैसे भेड़ों का झुंड चलता है, उस तरह से, भीड़ की तरह से जीने लग जाते है। तो आप अपने अन्दर कोई विशेषता नहीं ला पाते।

    आप अपने अन्दर एक पवित्र इन्सान बन सके, आप अपनी शान्ति के साथ जी सके, अपने प्रेम के साथ जी सके, अपने अन्दर एक सतोगुण को आप जन्म दे सके तो वो बहुत बडी चीज है।"



    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    "Our instincts are outward focused. Our mindset is so much towards the world that it does not allow us to focus on God or even properly know ourselves.
    The result of this outward focus is that we live like sheep and follow others instead of being able to bring peace within us.
    It is indeed a great accomplishment if you can lead a sin free life in peace with love, purity and goodness."


    (Translated by Humble Devotee
    Praveen Verma)








    बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है




    अमृत वचन


    "बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है। ससार की तरफ घूमती हुई वृति, वो आपको परमात्मा की तरफ या कहना चाहिए अपने आपको जानने की तरफ नही जाने देती । और उसका परिणाम यह होता है कि हम एक भीड़ में ,जैसे भेड़ों का झुंड चलता है, उस तरह से, भीड़ की तरह से जीने लग जाते है। तो आप अपने अन्दर कोई विशेषता नहीं ला पाते।

    आप अपने अन्दर एक पवित्र इन्सान बन सके, आप अपनी शान्ति के साथ जी सके, अपने प्रेम के साथ जी सके, अपने अन्दर एक सतोगुण को आप जन्म दे सके तो वो बहुत बडी चीज है।"



    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    "Our instincts are outward focused. Our mindset is so much towards the world that it does not allow us to focus on God or even properly know ourselves.
    The result of this outward focus is that we live like sheep and follow others instead of being able to bring peace within us.
    It is indeed a great accomplishment if you can lead a sin free life in peace with love, purity and goodness."


    (Translated by Humble Devotee
    Praveen Verma)








    Saturday, November 21, 2009

    अमृत वचन

    अमृत वचन


    "बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है। ससार की तरफ घूमती हुई वृति, वो आपको परमात्मा की तरफ या कहना चाहिए अपने आपको जानने की तरफ नही जाने देती । और उसका परिणाम यह होता है कि हम एक भीड़ में ,जैसे भेड़ों का झुंड चलता है, उस तरह से, भीड़ की तरह से जीने लग जाते है। तो आप अपने अन्दर कोई विशेषता नहीं ला पाते।

    आप अपने अन्दर एक पवित्र इन्सान बन सके, आप अपनी शान्ति के साथ जी सके, अपने प्रेम के साथ जी सके, अपने अन्दर एक सतोगुण को आप जन्म दे सके तो वो बहुत बडी चीज है।"



    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    "Our instincts are outward focused. Our mindset is so much towards the world that it does not allow us to focus on God or even properly know ourselves.
    The result of this outward focus is that we live like sheep and follow others instead of being able to bring peace within us.
    It is indeed a great accomplishment if you can lead a sin free life in peace with love, purity and goodness."


    (Translated by Humble Devotee
    Praveen Verma)








    उलझन

    उलझन



    • जिस समय तुम संसार में उलझ जाओ या परेशान हो जाओ ,अपने हृदय मन्दिर की संवेदना जगाते हुए हृद्य में बैठे भगवान का ध्यान करते हुए उसी से प्रार्थना करो कि हे भगवान ,मुझे रास्ता दिखाओ !आवेश में उलझ न जाऊँ !आवेश में अपने आपको गिराना नही हे ! होश में सोच समझकर शांत रहते हुए जीवन की समस्याओंको सुलझाना हे !आवेश में आयेंगे तो क्रोध का राक्षस शक्तिशाली हो जायेगा और बुधि विवेक नष्ट कर देगा !

      पूज्य सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Saturday, November 14, 2009

    चिंता से चिंतन की


    • चिंता से चिंतन की ओर यात्रा करो, मन शांत होगा.
    • अपने जीवन मैं व्यस्तता अपनाओ अस्तव्यस्तता नही
    • ख़ुद के साथ मीटिंग करो, introspection करो और आगे बढ़ो, शक्ति भरो अपने अन्दर
    • जिसने अपनी ऊँगली भगवान को थमा दी उसे किसी से डरने की ज़रूरत नही है
    • आप अपने काम से संतुष्ट हो थो शाबाशी दो अपने आपको और आगे बढ़ो
    • कांटे गिनने से ज़िन्दगी मैं बाहर नही अति, negative approach हटाओ सब जगह से पोसिटिवे सोचो
    • जहाँ भी जाओ अच्छी चीज़ चुनो, सीखो और आगे बढ़ो, खिलो और खिल कर जियो, स्वाभाव मैं इन सब चीजों को लाओ
    • मन को भगवान की समाधी मैं डुबो दो ।
    • गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
    Rashmi Bansal

    Swaman






    यदि हम अपने आप को स्वमान ( आत्म स्वरुप, परमात्मा का प्यारा बच्चा ) में स्थित कर ले तो हम परेशान नहीं होंगे हम परेशान तभी होते है जब स्वमान में नहीं होते इसलिए अगर परेशानी से बचना है तो स्वमान में रहना है

    बिद्यानन्द दीक्षित

    हमारे जीवन में विचारों की शक्ति



    "हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है । विचार वह है जो भाव बन करके आपके अन्दर से उठते है, लेकिन उन भावों में जो भाव सकारात्मक है, वे आपको शक्ति देते है और जो नकारात्मक विचार है वे आपकी शक्ति को खींचते है और खराब करते है। इसलिये अपने मन मै सदैव सकारात्मक विचार लायें।"

    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    "The power of thought has great value in our lives. Thoughts are simply what we feel inside. Positive thoughts give you a new energy and a fresh perspective. On the contrary, negative thoughts set us back and waste our energy. Therfore always have positive thoughts."

