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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Tuesday, June 30, 2015

सत्संग मौसम है





सत्संग मौसम है, गुरु बीज है, श्रोता भूमि है। गुरु के ज्ञान से विवेक खुलता , अज्ञान का नाश होता है। गुरु आपके अन्दर ज्ञान का प्रकाश करके अँधेरा दूर करता है। 


Monday, June 29, 2015

चार चीजों


जिनका आज जनम दिन है या शादी की वर्ष गाँठ है उनको गुरुजीका ढेरसारा आशीर्वाद 





परम पूज्य सुधांशुजी महारा


    चार चीजों का सदेव सेवन करना चाहिए ,सत्संग ,संतोष ,दान और दया !

    Sunday, June 28, 2015

    Jab bhi bolo

    जिनका आज जनम दिन है या शादी की वर्ष गाँठ है उनको गुरुजीका ढेरसारा आशीर्वाद 





    परम पूज्य सुधांशुजी महारा


      Jab bhi bolo yeh soch ke bolo ki yeh akhiri vachan hain, isiliye sadaiv meetha bolo!

      Saturday, June 27, 2015

      आप कुछ नियम



      आप कुछ नियम बनाएँ। उन नियमों में एक नियम यह भी कि किसी को फ़ूल न दे सकें  मुस्कान तो हम जरूर देगें। किसी से बात करें तो बात की शुरुआत में मुस्कान पहले होनी चाहिए। हर बच्चे की सजावट उसकी मुस्कराहट है और इस दुनियाँ में हर फ़ूल की सजावट उसकी मुस्कराहट है। आपकी भी सजावट आपकी मुस्कराहट है तो अपनी मुस्कराहट को सजाइए। मुस्कराहट को लेकर घर से निकलिए, मुस्कराहट को लेकर घर में प्रवेश कीजिए। और देवताओं की आराधना करें तो मुस्करा कर करें और अपने गुरू को प्रणाम करें तो मुस्कान के साथ करें। अपने कर्मक्षेत्र में प्रवेश करें तो मुस्कराहट के साथ करें और जब अपने अन्न को देखें तो अन्न को भी मुस्कराकर देखिए। अपने घर भी जैसे पहली द्दर्ष्टि प्रवेश करते हुए डालते है तो मुस्कराहट की द्दर्ष्टि डालिए तो आप समझेंगे कि मनहूसियत निकलेगी और देवताओं की कृपा आपके घर में प्रवेश करेगी। 

      जीवन में


      जिनका आज जनम दिन है या शादी की वर्ष गाँठ है उनको गुरुजीका ढेरसारा आशीर्वाद 





      परम पूज्य सुधांशुजी महारा


        जीवन  में सदैव उत्सव और उत्साह का माहौल रखें।

        Wednesday, June 24, 2015

        शरीर की अपंगता

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        परम पूज्य सुधांशुजी महारा




        शरीर की अपंगता से ख़राब मन की अपंगता है । मन को कमजोर होने मत दो और उस परमसत्ता में विश्वास करते हुए आगे बढ़ो । देखना  सफलता एक दिन तुम्हारे कदम चूमेगी 

        Tuesday, June 23, 2015

        परमात्मा की कृपा





        जिसमे संतुलन है उसके अंदर प्रसंन्त्ता है जो परमात्मा ने दिया हे उसे परमात्मा की कृपा का फल मानकर स्वीकार करो तो प्रसंन्त्ता आएगी जीवन मै सदा गुनगुनाते रहो खिले रहो प्रसंन्त्ता,उत्सव,उल्लास तप भी है और भक्ति भी है 

        Saturday, June 20, 2015

        जिसमे संतुलन है






        जिसमे संतुलन है उसके अंदर प्रसंनत्ता है जो परमात्मा ने दिया हे उसे परमात्मा की कृपा का फल मानकर स्वीकार करो तो प्रसंनत्ता आएगी जीवन मै सदा गुनगुनाते रहो खिले रहो प्रसंनत्ता,उत्सव,उल्लास तप भी है और भक्ति भी है

        Friday, June 19, 2015

        शरीर की अपंगता




        शरीर की अपंगता से ख़राब मन की अपंगता है । मन को कमजोर होने मत दो और उस परमसत्ता में विश्वास करते हुए आगे बढ़ो । देखना सफलता एक दिन तुम्हारे कदम छुएगी

        Thursday, June 18, 2015

        संसार मे सबकुछ

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        परम पूज्य सुधांशुजी महारा



        संसार मे सबकुछ है , पर वह उन्ही के लिए सुरक्षित है जो निराश नहीं , वरण पुरुषार्थी है । जीवन की सार्थकता निराशा मे नहीं है , पुरुषार्थ से जुड़ने मे है । 

        Wednesday, June 17, 2015

        संसार मे सबकुछ




        संसार मे सबकुछ है , पर वह उन्ही के लिए सुरक्षित है जो निराश नहीं , वरण पुरुषार्थी है । जीवन की सार्थकता निराशा मे नहीं है , पुरुषार्थ से जुड़ने मे है । 

