- खाओ बादशाहों की तरह
- सोंओ राजकुमारों की तरह
- काम करो मजदूरों की तरह
- परमपूज्य सुधांशु जी महाराज
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About Me
Friday, July 31, 2009
रहने का तरीका
Thursday, July 30, 2009
गुरु वाणी
Sunday, July 26, 2009
गुरु सुख का बहता
Saturday, July 25, 2009
अनुभूति
- अपने आप खाकर वह आनन्द नहीं जो दुःखी ,गरीब ,,भूके को खिलाकर आता है ! यह अनुभूति कहने से नहीं होगी कि में कहूँ और आप सुने मान लें ! इसका आनन्द लेना हो तो किसी दिन आप ख़ुद ऐसा करके देखना ! जिन कर्मों से आप भगवान के निकट होते हैं उनसे आपको संतुष्टि मिलती है ,तसल्ली ,मिलती है !
- जीवन प्रभात से
आत्मा
- आत्मा को तृप्ति होती है पुण्य से , आत्मा को तृप्ति मिलेगी सेवा से ,आत्मा को तृप्ति मिलेगी साधना से और जैसे जैसे निकटता भगवान से होती जाती है ,भगवान के अमृत रस से आत्मा को तृप्ति मिलती है और आत्मा उन्ही चीजों से संतुष्ट होती है !
- जीवन प्रभात से
Wednesday, July 22, 2009
अध्यात्मिकता
- अध्यात्मिकता
- "अध्यात्म का मूल्यांकन करें और मानव जीवन का लक्ष्य पहचाने ।
- आज अध्यात्म की बहुत जरुरत है जिससे व्यक्ति के अन्दर जागृति आए।
- इस क्षेत्र में चलने के लिए तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय होना चाहिए ।
- भगवान से सदबुद्दि के लिए प्रार्थना करते हुए इस क्षेत्र में आगे बढें ।
- तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय हो तो सफलता अवश्य ही मिलेंगी ।"
- परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Evaluate the Spiritual contemplation and recognize the purpose of human life.
Spiritual contemplation is essential and crucial these days as it brings awareness in mankind.
Strong desire and firm determination is mandatory and essential to be on this path and also the key to succeed.
Let's move forward on this path by praying to Allmighty for good and noble intellect.
His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj
Humble Devotee
Praveen Verma
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द्रढ निश्चय
- "अध्यात्म का मूल्यांकन करें और मानव जीवन का लक्ष्य पहचाने ।
आज अध्यात्म की बहुत जरुरत है जिससे व्यक्ति के अन्दर जागृति आए।
इस क्षेत्र में चलने के लिए तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय होना चाहिए ।
भगवान से सदबुद्दि के लिए प्रार्थना करते हुए इस क्षेत्र में आगे बढें ।
तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय हो तो सफलता अवश्य ही मिलेंगी ।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Humble Devotee
Praveen Verma
Tuesday, July 21, 2009
धन्यवाद
Saturday, July 18, 2009
teevr ichchhaa
"अध्यात्म का मूल्यांकन करें और मानव जीवन का लक्ष्य पहचाने ।
आज अध्यात्म की बहुत जरुरत है जिससे व्यक्ति के अन्दर जागृति आए।
इस क्षेत्र में चलने के लिए तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय होना चाहिए ।
भगवान से सदबुद्दि के लिए प्रार्थना करते हुए इस क्षेत्र में आगे बढें ।
तीव्र इच्छा और द्रढ निश्चय हो तो सफलता अवश्य ही मिलेंगी ।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Humble Devotee
Praveen Verma
strong desire
- Evaluate the Spiritual contemplation and recognize the purpose of human life.
Spiritual contemplation is essential and crucial these days as it brings awareness in mankind.
Strong desire and firm determination is mandatory and essential to be on this path and also the key to succeed.
Let's move forward on this path by praying to Allmighty for good and noble intellect.
His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj
Humble Devotee
Praveen Verma
Friday, July 17, 2009
जिंदगी
- अश्क आख़िर अश्क है शबनम नहीं है ,
- दर्द आखिर दर्द है सरगम नहीं है ,
- उम्र के त्यौहार में रोना मना है ,
- जिंदगी आख़िर जिंदगी है मातम नहीं है !
- परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
Monday, July 13, 2009
abundance
- "When you see a glimpse of abundance, when you can taste a tiny bit of ocean even in a little drop of water and when you see prosperity in every step of someone's life, understand that there is some divine power working behind all that."