    His Holiness Sudhanshuji Maharaj


    Humble Devotee

    Praveen Verma





    विश्वास

    विश्वास


    • संतों को परखो नहीं ,स्वय को परखो ,उनके उपदेशों पर विश्वास करो ,श्रधा -भक्ति से उनकी कृपा प्राप्त करो ,वे तुम्हें परमतत्व के रहस्य समझाएंगे !

      जिंदगी में जो स्थान श्वास का हे वही स्थान समाज में विश्वास का हे ! समस्त रिशतों के बीच विश्वास उसी तरह कार्य करता हे ,जिस तरह से जिंदगी में श्वास काम करता हे ! जिंदगी की आस और प्राणों की प्यास में विश्वास ही हे !
      गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

    Thursday, November 12, 2009

    जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता

    • जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता ! रत्नों के ढेर उस क्षण को वापस नहीं ला सकते जो बीत गया ! इसलिये हर क्षण को अच्छे कार्य में बिता ! मछली कांटा लगे चोर को नहीं निगलती ,शेर बिछाये गये जाल में न फंसता यदि वह जानता होता ! अच्छी तरह याद रखो शरीर के नश्ट होने के बाद् भी तुम्हे जीवित रहना हे !
      गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Tuesday, November 10, 2009

    चिंता से चिंतन की और

    चिंतन




    • चिंता से चिंतन की और यात्रा करो, मन शांत होगा.

      गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश
      रश्मी बंसल

    Monday, November 9, 2009

    द्वंद

    द्वंद


    • "पूरा संसार द्वन्द्वमय है। हार-जीत, मान-अपमान, सुख-दुख, गर्मी-सर्दी, उन्नति-अवन्न्ति, ये सब द्वंद है। इसी से ससार बना हुआ है। दोनो तरह के रूपों के बीच जीवन बहता
      रहता है। इन दोनों के बीच जब सन्तुलन बनने लगता है तो अन्दर शांति आती है।"
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Saturday, November 7, 2009

    क्षमा

    • दूसरों के दोषों को क्षमा करने के लिए हमेशा तत्पर रहो ,पर अपने दोषों को गलतियों को कभी क्षमा नहीं करना चाहिये ,तभी आपका आत्मिक विकास होता हे !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Friday, November 6, 2009

    गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी

    अमृतवाणी


    • गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी पकड़ में आ जायेगा !
    • गुरु को सब से जयादा महत्त्व दो सब से पहले माँ ज्ञान देती है मगर गुरु संसार में जीने की कला देता है !
    • हर काम व्यवस्थित करो नियम se करो !
    • सदगुरु को समझना बड़ा मुशकिल है मगर जब उसके ज्ञान को समझेंगे तभी आप सच्ची तरह से गुरु को समझ पायंगे !
    • भगवान जिंदगी देता है मगर जीने की तरीका नहीं देता वह तो गुरु सिखाता है !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश


    --
    Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 10/27/2009 09:34:00 AM

    Wednesday, November 4, 2009

    भगवान गीता में कहते हें

    Subject: [GURUVANNI] बुद्धि और मन


    • भगवान गीता में कहते हें की जो मुझ में रमा हे और जो अपने मन और बुद्धि को कहीं और न लगा कर मुझ में लगाता हे में उसके लिए आसानी से सुलभ होजाता हूँ !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Tuesday, November 3, 2009

    बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो

    उपयोगी बातें


    • बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो जहाँ तकरार होने लग जाए !
    • कहीं से भी सुधार कर लो चाहे शाम हो वहीं से सुभह समझो !
    • ज्ञान अर्जन करने के लिए गुरु की शरण में जाओ !
    • प्रणाम करके झुक कर श्रधा से जिज्ञासा करो ताकि वे कुछ बता सकें !
    • साधक ban जाओ जो आपने सीखा उसको नियम वाले बन kar साधना करो !
    • अगर आपने संतोष की साधना की उस पर दिनभर हर काम men संतोशी रहो !
    • जो भी भगवान ने दिया हे vah तो भगवान का प्रसाद हे ,प्रसाद को थोडा जयादा नहीं देखा जाता वह तो भगवान् की क्रपा हे !
    • भगवान् से कहो जो तुझे पसंद हे वही मुझे भी पसंद हो जाए !
    • मन को अभ्यास से और ध्ययान से मन को काबू में कर सकए हो !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश


    --
    Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 10/30/2009 12:12:00 PM

    Sunday, November 1, 2009

    हमारे कर्म हे उलझन हें




    • हमारे कर्म हे उलझन हें !हम ठीक से सोच नहीं पाते तो उलझाते हें ! ठीक से चल नहीं पाते तो उलझाते हें !व्यवहार में दोष आता हे तो उलझाते हें !अगर दुनिया में उलझ जाना , तो एक काम करना -अच्छे ग्रन्थ पढ़ना , सत्संग करना ,एकांत में बैठ कर आत्मचिंतन करना ,इससे आपको बड़ी शान्ति मिलेगी !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Saturday, October 31, 2009

