*आज गीता के अमृत ज्ञान में सतगुरु ने 💐अपने कर्तव्य और धर्म का पालन करो💐 यह बताया*।
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💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा ,हे अर्जुन ,तू मच्चित होकर मेरी कृपा से सब संकटो को पार कर जाएगा। मगर अहंकार के कारण यदि नहीं सुनेगा तो विनिष्ट हो जाएगा। *अंतरात्मा की आवाज को सुनता हुआ मनुष्य सही निर्णय लेता है* तब वह बड़ी भारी मुश्किलों से बाहर निकल जाता है। अन्यथा माया के प्रभाव में आ जाता है महात्मा बुद्ध के भी अपने शिष्यों ने यही सवाल किया था कि पानी में बहती हुई सभी लकड़ियां क्या समुद्र तक पहुंच जाएंगी।और समझाया कि कुछ रास्ते में अटक जाएंगी कुछ ही समुद्र तक पहुंचेंगी। जो रास्ते में रुक गई वह संसार की माया के कारण अपने लक्ष्य समुद्र तक नहीं जा पाती हैं।
💐अर्जुन के रगों में क्षत्रिय स्वभाव है और केवल एक जगह जाकर वह रुक गया है कि हमारे संबंधी हमारे बड़े मारे जाएंगे ।तो कृष्ण ने कहा कि यह धर्म की लड़ाई है निर्णय लिए जा चुके हैं यदि तुम नहीं लड़ोगे,तो प्रकृति स्वयं तुम्हें नष्ट कर देगी। क्योंकि *आप प्रकृति के बस में हैं कीमती अक्ल नहीं है कीमती है आदत और स्वभाव*। व्यक्ति के व्यक्तित्व पर आदतें सवार रहती हैं इसलिए गुरु के निर्देशन में सभी कार्य करें।
💐हे अर्जुन तुम इस समय मोह वश मेरे निर्देश को मना कर रहे हो, लेकिन तुम अपने व्यक्तित्व और स्वभाव के द्वारा बाध्य होकर ही कर्म करोगे। ईश्वरीय आदेश को करके मनुष्य गौरव को प्राप्त होता है मनुष्य अपने पिछले स्वभाव के कारण वर्तमान में कार्य करता है इसलिए अपने स्वकर्म और स्वधर्म को पहचानना चाहिए *हम अपने को पूरी तरह परिवर्तित भी कर सकते हैं, जिसके लिए भगवान ने पूरी प्रक्रिया अब तक बताइ* और ऐसा परिवर्तन भी होता है कि लोगों को आश्चर्य होता है
💐 महर्षि बाल्मीकि उनकी पिछली भक्ति एक संजोग से जागृत हो गई, इसी तरह अगर हम भी तपस्या में संचित, क्रियमान कर्म को जलाकर अपने को शुद्ध कर लें, और हम अपने सूक्ष्म शरीर से छुटकारा पाकर के मुक्त होने की स्थिति तक पहुंच सके *जो आगे आने वाले कर्म आ रहे हैं वह आएंगे, लेकिन पिछले कर्मों को तो हम जला सकते हैं*
💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि अब तो तुम्हें युद्ध करना ही पड़ेगा ।मनुष्य माया लोक के कारण नीचे की तरफ खींचता जाता है ऊपर जाने के लिए *गुरु के निर्देशन में अपने को हल्का करते हुए ऊपर उठना चाहिए* ,जैसे जल वाष्प बनकर उड़ता है ग्रेविटेशन के साथ लैविटेशन को भी ध्यान रखना चाहिए *भगवान के प्रतिनिधि गुरु, जिसकी आवाज ह्रदय में सुनाई दे रही है उस के निर्देशन में संसार में जीवन जीना चाहिए* ,अन्यथा प्रकृति अपने आप कार्य करा लेगी।
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दिनांक 19 अक्टूबर 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल
क्रमशः💐💐💐💐💐💐💐💐
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💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा ,हे अर्जुन ,तू मच्चित होकर मेरी कृपा से सब संकटो को पार कर जाएगा। मगर अहंकार के कारण यदि नहीं सुनेगा तो विनिष्ट हो जाएगा। *अंतरात्मा की आवाज को सुनता हुआ मनुष्य सही निर्णय लेता है* तब वह बड़ी भारी मुश्किलों से बाहर निकल जाता है। अन्यथा माया के प्रभाव में आ जाता है महात्मा बुद्ध के भी अपने शिष्यों ने यही सवाल किया था कि पानी में बहती हुई सभी लकड़ियां क्या समुद्र तक पहुंच जाएंगी।और समझाया कि कुछ रास्ते में अटक जाएंगी कुछ ही समुद्र तक पहुंचेंगी। जो रास्ते में रुक गई वह संसार की माया के कारण अपने लक्ष्य समुद्र तक नहीं जा पाती हैं।
💐अर्जुन के रगों में क्षत्रिय स्वभाव है और केवल एक जगह जाकर वह रुक गया है कि हमारे संबंधी हमारे बड़े मारे जाएंगे ।तो कृष्ण ने कहा कि यह धर्म की लड़ाई है निर्णय लिए जा चुके हैं यदि तुम नहीं लड़ोगे,तो प्रकृति स्वयं तुम्हें नष्ट कर देगी। क्योंकि *आप प्रकृति के बस में हैं कीमती अक्ल नहीं है कीमती है आदत और स्वभाव*। व्यक्ति के व्यक्तित्व पर आदतें सवार रहती हैं इसलिए गुरु के निर्देशन में सभी कार्य करें।
💐हे अर्जुन तुम इस समय मोह वश मेरे निर्देश को मना कर रहे हो, लेकिन तुम अपने व्यक्तित्व और स्वभाव के द्वारा बाध्य होकर ही कर्म करोगे। ईश्वरीय आदेश को करके मनुष्य गौरव को प्राप्त होता है मनुष्य अपने पिछले स्वभाव के कारण वर्तमान में कार्य करता है इसलिए अपने स्वकर्म और स्वधर्म को पहचानना चाहिए *हम अपने को पूरी तरह परिवर्तित भी कर सकते हैं, जिसके लिए भगवान ने पूरी प्रक्रिया अब तक बताइ* और ऐसा परिवर्तन भी होता है कि लोगों को आश्चर्य होता है
💐 महर्षि बाल्मीकि उनकी पिछली भक्ति एक संजोग से जागृत हो गई, इसी तरह अगर हम भी तपस्या में संचित, क्रियमान कर्म को जलाकर अपने को शुद्ध कर लें, और हम अपने सूक्ष्म शरीर से छुटकारा पाकर के मुक्त होने की स्थिति तक पहुंच सके *जो आगे आने वाले कर्म आ रहे हैं वह आएंगे, लेकिन पिछले कर्मों को तो हम जला सकते हैं*
💐भगवान श्री कृष्ण ने कहा कि अब तो तुम्हें युद्ध करना ही पड़ेगा ।मनुष्य माया लोक के कारण नीचे की तरफ खींचता जाता है ऊपर जाने के लिए *गुरु के निर्देशन में अपने को हल्का करते हुए ऊपर उठना चाहिए* ,जैसे जल वाष्प बनकर उड़ता है ग्रेविटेशन के साथ लैविटेशन को भी ध्यान रखना चाहिए *भगवान के प्रतिनिधि गुरु, जिसकी आवाज ह्रदय में सुनाई दे रही है उस के निर्देशन में संसार में जीवन जीना चाहिए* ,अन्यथा प्रकृति अपने आप कार्य करा लेगी।
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दिनांक 19 अक्टूबर 2021
संकलनकर्ता रविंद्र नाथ द्विवेदी पुणे मंडल
क्रमशः💐💐💐💐💐💐💐💐