His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj
Humble Devotee
Praveen Verma
जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी
- " जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
परम पूज्य सुधाशुँजी महाराज
Humble Devotee
Praveen Verma
विराटता
- " जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी झलक हो, जिस बूँद में सागर का थोड़ा-सा स्वाद मिल जाए, जिस जीवन में सम्भावनाओं के फूल खिलते हुए दिखाई दें, समझना वहाँ कोई दिव्यशक्ति साथ में हें ।"
परम पूज्य सुधाशुँजी महाराज
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- इस धरती को अगर रहने के काबिल बनाना चाहते होन (1)
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- उलझाना (1)
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- कर्म और भाग्य दोनो अलग अलग हें (1)
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- खुश रहो (1)
- खुशबू (1)
- खुशियों हमेशा बूँदों की तरह बरसती हैं (1)
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- गलती (1)
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- गुरु के प्यारों के आनन्द का पर्व ----"-उल्लास पर्व " समारोह २०११ (1)
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- गुरु को संभाल लो तो गोविन्दअमृतवाणी (1)
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- गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प (1)
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- गुरुदेव जीवन में सात्विक भाव जगाने के लिए क्या क... (1)
- गुरुदेव धर्म के पथ पर चलने का सदेश सभी देते हें (1)
- गुरुपूर्णिमा महोत्सव के देशव्यापी कार्यकर्म (1)
- गुरुवाणी (1)
- गुरुवाणी २७-४-२०१२ (1)
- गृहस्थ आश्रम के ३१ वर्ष सम्पन्न होने पर बधाई (1)
- घर पर आये अतिथि का स्वागत करना (1)
- घृणा को प्रेम से और (1)
- चकोर को चैन मिलता है (1)
- चार चीज याद रखो (1)
- चिंतन (1)
- चिंता (1)
- चिंता को चबा लेना नहीं तो (1)
- चिंता से चिंतन की (1)
- चिंता से चिंतन की और (1)
- चित्त एक सरोवर (1)
- जग (1)
- जन्म देने वाले मालिक (1)
- जब आपके पास सही विचार हैं (1)
- जब कभी संकट की बेला (1)
- जब जीवन मैं (1)
- जब तक आदर्श विचारों में (1)
- जब भी बोलो यह सोच के बोलो (1)
- जब मन में सन्तुष्टी हो (1)
- जब संसार की वासनाओं का (1)
- जब हम कर्म के फल की कामना (1)
- जहां भी त्याग की भावना (1)
- जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी (1)
- जागो (1)
- जिज्ञासा प्रारंभ में परमात्मा ने हमको दी णी (1)
- जिज्ञासु :-गुरुदेव जब भी भक्ति मैं बैठता हूँ तो मन. (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : अगर भाग्य के (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : साधारण जीवन में परमात्म (1)
- जिंदगी (1)
- जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली (1)
- जिंदगी को (1)
- ज़िन्दगी के पन्ने पर कुछ ऐसा लिख जा (1)
- जिन्दगी के प्रत्येक कर्म (1)
- जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ (1)
- जिन्दगी वक्त के रूप (1)
- जिस समय तुम संसार में उलझ (1)
- जिसके पास धैर्य है (1)
- जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है (1)
- जीना मरना (1)
- जीने की समझ (1)
- जीभ (1)
- जीवन (1)
- जीवन की दिशा बदल (1)
- जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं (1)
- जीवन की वाटिका (1)
- जीवन की सम्पूर्णता है आनन्द (1)
- जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं (1)
- जीवन जीने की अनुपम विधा है (1)
- जीवन में जरुरी (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध को (1)
- जीवन में श्रेष्ठ को जान (1)
- जीवन में सब तरह के रंग (1)
- जीवन रुपी रस्सी को नाव से खोलोगे (1)
- जीवन संगीत (1)
- जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता (1)
- जुआ (1)
- जुआ सुख (1)
- जैसे आँखों में मोतियाबिंद (1)