    उलझाना

    • हमारे कर्म ही उलझन हें !हम ठीक से सोच नहीं पाते तो उलझाते हें ! ठीक से चल नहीं पाते तो उलझाते हें !व्यवहार में दोष आता हे तो उलझाते हें !अगर दुनिया में उलझ जाना , तो एक काम करना -अच्छे ग्रन्थ पढ़ना , सत्संग करना ,एकांत में बैठ कर आत्मचिंतन करना ,इससे आपको बड़ी शान्ति मिलेगी !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Friday, October 30, 2009

    उपयोगी बातें

    • बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो जहाँ तकरार होने लग जाए !
    • कहीं से भी सुधार कर लो चाहे शाम हो वहीं से सुभह समझो !
    • ज्ञान अर्जन करने के लिए गुरु की शरण में जाओ !
    • प्रणाम करके झुक कर श्रधा से जिज्ञासा करो ताकि वे कुछ बता सकें !
    • साधक ban जाओ जो आपने सीखा उसको नियम वाले बन kar साधना करो !
    • अगर आपने संतोष की साधना की उस पर दिनभर हर काम men संतोशी रहो !
    • जो भी भगवान ने दिया हे vah तो भगवान का प्रसाद हे ,प्रसाद को थोडा जयादा नहीं देखा जाता वह तो भगवान् की क्रपा हे !
    • भगवान् से कहो जो तुझे पसंद हे वही मुझे भी पसंद हो जाए !
    • मन को अभ्यास से और ध्ययान से मन को काबू में कर सकए हो !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    बुद्धि और मन

    • भगवान गीता में कहते हें की जो मुझ में रमा हे और जो अपने मन और बुद्धि को कहीं और न लगा कर मुझ में लगाता हे में उसके लिए आसानी से सुलभ होजाता हूँ !
    • ऐसे मनुष्य को में बुद्धि योग देता हूँ जिस से वह बुद्धि का सदुपयोग कर सकता हे !
    • भक्ति मरण रस आना भी भगवान् की कृपा से मिलता हे !
    • भगवान् के दरबार में सब बड़े हें कोई छोटा नहीं हे !
    • दुःख में सुख में लाभ में हानि में प्यार से भगवान् को याद करो !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Tuesday, October 27, 2009

    गुरु को संभाल लो तो गोविन्द

    • गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी पकड़ में आ जायेगा !
    • गुरु को सब से जयादा महत्त्व दो सब से पहले माँ ज्ञान देती है मगर गुरु संसार में जीने की कला देता है !
    • हर काम व्यवस्थित करो नियम se करो !
    • सदगुरु को समझना बड़ा मुशकिल है मगर जब उसके ज्ञान को समझेंगे तभी आप सच्ची तरह से गुरु को समझ पायंगे !
    • भगवान जिंदगी देता है मगर जीने की तरीका नहीं देता वह तो गुरु सिखाता है !
    • गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश

    Thursday, October 15, 2009

    बोध कथाएँ

    Subject: [ANANDDHAM.ORG] बोध कथाएँ


    बोध कथाएँ
    परमपूज्यश्री सुधांशुजी महाराज


    प्रथम संस्करण : श्रद्धा पर्व २००९

    प्रतियाँ :११००

    मूल्य :६0 रुपये

    सम्पादन :डा:नरेंद्र मदान




    --
    Posted By Madan Gopal Garga to ANANDDHAM.ORG at 10/15/2009 02:28:00 PM

    Saturday, October 10, 2009

    महाराजश्री के

    महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम


    • ८ से ११ अक्टूबर ,२००९ -- श्री गणेश लक्ष्मी महायग ,आनंदधाम आश्रम
      २२ से २५ अक्टूबर ,२००९ ---ध्यान-साधना ,रामनगर ,नैनीताल (उत्तराखंड )
      १ नवम्बर २००९ ---मासिक सत्संग (आनंदधाम आश्रम ,दिल्ली )
      २ नवम्बर २००९ ---पूर्णिमा सत्संग ( आनंदधाम आश्रम दिल्ली)
      ४ से ८ नवम्बर २००९ ------फरीदाबाद ( हरियाणा)
      १४ से १५ नवम्बर २००९ -- महिपालपुर ,दिल्ली
      २५ से २९ नवम्बर २००९ ---गुड्गावं ( हरियाणा )
      २ दिसम्बर २००९ ---पूर्णिमा , आनन्दधाम आश्रम दिल्ली
      ६ दिसम्बर २००९ --------मासिक सत्संग ,आनन्दधाम आश्रम दिल्ली
      १० से १३ दिसम्बर २००९ ----- सूरत गुजरात
      २३ से २७ दिसम्बर २००९ ------नागपुर महाराष्ट्र्
      ३१ दिसमबर २००९ -------पूर्णिमा ,आमनन्दधाम आश्रम दिल्ली


    --
    Posted By Madan Gopal Garga to ANANDDHAM.ORG at 10/10/2009 08:19:00 PM

    Friday, October 9, 2009

    धन मिल भी जाए तो

    • धन मिल भी जाए तो भी दुःखी न मिले तो भी दुःखी !

    जीना मरना

    • न जीना आया न मरना वही दुःख !

