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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Tuesday, September 29, 2009

Fw: अमृत वचन

 
 
Subject: अमृत वचन

"शरीर की शुद्धि जल से होती है,

मन की शुद्धि सत्य से होती है,

आत्मा की शुद्धि विद्या और तप से होती है,

बुद्धि की शुद्धि ज्ञान से होती है।"

 

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

Humble Devotee
Praveen Verma
 


Water purifies the Body,
Truth purifies the Mind,
Knowledge and devout austerity purifies the Soul,
Intellect gets purified by the inner wisdom.
 
His Holiness Sudhanshuji Maharaj
 
 
Humble Devotee
Praveen Verma

 


 




Insert movie times and more without leaving Hotmail®. See how.

Thursday, September 24, 2009

गीता

जिसने गीता की अमृतमयी -ज्ञान की बूंदों को चख लिया उसके लिए स्वंय का कष्ट तो कष्ट रहता ही नहीं ! वह दुनिया के कष्टों का निवार्ण करने के लिये निकल पङता हें !

Tuesday, September 22, 2009

प्रेम

  • अपने अहंकार को खत्म करके प्रेम भाव से घर - गृह्स्ती में रहना चाहिए ! गृहस्त में हर पति - पत्नी को अपने अन्दर के अहम भावों को ,अपनी जिद्द को आगे नहीं आने देना चाहिए !प्रेम की शक्ति से बडा कोइ बल नहीं हे और प्रेम की कोइ कीमत नहीं ! जिन के अन्दर प्रेम है ऊन्हें खरीदा नहीं जा सकता 1प्रेम में शिकायत नहीं ,प्रेम मिट जायेगा तो विकास रुक जायेगा !घर में अशान्ति हो तो शरीर का विकास रुक जायेगा इसलिए परिवार के सदस्यों में आपस में बहुत प्रेम होना चाहिए !

Sunday, September 20, 2009

Fw: अमृत वचन

 
 
Subject: अमृत वचन

"महानता जब आपके अन्दर जागती है तो आप नीचा कुछ भी कार्य नहीं करेगें। ऐसा कुछ भी नहीं करेंगें जिससे आपको खुद भी निराशा हो।

इसलिए ध्यान रखें जैसे जैसे हम प्रभु के निकट होते जाते है हमारे अन्दर एक पूर्णता आती है , हमारा अधूरापन दूर होता है,

हमारी सम्पूर्णता जाग्रत होने लग जाती है।"

 

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

 

 

"Nobility will not let you do anything which is lowliness and inferior. You will also not do anything which brings regret and discontent.

So keep it in mind, having a close relation with God brings wholeness and totality in us. Scarcity and imperfection fade away and totality

awakens."

 

His Holiness Sudhanshuji Maharaj

 

 

Humble Devotee

Praveen Verma







!

Saturday, September 19, 2009

भावनायें

सृष्टि का आधार है गृहस्त आश्रम और सुखी गृहस्त का आधार है प्रेम एवं सहानुभुति ! घर परिवार में मनुष्य को प्रेम -सहानुभूती चाहिए !भावनायें संबंधों को मजबूत करने में बहुत काम आती हैं , बच्चे के जीवन में माँ बाप के वात्सल्य के बिना बहुत कुछ अविकसित रह जाता है !जहां प्रेम है वहां समर्पण भी है !शादी के समय वर कन्या एक दुसरे को हार पहनाते हैं , अगर उस हार के अन्दर का धागा टूट जाए तो फूल बिखर जाते हैं ! जैसे वह हार नहीं रहता ऐसे ही गृहस्त जीवन प्रेम के धागे से बंधा रहता है और प्रेम टूट गया तो परिवार बिखर गया !घर परिवार में प्रेम नहीं तो व्यक्ति कितना ज्ञानी ,कितना ध्यानी और कितना ही बली और बहादुर क्यों न हो मिट जायेगा !

Wednesday, September 16, 2009

धन साधन हें साध्य नहीं

धन साधन हें साध्य नहीं !यह मंजिल पर पहुँचने के लिए वाहन हें लेकिन मंजिल नहीं ! धन आपको यंत्र दे सकता हें , संगीत नहीं , मकान दे सकता हें आराम नहीं ! नौकर दे सकता हें पर वफादार सेवक नहीं ! इसलिए धन को मंजिल पर पहुंचाने का साधन तो बनाओ पर धन को ही मंजिल मानकर मत् बैठ जाओ !

Sunday, September 13, 2009

जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ



  • जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ ! हर कर्म को खेल बनाओ ! दुखी मत हो ,हर समय खुश रहने की कोशिश करो ! उलझनें आयें तो सुलझाने की कोशिश करो !
  • संग्रह कर्ता राजगर्ग

Thursday, September 10, 2009

उपासना



  • सत्य को देखने की कोशिश करो ,प्रभू को समझो ,हवा साँसों में भर जायं ,समुन्द्र की लहरें आपकी नसों में लहराने लग जाये ,तब आपकी उपासना शुरू होती है !

  • संग्रह करता राज गर्ग

पारस मणी



  • यदि आपने पात्रता सिद्ध करदी तो गुरु से सब कुछ ले सकते हो ! पारस मणि से भी कीमती हैं गुरु !

  • संग्रह करता राज गर्ग

Tuesday, September 8, 2009

चकोर को चैन मिलता है

  • चकोर को चैन मिलता है चन्द्रमा को देखकर ,कमल खिलता है सूर्य को देखकर ,शिष्य का ह्रदय खिलता है , सदगुरु को देखकर !

  • ईंट पत्थर के तो मकान बनते हैं और भावनाओं से घर बनते हैं !

Thursday, September 3, 2009

मन की शान्ति (भाग -३ )

मन की शान्ति (भाग -३ )

हर परिस्थिति में खुश रहो !
अगर खुश रहना चाहते जो तो खुशी बांटो शान्ति आएगी !
प्यार पाना चाहते जो तो प्यार बांटो -शांती आएगी !
वाणी और स्वाद पर नियंत्रण रखो !
हमेशा सत्य पर चलो !

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