- जैसे दिन को सजाता है (1)
- जैसे भेड़ों का झुंड चलता है (1)
- जैसे सोना अग्नि में पड़कर (1)
- जो आज वर्तमान है (2)
- जो तुम्हारे पास नहीं (1)
- जो परम तत्त्व हमारे अंतर में बसा हुआ है (2)
- जो बीत गया सो बीत गया (1)
- जो भी रोजी रोटी कमाने का रास्ता (1)
- ज्ञानोदय (1)
- झूंट (1)
- तप से (1)
- तीर्थ आपके अदंर हें (1)
- तू-तू (1)
- त्याग कारो तृष्णा का (1)
- दया धर्म का मूल हे (1)
- दिया (1)
- दिया जला नहीं सकते (1)
- दिया जला नहीं सकते तो (1)
- दुःख -सुख (1)
- दुःख की लकीरे मन को दबाने लगे तो (1)
- दुनिया की आँखों में धूल (1)
- दुनिया की पुरानी रीत (1)
- दुनिया में जहाँ विनम्रता से कार्य (1)
- दुनिया में भगवान को चाहने वाले कम हे... (1)
- दुर्भाग्य (1)
- दूर की दर्ष्टि रखना जीवन एक महान गुण हे (1)
- दूसरों के दोष ढूंढने में अपनी शक्ति (1)
- दूसरों को चोट पहुँचाने (1)
- दोष (1)
- द्रढ निश्चय (1)
- द्वंद (1)
- धन (1)
- धन -ज्ञान (1)
- धन मिल भी जाए तो (1)
- धन साधन हें साध्य नहीं (1)
- धन्यवाद (1)
- धर्म (3)
- धर्म की कसौटी (1)
- धेर्य बहुत बड़ा गुण हे (1)
- न अत्याचार करो न (1)
- न तो संसार मैं (1)
- नया आ रहा है (1)
- नववर्ष के स्वागतार्थ सदगुरु की सदप्रेरणा (1)
- निचे न गिरें (1)
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- परमात्मा के निमित आप कोई भी कार्य करे (1)
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- प्रार्थना का मतलब हें धन्यवाद करना और (1)
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- महाराजश्री के (1)
- महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम (1)
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- मुर्ख (1)
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- मूर्खता चोट (1)
- में-में की लड़ाई से कैसे बचें (1)
- यदि किसी को कुछ दे दिया (1)
- यह जीवन छुरे (1)
- याद रखिए अगर भय है (1)
- रक्षा करो प्रेम (1)
- रहने का तरीका (1)
- राख को तो चीं (1)
- रोज यह सोचो की (1)
- लक्ष्य (1)
- लड़ाई (1)
- लापरवाही (1)
- लालच (1)
- वह इंसान महान है जो अपने नियम और मर्यादा (1)
- वहा ये बात प्रमुख हे कि.... (1)
- वाणी मैं अनर्थ (1)
- विद्यार्थियों के लिए धर्म का सूत्र (1)
- विद्यार्थियों के लिए धर्म के सूत्र (1)
- विपरीत समय में दुनिया (1)
- विराट सत्संग उल्ल्हासनगर (1)
- विराट भक्ति सत्संग (1)
- विराट भक्ति सत्संग् (1)
- विराटता (1)
- विश्वास (1)
- वे माता पिता अपनी (1)
- वेद (1)
- शांत मस्तिष्क ही सही (1)
- शान्ति (1)
- शान्ति एव सौहार्द की प्रतिमूर्ति हैं सदगुरु (1)
- शिव जी की प्रार्थना (1)
- शिवजी के १०८ नाम (1)
- शुभ कर्म (1)
- शुभ का स्वागत करो (1)
- श्री गणपति भगवान (1)
- सज्जनता (1)
- सत्कर्म (1)
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- सदगुरु की अमृत वाणी (1)
- सदगुरु के अनमोल बोल (1)
- सदगुरु चालीसा (1)
- सन्तान कौन सी अच्छी है (1)
- सफ़र (1)
- सफ़लता के मार्ग पर (1)
- सफलता यात्रा हे लक्ष्य (1)
- सब कुछ खो जाए (2)
- सबसे उपयुक्त समय ----- (1)
- सबसे बड़ा प्रेरक मनु (1)
- सभ्यता (1)
- समस्या को पहले समझो (1)
- समस्या से उपर उठो (1)
- सम्पति और समय (1)
- संसार (1)
- संसार में समय को बहुमूल्य संपदा माना गया हैन (1)
- सही raah (1)
- सात क़ा रहस्य (1)
- साधना शिविर मनाली (1)
- सीखिए (1)
- सीखिए: (1)
- सुख अच्छा लगता है (1)
- सुख और दुःख (1)
- सूचना (1)
- सेवा (1)
- सोते समय मन को (1)
- स्वर्ग नरक (1)
- स्वर्ग नरक भगवान् ने नहीं बनाए (1)
- हम जो संक्षिप्त मार्ग ढ़ूढ़ रहे (1)
- हमारी रचनात्मक (1)
- हमारे कर्म हे उलझन हें (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है (1)
- हमें अश्रद्धा (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता है (1)
- हर भक्त की पुकार अपने सद्गुरुजी (1)
- हर शुभ कार्य प्रारभ करने से पूर्व कठिन प्रतीत होता हे (1)
- हंसी दुखों को दूर (1)
- हाथों से कर्म करने की (1)