    बहादुर

    • बहादुर रो़या नहीं करते , भगवान् से अपने तार जोडो !

    Tuesday, September 29, 2009

    Fw: अमृत वचन

     
     
    Subject: अमृत वचन

    "शरीर की शुद्धि जल से होती है,

    मन की शुद्धि सत्य से होती है,

    आत्मा की शुद्धि विद्या और तप से होती है,

    बुद्धि की शुद्धि ज्ञान से होती है।"

     

    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    Humble Devotee
    Praveen Verma
     


    Water purifies the Body,
    Truth purifies the Mind,
    Knowledge and devout austerity purifies the Soul,
    Intellect gets purified by the inner wisdom.
     
    His Holiness Sudhanshuji Maharaj
     
     
    Humble Devotee
    Praveen Verma

     


     




    Insert movie times and more without leaving Hotmail®. See how.

    Thursday, September 24, 2009

    गीता

    जिसने गीता की अमृतमयी -ज्ञान की बूंदों को चख लिया उसके लिए स्वंय का कष्ट तो कष्ट रहता ही नहीं ! वह दुनिया के कष्टों का निवार्ण करने के लिये निकल पङता हें !

    Tuesday, September 22, 2009

    प्रेम

    • अपने अहंकार को खत्म करके प्रेम भाव से घर - गृह्स्ती में रहना चाहिए ! गृहस्त में हर पति - पत्नी को अपने अन्दर के अहम भावों को ,अपनी जिद्द को आगे नहीं आने देना चाहिए !प्रेम की शक्ति से बडा कोइ बल नहीं हे और प्रेम की कोइ कीमत नहीं ! जिन के अन्दर प्रेम है ऊन्हें खरीदा नहीं जा सकता 1प्रेम में शिकायत नहीं ,प्रेम मिट जायेगा तो विकास रुक जायेगा !घर में अशान्ति हो तो शरीर का विकास रुक जायेगा इसलिए परिवार के सदस्यों में आपस में बहुत प्रेम होना चाहिए !

    Sunday, September 20, 2009

    Fw: अमृत वचन

     
     
    Subject: अमृत वचन

    "महानता जब आपके अन्दर जागती है तो आप नीचा कुछ भी कार्य नहीं करेगें। ऐसा कुछ भी नहीं करेंगें जिससे आपको खुद भी निराशा हो।

    इसलिए ध्यान रखें जैसे जैसे हम प्रभु के निकट होते जाते है हमारे अन्दर एक पूर्णता आती है , हमारा अधूरापन दूर होता है,

    हमारी सम्पूर्णता जाग्रत होने लग जाती है।"

     

    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

     

     

    "Nobility will not let you do anything which is lowliness and inferior. You will also not do anything which brings regret and discontent.

    So keep it in mind, having a close relation with God brings wholeness and totality in us. Scarcity and imperfection fade away and totality

    awakens."

     

    His Holiness Sudhanshuji Maharaj

     

     

    Humble Devotee

    Praveen Verma







    !

    Saturday, September 19, 2009

    भावनायें

    सृष्टि का आधार है गृहस्त आश्रम और सुखी गृहस्त का आधार है प्रेम एवं सहानुभुति ! घर परिवार में मनुष्य को प्रेम -सहानुभूती चाहिए !भावनायें संबंधों को मजबूत करने में बहुत काम आती हैं , बच्चे के जीवन में माँ बाप के वात्सल्य के बिना बहुत कुछ अविकसित रह जाता है !जहां प्रेम है वहां समर्पण भी है !शादी के समय वर कन्या एक दुसरे को हार पहनाते हैं , अगर उस हार के अन्दर का धागा टूट जाए तो फूल बिखर जाते हैं ! जैसे वह हार नहीं रहता ऐसे ही गृहस्त जीवन प्रेम के धागे से बंधा रहता है और प्रेम टूट गया तो परिवार बिखर गया !घर परिवार में प्रेम नहीं तो व्यक्ति कितना ज्ञानी ,कितना ध्यानी और कितना ही बली और बहादुर क्यों न हो मिट जायेगा !

    Wednesday, September 16, 2009

    धन साधन हें साध्य नहीं

    धन साधन हें साध्य नहीं !यह मंजिल पर पहुँचने के लिए वाहन हें लेकिन मंजिल नहीं ! धन आपको यंत्र दे सकता हें , संगीत नहीं , मकान दे सकता हें आराम नहीं ! नौकर दे सकता हें पर वफादार सेवक नहीं ! इसलिए धन को मंजिल पर पहुंचाने का साधन तो बनाओ पर धन को ही मंजिल मानकर मत् बैठ जाओ !

    Sunday, September 13, 2009

    जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ



    • जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ ! हर कर्म को खेल बनाओ ! दुखी मत हो ,हर समय खुश रहने की कोशिश करो ! उलझनें आयें तो सुलझाने की कोशिश करो !
    • संग्रह कर्ता राजगर्ग

    Thursday, September 10, 2009

    उपासना



    • सत्य को देखने की कोशिश करो ,प्रभू को समझो ,हवा साँसों में भर जायं ,समुन्द्र की लहरें आपकी नसों में लहराने लग जाये ,तब आपकी उपासना शुरू होती है !

    • संग्रह करता राज गर्ग

    पारस मणी



    • यदि आपने पात्रता सिद्ध करदी तो गुरु से सब कुछ ले सकते हो ! पारस मणि से भी कीमती हैं गुरु !

