हम हर साल बाहर रावण जलाते हें पर अपने अन्दर का रावण कभी नहीं जलाते वह बढता जाता हे कभी उसको भी जलादिया करो
!परमपूज्य सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 3/04/2010 07:23:00 PM