        Tuesday, June 16, 2015







        दुःख में





        दुःख में भूलो नहीं, सुख में फूलो नहीं,

        प्राण जाये मगर प्रभु का नाम, भूलो नहीं।

        Sunday, June 14, 2015

        जीवन की दौड़



        जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं, गिरे रहना असफलता की कहानी है 

        Saturday, June 13, 2015

        जिसमें संतुलन




        जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है। जो परमात्मा ने दिया उसे परमात्मा की कृपा का फल मानकर स्वीकार करो थो प्रसन्नता आयेगी। जीवन मैं सदा गुनगुनाते रहो, खिले रहो। उत्सव उल्लास मनाते रहो 

        Friday, June 12, 2015

        इश्वर एक है



        इश्वर एक है और एक रंग है - निर्विकार और अक्षय है, वह रूपांतरित नहीं होता। वह घट घट मैं इस तरह प्रकट होता है, जिस तरह सूर्य का प्रतिबिम्ब अनेक जलाशयों मैं दिखाई पड़ता है। 

        Thursday, June 11, 2015

        वह घट घट मैं




        इश्वर एक है और एक रंग है - निर्विकार और अक्षय है, वह रूपांतरित नहीं होता। वह घट घट मैं इस तरह प्रकट होता है, जिस तरह सूर्य का प्रतिबिम्ब अनेक जलाशयों मैं दिखाई पड़ता है। 

        Wednesday, June 10, 2015

        hanuman chalisa


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        परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

        किसी भी क्षेत्र में चाहे घरपरिवार हो, समाज या राष्ट्र हो हर जगह तालमेल की जरूरत होती है। यदि आपस में तालमेल बैठाना आ गया तो जीवन खुशियों से भर जाएगा । यह तालमेल की स्थिति तभी बन पाती है जब इंसान के अन्दर सदगुण और अच्छे संस्कार होते हैं ।









        Tuesday, June 9, 2015

        हर भक्त की पुकार





        हर भक्त की पुकार अपने सद्गुरुजी के लिए एक ही होती है और वह है।
        तेरा जलवा जहाँ होगा।
        मेरा सजदा वह होगा।
        मेरे जैसे तो लाखो होंगे।
        पर तेरे जैसा प्यारा कहाँ होगा।

        Saturday, June 6, 2015

        जिस तरह नदियों



        ध्यान रखना जिस तरह नदियों का जल बहकर वापिस लौटता नहीं , जैसे पेड़ों से पत्ते टूटकर बिखर जाँएं तो डाल पर वापिस लगते नहीं, गया हुआ श्वास लौटता नहीं और बी्ता हुआ समय कभी हाथ आता नहीं । जीवन में बहुत कुछ हम पाकर खोते है और बहुत कुछ खोकर पाते भी हैं । समय का चक्र लगातार गतिमान रहता है। हर संयोग के बाद वियोग है और हर वियोग के बाद संयोग है। यह द्वंद्वमय संसार है। इस संसार की रीत को समझते हुए अपने आप को कमज़ोर नहीं होने देना। परमात्मा के नाम का सहारा लेना। जिसने उसकी अँगुली थामी है वो अकेला नहीं, उसे सँभालने वाला उसके साथ है। वो निश्चित रूप से आगे बढेगा और तरक्की होगी। अपना मन कमज़ोर न होने दे।

        Friday, June 5, 2015

        परमात्मा हमारे लिए






        हमने मन को अस्थिर - अस्थायी चीजों में लगा रखा है, हम जीवन की प्राथमिकताओ को पहचानने का प्रयास नहीं करते, परमात्मा हमारे लिए केवल द्वितीय वस्तु है, स्वयं को हम जानते नहीं, अन्दर हम झांकते नहीं, बस यही तो खोट है मन में, स्वयं को जानना है। ध्यान, सत्य को पहचानना ही ध्यान है, उस परम प्रभु से मिलना, उसके लिए बेचैनी, तड़प, उससे मिलने की तीव्र उत्कंठा ही योग है।


        Thursday, June 4, 2015

        चिता जलने से

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        परम पूज्य सुधांशुजी महाराज


        चिता     जलने  से  पहले  ज़ो  सचेत  होकर  प्रभु  का  नाम  जपते  हैं  और  सत्काम   करते  हैं ,वे  भक्ति  के   सीढ़ियों  पर  आसानी   से  चढ़  जाती  हैं .

        Monday, June 1, 2015

        ध्यान योग की



        ध्यान योग की अनूठी अध्यात्मिक राह पर चलने के लिए मनुष्य को तीन कृपाओ की परम आवश्यकता होती है। प्रथम ईश्वरीय कृपा, द्वितीय गुरु कृपा और तृतीय स्वयं की स्वयं पर कृपा।

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