    • संग्रह करता राज गर्ग

    Tuesday, September 8, 2009

    चकोर को चैन मिलता है

    • चकोर को चैन मिलता है चन्द्रमा को देखकर ,कमल खिलता है सूर्य को देखकर ,शिष्य का ह्रदय खिलता है , सदगुरु को देखकर !

    • ईंट पत्थर के तो मकान बनते हैं और भावनाओं से घर बनते हैं !

    Thursday, September 3, 2009

    मन की शान्ति (भाग -३ )

    मन की शान्ति (भाग -३ )

    हर परिस्थिति में खुश रहो !
    अगर खुश रहना चाहते जो तो खुशी बांटो शान्ति आएगी !
    प्यार पाना चाहते जो तो प्यार बांटो -शांती आएगी !
    वाणी और स्वाद पर नियंत्रण रखो !
    हमेशा सत्य पर चलो !

    Monday, August 31, 2009

    मन की शान्ति के लिए (भाग -२)

    • अपनी इच्छायों को नियनत्रण में रखो !
    • क्रोध मत करो ,क्रोध आया भी हे तो बढ़ने मत दो ,पानी पी लो ,वह जगह छोड़ दो ,लंबे लंबे साँस लो !
    • हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करो !
    • भगवान ने जो दिया हे उसी में खुश रहो ,जो नहीं दिया उसके बारे में सोच कर दुःखी मत हो !
    • किसी की तरक्की देख कर दुःखी मत हो -जलो मत ,उस की तरह बनने की कोशिश करो !

    आदमी क्या हे

    आदमी क्या हे


    • "आदमी का जिस्म है क्या, जिस पर शैदा है जहाँ ,
      एक मिट्टी की इमारत , एक मिट्टी का मकां,
      खून का गारा बना ,ईंट जिसमें हड्डियाँ ,
      चंद शवासों पर खडा हे यह खयाले आशियां ,
      मौत की पुर जोर आँधी जब इससे टकरायगी ,
      देख लेना यह इमारत खाक में मिल जायेगी "
    • संग्रह करता राज गर्ग

    Saturday, August 29, 2009

    मन की शान्ति के लिए (भाग -१ )

    • भूत को याद करके दुःखी मत होओं !
    • भविष्य की चिंता मत करो !
    • वर्त्तमान में जीओ !
    • किसी से कोई अपेक्षा मत रखो !
    • अपने कर्म बिना फल की इच्छा के करते जाओ !

    Thursday, August 27, 2009

    निराश

    • किसि की बात सुन कर निराश मत हो बढते चले जाओ !

      अराम इस पथ की राह नहीं है ,
      जिस से आगे राह नहीं है ,
      जीवन क्या है निरजन पथ है
      चल रहा दोनो किनारो पर
      मस्ती ही इसका पानी है !

    कमी निकालना

    • कमी निकालने के लिए समय होता है ,निर्माण करने के लिए समय नहीं होता -कमी तो वह निकालता है जिन को अहंकार रहता है कि मुझ से अच्छा कोई नहीं है !

    खुश रहो

    • यह सोचो कि जो कुछ भगवान ने दिया है बहुत दिया है और उसी में खुश रहो !

    कार्य

    • यह सोचो कि जो कार्य कर रहे हो भगवान के लिये कर रहा हूं और भगवान का नाम ले कर काम शुरु करो ! जो कार्य हाथ में लो पूरा करने पर ही छोडो ! लगन लगा कर कार्य करो और फिर आनन्द लो नहीं तो मन दूसरी यरफ चला जाएगा !

    कर्म

    • विश्राम के समय विश्राम करो जब कर्म करो तो कर्मठ बन जाओ ! प्लानिग कर के कार्य करो ! मस्तिष्क खाली रखो !

    Wednesday, August 26, 2009

    अनुशासन



    • अगर हम चाहते हें की हमारी प्रगति हो तो अपने को अनुशासन में रखना होगा ,खाने का पीने का सोने का उठने का ,अपने को मशीन मत बनाओ ,नीद कम से कम ७ घंटे की लो !

    Tuesday, August 25, 2009

    जीने की समझ

    • जिस को जीने की समझ है वह सब कुछ कर सकता है !
    • फूंक फूंक कर कदम रखने वाले चार कदम भी नहीं चल सकते !

    Sunday, August 23, 2009

    सदगुरु की अमृत वाणी


    सदगुरु की अमृत वाणी


    "यदि हम आध्यात्मिक नगरी में प्रवेश करना चाहते है तो सबसे पहले वैर को

    छोड़ना सीखें । अभी से नियम बनाइये कि मुझे किसी से वैर नहीं रखना। वैर नहीं

    तो प्रतिशोध नहीं , बदला भी नहीं । अपने को बदलने में विश्वास रखिये, दूसरों से बदला

    लेने की इच्छा नहीं करें ।"

    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज



    "If we want to enter the Spiritual World, the very first thing we need to learn is, quit being hostile.
    From now onwards, the rule should be not to have animosity towards anyone. No hostility, no revenge
    and no settling the scores. Have faith in changing your own self, desire for retaliation shouldn't be there."

    His Holiness Sudhanshuji Maharaj


    Humble Devotee
    Praveen Verma






    माया

    • माया तेरे तीन नाम
    • परसा , परसी , परसराम !
    • लुच्चा , गुनडा , बेईमान !
    • अपनी हर मरजी भगवान से जोड़ दो !
    • भक्ति जब जागती हे तो इनसान थोड़े में भी खुश हो जाता है !
    • ऐसे मत चलो की देर हो जाए !
    • हमेशा सोते मत रहो की अवसर निकल जाए !
    • अच्छा काम फोरन करो बुरे काम के लिए देर कर दो !
    • गुरूजी के ६ -१-०५ के टी वी प्रवचन से

    Thursday, August 20, 2009

    पाया है तो

    अमृत वाणी


    • पाया है तो - छोडना है ,
    • पैदा हुआ है तो - मरना है ,
    • संयोग है तो -वियोग है ,
    • पुरानी चीज़ छोड़नी पड़ती हैं ,नया मिल कर खुशी होती है !
    • मैला वस्त्र धोते हो -मेला मन भी साफ करो !
    • बदलाव जरुरी है !
    • दुनिया तुम को छोडे उससे पहले तुम दुनिया को छोड़ दो और भगवान के नजदीक जाओ १
    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
    • ८-६-०१ के टी वी प्रवचन से

    Wednesday, August 19, 2009

    सभ्यता


    • सभ्यता
    • "अगर थोड़ा-सा भी कोई आपका भला करे तो आप कितना कितना धन्यवाद करते हें ।
    • लेकिन वह जो रात-दिन आपका भला कर रहा है, आप पर कृपा कर रहा है, क्या हम
    • इतना-सा भी नहीं कर सकते कि सुबह शाम बैठकर हाथ जोड़कर उस दाता से कहें कि
    • प्रभु तेरा लाख-लाख शुक्र हें । तूने हम पर बड़ी कृपा की । इतनी सभ्यता का परिचय
    • तो कम-से-कम हमें देना चाहिए ।"

    • परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    • "If someone does even a small favor to us, we thank that person over and over.
    • But one who constantly does favors and bestows HIS grace and kindness day and night,
    • we should THANK that allmighty million times with folded hands and be grateful towards him.
    • This much courtesy and decency we all should have."


    • His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj


      Humble Devotee
      Praveen Verma
    • प्रवीण वर्मा






    Sunday, August 16, 2009

    गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प


    गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प



    "जीवन की सम्पूर्णता है आनन्द और आनन्द परमात्मा का ही एक रूप या एक नाम

    है, जिसे सच्चिदानन्द कहा जाता है। हमारा जन्म परमात्मा से मिलने के लिए ही

    हुआ है और इसी उद्देश्य को लेकर हम दुनिया में आए है। वस्तुतः जीवन एक

    अवसर है परमात्मा से मिलने के लिए।"



    परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज




    Bliss is the perfection of life and also a form or a name of God which is called "Existence-Consciousness-Bliss."
    Our object and purpose of taking this human birth is to unite with the Almighty. In fact life is an opportunity
    to come together and unite with the Supreme, the lord who is Omnipresent and all-pervading.

    His Holiness Sudhanshuji Maharaj



    Humble Devotee
    Praveen VErma





    Saturday, August 15, 2009

    Param Pujya Gurudev Shri Sudhanshuji Mahar...







    Param Pujya Gurudev Shri Sudhanshuji Mahar...




















    Hari Om
    !

    Vishwa Jagriti Mission (Singapore) is pleased to inform that by the Grace of God and Blessings from our Param Pujya Gurudev Shri Sudhanshuji Maharaj, the Singapore Satsang is confirmed from Sept 10(Thu) to 13(Sun).

    Without your kind attendance & consistent support, Gyan Yagya like these cannot be made possible.

    Please accept our attached Invitation & Kindly forward the same to all your family members and friends.

    Let's all come together to again make one more Gyaan Yagya a huge success.

    Please visit our website www.vjms.net for further details and VJM activities.

    Hari Om & God Bless


    for & on behalf of

    Vishwa Jagriti Mission (Singapore)



    --

    Tuesday, August 11, 2009

    Fw: [ANANDDHAM.ORG] महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम

    ----- Original Message ----- To: mggarga@gmail.com
    Sent: Tuesday, August 11, 2009 2:32 PM
    Subject: [ANANDDHAM.ORG] महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम




    • १५ अगस्त ,२००९ स्वतंत्रता दिवस (आनन्दधाम आश्रम ,दिल्ली )
    • २ अक्तूबर , २००९ श्रधापर्व (आनंदधाम आश्रम दिल्ली )
    • ८ से ११ अक्तूबर ,२००९ श्री गणेश लक्ष्मी महायग (आनंदधाम आश्रम ,दिल्ली )
    • जीवन संचेतना अगस्त २००९


    --
    Posted By Madan Gopal Garga to ANANDDHAM.ORG at 8/11/2009 02:18:00 PM

    Monday, August 10, 2009

    अमृतवानी

    • जिसके मिलने से खुशियाँ मिलें ,
    • जो अपनी खुशबू से सब को महका देता हो ,
    • जिसका ह्रदय सज्जनता से भरा हो ,
    • शिव से जुडा रहता हो ,
    • उसके जीवन में श्री रहती है !
    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
    • संग्रह करता राज गर्ग

    Wednesday, August 5, 2009

    जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं

    जीवन में जरुरी




    • जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं :-ज्ञान ,कर्म और उपासना (भक्ति ), इन तीनों के बगेर जीवन नहीं चल सकता !
    • आज श्रावणी पूर्णिमा है गुरु देव के दर्शन का बहुत महत्त्व है !
    • आज रक्षा बंधन भी है गुरुवर सब की रक्षा करें

    जीवन में जरुरी



    • जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं :-ज्ञान ,कर्म और उपासना (भक्ति ), इन तीनों के बगेर जीवन नहीं चल सकता !
    • आज श्रावणी पूर्णिमा है गुरु देव के दर्शन का बहुत महत्त्व है !
    • आज रक्षा बंधन भी है गुरुवर सब की रक्षा करें

    Sunday, August 2, 2009

    धन

    • जिस ने खा लिया उस ने खो दिया ,
    • जिस ने देदिया वो अपने साथ ले गया ,
    • जिस ने जमीन में गाढ़ दिया उसने नष्ट कर दिया ,
    • जिस ने छोड़ दिया उस ने सर फोड़ दिया !

    Friday, July 31, 2009

    रहने का तरीका

    • खाओ बादशाहों की तरह
    • सोंओ राजकुमारों की तरह
    • काम करो मजदूरों की तरह
    • परमपूज्य सुधांशु जी महाराज

    Thursday, July 30, 2009

    गुरु वाणी

    गुरु वाणी




    • भगवान को भूलना मत ,
    • सत्य को छोड़ना मत ,
    • संपति से फूलना मत ,
    • विपत्ती मैं मुरझाना मत ,
    • परमार्थ सेवा करने से रुकना मत !
    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
    • संग्रह करता राज गर्ग

    Sunday, July 26, 2009

    गुरु सुख का बहता



    • गुरु तपस्वी , गुरु सरलमना ,

    • गुरु सुख का बहता निर्झर है !

    • गुरु काव्यमूर्ति : गुरु संतोषी ,

    • गुरु कविता का ओजस्वी स्वर है !

    • गुरु दिव्य पुरूष ,गुरु परम सखा है ,

    • गुरु ब्रह्मज्ञान का आखर है !

    • गुरु अनुपम अमृत वाणी से ,

    • भरता गागर में सागर है !

    • संग्रह करता

    • राज गर्ग

    Saturday, July 25, 2009

    अनुभूति

    • अपने आप खाकर वह आनन्द नहीं जो दुःखी ,गरीब ,,भूके को खिलाकर आता है ! यह अनुभूति कहने से नहीं होगी कि में कहूँ और आप सुने मान लें ! इसका आनन्द लेना हो तो किसी दिन आप ख़ुद ऐसा करके देखना ! जिन कर्मों से आप भगवान के निकट होते हैं उनसे आपको संतुष्टि मिलती है ,तसल्ली ,मिलती है !
    • जीवन प्रभात से

    आत्मा

    • आत्मा को तृप्ति होती है पुण्य से , आत्मा को तृप्ति मिलेगी सेवा से ,आत्मा को तृप्ति मिलेगी साधना से और जैसे जैसे निकटता भगवान से होती जाती है ,भगवान के अमृत रस से आत्मा को तृप्ति मिलती है और आत्मा उन्ही चीजों से संतुष्ट होती है !
    • जीवन प्रभात से

    Wednesday, July 22, 2009

    अध्यात्मिकता

    • अध्यात्मिकता



    • "अध्यात्म का मूल्यांकन करें और मानव जीवन का लक्ष्य पहचाने ।
    • आज अध्यात्म की बहुत जरुरत है जिससे व्यक्ति के अन्दर जागृति आए।
    • इस क्षेत्र में चलने के लिए तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय होना चाहिए ।
    • भगवान से सदबुद्दि के लिए प्रार्थना करते हुए इस क्षेत्र में आगे बढें ।
    • तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय हो तो सफलता अवश्य ही मिलेंगी ।"
    • परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

    • Evaluate the Spiritual contemplation and recognize the purpose of human life.
      Spiritual contemplation is essential and crucial these days as it brings awareness in mankind.
      Strong desire and firm determination is mandatory and essential to be on this path and also the key to succeed.
      Let's move forward on this path by praying to Allmighty for good and noble intellect.


      His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj


      Humble Devotee
      Praveen Verma










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    द्रढ निश्चय

    • "अध्यात्म का मूल्यांकन करें और मानव जीवन का लक्ष्य पहचाने ।
      आज अध्यात्म की बहुत जरुरत है जिससे व्यक्ति के अन्दर जागृति आए।
      इस क्षेत्र में चलने के लिए तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय होना चाहिए ।
      भगवान से सदबुद्दि के लिए प्रार्थना करते हुए इस क्षेत्र में आगे बढें ।
      तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय हो तो सफलता अवश्य ही मिलेंगी ।"


      परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
      Humble Devotee
      Praveen Verma

    Tuesday, July 21, 2009

    धन्यवाद



    • जब आपको कोई कुछ देता है तो आप उसका धन्यवाद करते हैं .मगर उस भगवान का जिसने आपको सब कुछ दिया उसका धन्यवाद करना न भूलो ! उसका धन्यवाद हर समय करो !

    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

    Saturday, July 18, 2009

    teevr ichchhaa




    • "अध्यात्म का मूल्यांकन करें और मानव जीवन का लक्ष्य पहचाने ।

      आज अध्यात्म की बहुत जरुरत है जिससे व्यक्ति के अन्दर जागृति आए।

      इस क्षेत्र में चलने के लिए तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय होना चाहिए ।

      भगवान से सदबुद्दि के लिए प्रार्थना करते हुए इस क्षेत्र में आगे बढें ।

      तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय हो तो सफलता अवश्य ही मिलेंगी ।"



      परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
      Humble Devotee
      Praveen Verma

    strong desire

    • Evaluate the Spiritual contemplation and recognize the purpose of human life.
      Spiritual contemplation is essential and crucial these days as it brings awareness in mankind.

      Strong desire and firm determination is mandatory and essential to be on this path and also the key to succeed.
      Let's move forward on this path by praying to Allmighty for good and noble intellect.

      His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj


      Humble Devotee
      Praveen Verma

    Friday, July 17, 2009

    जिंदगी

    • अश्क आख़िर अश्क है शबनम नहीं है ,
    • दर्द आखिर दर्द है सरगम नहीं है ,
    • उम्र के त्यौहार में रोना मना है ,
    • जिंदगी आख़िर जिंदगी है मातम नहीं है !
    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

    Monday, July 13, 2009

    abundance

    • "When you see a glimpse of abundance, when you can taste a tiny bit of ocean even in a little drop of water and when you see prosperity in every step of someone's life, understand that there is some divine power working behind all that."

      His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj

      Humble Devotee
      Praveen Verma

    जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी

    • " जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"

      परम पूज्य सुधाशुँजी महाराज



      Humble Devotee
      Praveen Verma

    विराटता

    • " जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"

      परम पूज्य सुधाशुँजी महाराज




      Humble Devotee
      Praveen Verma

    Friday, June 26, 2009

    वेद ,पुरान


    Subject: ved,puran


    in case you want to listen Ved,Puran Please visit the following site
    http://idharudharkee.blogspot.com

    Thursday, June 25, 2009

    जुआ सुख ,सम्पति और समय

    • जुआ सुख ,सम्पति और समय
    • इन तीनों का -जो कि जीवन के
    • लिए अति मूल्यवान हें
    • उसका नाश करता हे !

    जुआ

    • जुआ लोभ का पुत्र ,
    • दुराचार का भाई और
    • बुराइयों का पिता हे !
    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

    धन -ज्ञान

    • ज्ञान धन से उत्तम हे
    • क्योंकि धन की तुम को रक्षा
    • करनी पड़ती हे और
    • ज्ञान तुम्हारी रक्षा कर्ता हे
    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

    Wednesday, June 24, 2009

    दुःख -सुख

    • दुःख आता हे सुख देने को ,मन मूरख क्यों घबराता हे !
    • जब जोर से गरमी पड़ती हे ,तो बादल जल बरसाता हे !!
    • परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
    • सँकलन -राज गर्ग

    Tuesday, June 23, 2009

    खुशबू



    • खुशबू को फलने मैं समय लगता है , बदबू को फलने मैं समय नहीं लगता ,इसलिय बदबू नहीं फेलाओ खुशबू ही फेलाओ !

    • एक शिष्य

    • श्रीमती राज गर्ग

    पैसे से आप

    पैसा


    • पैसे से आप बिसतर खरीद सकते हैं नींद नहीं

      पैसे से आप भोजन खरीद सकते हैं भूख नहीं

      पैसे से आप आदमी खरीद सकते हैं वफादारी नहीं

      पैसे से आप दवा खरीद सकते हैं सवासथ नहीं

      पैसे से आप किताब खरीद सकते हैं ज्ञान नहीं

      पैसे से आप पाउडर खरीद सकते हैं सुन्दरता नहीं

      पैसे से आप औरत खरीद सकते हैं पत्नी नहीं

      पैसे से आप शस्त्र खरीद सकते हैं होसला नहीं

      पैसे से आप मूर्ती खरीद सकते हैं भगवान नहीं

      पैसे से आप सुख साधन खरीद सकते हैं शांति नहीं

    Sunday, June 21, 2009

    पैसा

    • पैसे से आप बिसतर खरीद सकते हैं नींद नहीं

      पैसे से आप भोजन खरीद सकते हैं भूख नहीं

      पैसे से आप आदमी खरीद सकते हैं वफादारी नहीं

      पैसे से आप दवा खरीद सकते हैं सवासथ नहीं

      पैसे से आप किताब खरीद सकते हैं ज्ञान नहीं

      पैसे से आप पाउडर खरीद सकते हैं सुन्दरता नहीं

      पैसे से आप औरत खरीद सकते हैं पत्नी नहीं

      पैसे से आप शस्त्र खरीद सकते हैं होसला नहीं

      पैसे से आप मूर्ती खरीद सकते हैं भगवान नहीं

      पैसे से आप सुख साधन खरीद सकते हैं शांति नहीं

    Saturday, June 20, 2009

    संसार



    • संसार कल्पब्रृक्ष है इसकी छाया मैं बैठकर हम जो विचार करेंगे ,हमें वेसे ही परिणाम प्राप्त होंगे !पूरे संसार मैं अगर कोई क्रान्ति की बात हो सकती है तो वह क्रांती तलवार से नहीं ,विचार-शक्ति से आएगी !तलवार से क्रांती नहीं आती ,आती भी है तो पल भर की, चिरस्थाई नहीं विचारों के क्रांती ही चिरस्थाई हो सकती है !

    • धर्मदूत दिसम्बर २००८

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