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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Saturday, January 30, 2010

इंसान पदार्थो का बहुत महत्व मानने लग जाता है



Subject: अमृत वचन


इंसान पदार्थो का बहुत महत्व मानने लग जाता है। ज्ञान की बडी-बडी बातें भी करता है, लेकिन प्राप्ति तब होती है जिस दिन यह अहसास हो जाता है कि पदार्थ दिए हैं मालिक ने खेल करने के लिए, मालिक ले भी सकता है। लेकिन मुझे पदार्थ के पीछे नहीं भागना है, मालिक को ही पकड़ लेना है।


परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज


A person gives a lot of importance or value to worldly things. People also talk big and make grandious assertions about knowing a lot. But any kind of spiritual attainment only happens when he realizes that God has given these worldly things to play with and God can take them away as well. Instead of trying to acquire things, people should try to connect with the owner of those things - God.


Translated by Humble Devotee
Praveen Verma


Monday, January 25, 2010

AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] अमृत वाणी

१. परोपकार ही धर्मं है.

२. प्रतियोगता में मनुष्य को इंसानियत नहीं भुलानी चाहिए

पूज्य सुधांशुजी महाराज के प्रवचनाशं

निरंजन अग्रवाल



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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 1/25/2010 10:30:00 AM

Friday, January 22, 2010

AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] धेर्य

१. धेर्य रखना सफलता क़ा एक बहुत बड़ा मूल मंत्र है.

. बच्चों को धेर्य रखने की शिक्षा शुरुवात से देनी चाहिए और धर्म का ज्ञानं उनमें जागृत करना चाहिए

निरंजन अग्रवाल



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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 1/21/2010 10:12:00 AM

Tuesday, January 19, 2010

vichar

विचार ही विचार की औषधि हे ,मन की औषधि पवित्र विचार हे । इसलिए वही देखो ,वही पढो और वही सुनो जो कल्याण कारक हो !

ग़ुरुवर सुधंशुजी महाराज के प्रवचनांश

Wednesday, January 13, 2010

GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL-Good thoughts by SUDHANSHUJI Maharaj] माफी

----- Original Message -----
To: mggarga@gmail.com
Sent: Tuesday, January 12, 2010 9:53 PM
Subject: [GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL-Good thoughts by SUDHANSHUJI Maharaj] माफी


दूसरों को आसानी से माफ करदो मगर अपने आप को कभी माफ मत् करो !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

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Madan Gopal Garga द्वारा GURU VATIKA SE CHUNE PHOOL-Good thoughts by SUDHANSHUJI Maharaj के लिए 1/12/2010 09:50:00 PM को पोस्ट किया गया

Tuesday, January 12, 2010

AMRIT VANI Good thaughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] प्रेम

----- Original Message ----- To: mggarga@gmail.com
Sent: Tuesday, January 12, 2010 9:40 AM
Subject: [AMRIT VANI Good thaughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] प्रेम


ध्यान रखिए हर तरह से पूजा में हम प्रेम भेंट करते हें ,चीनी हो मीठा न हो इसी तरह प्रेम होना चाहिए
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश


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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thaughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 1/12/2010 05:19:00 AM

Sunday, January 10, 2010

Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ki AMRIT VANI] तर्क और प्यार

----- Original Message ----- To: mggarga@gmail.com
Sent: Sunday, January 10, 2010 9:01 AM
Subject: [Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ki AMRIT VANI] तर्क और प्यार


तर्क कर लेना भली बात हें पर उसको तकरार में मत् बदल लेना !
जितना त्याग होगा उतना प्यार गहरा होगा ,त्यागी बनो प्यार अपने आप होजाएगा
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

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Posted By Madan Gopal Garga to Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj ki AMRIT VANI at 1/10/2010 08:57:00 AM

Saturday, January 9, 2010

आपके द्वारा जितने लोग दुनिया में अच्छाई पर चलते जायेंगे




"आपके द्वारा जितने लोग दुनिया में अच्छाई पर चलते जायेंगे, उनके पुण्यों का कुच्छ-न-कुच्छ भाग आपके खाते में जुडता चला जायेगा। अगर हम बुरे रहें और बुराई का प्रचार करते रहे तो जो बुराई हम कर रहें हैं, वह बुराई तो हमारे खाते में जुड ही रही है, लेकिन हमारी बुराई से प्रभावित होकर जो लोग बुरे बन रहें है, उनकी बुराई का अंश भी हमारे खाते में जुडता जायेगा। इसलिए जो आदमी अच्छा था, उसकी अच्छाइयों का, उसके पुण्यों का अंश तो उसके खाते में है ही, लेकिन उसके मरने के बाद भी उसकी गुण-सुगंध से लोग प्रभावित होते हैं । जिसकी कीर्ति दुनिया में रहती है, उससे प्रभावित होकर लोग जो पुण्य करते हैं , वह आत्मा कहीं भी हो, वहीं उसके खाते में पुण्य जुडते जाते हैं और वह उससे शांति और सुख भोगते रहते हैं । "


परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज


Our good and bad deeds are calculated into an account. When others do good deeds influenced by us that too get placed in our account. Similarly when bad or evil deeds are committed by people upon our influence, that also effects our account. A good man's righteous deeds seal his account while he is alive and after death also his moral deeds affect others to act in a just and good way. The soul of that glorious person remains in peace and ease because of all the good deeds added to its account.




Translated by Humble Devotee
Praveen Verma






Friday, January 8, 2010

GURUVANNI सफ़र

----- Original Message ----- To: mggarga@gmail.com
Sent: Thursday, January 07, 2010 7:25 PM
Subject: [GURUVANNI] सफ़र


जैसे गाडी में बैठ कर जा रहें हें स्टेशन छुटते जा रहे हें ,ऐसे ही जिन्दगी के सफ़र में भी जो बीत गया सो बीत गया याद करके दुःखी मत् ह़ोओं ! गलतियों से शिक्षा लो !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

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Posted By Madan Gopal Garga to GURUVANNI at 1/07/2010 07:20:00 PM

Thursday, January 7, 2010

Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj Fw: नव वर्ष की शुभ काम्नाएं



सु:ख समृद्धि से भरपूर
हर घर आंगन हो !
जीवन में नित नूतन खुशियां आएँ ,
हर दिन ,हर पल मन भावन हो !
फैले यश कीर्ति दिग्दगान्त,
तन मन धन अति पावन हो !
बढे प्रेम श्रद्धा सिमरन नित ,
हरि कृपा का बरसता सावन हो !
नव वर्ष की आप सबको ,
हार्दिक मंगल कामनाएं !

-आचार्य सुधांशु
जीवन संचेतना जनवरी 2010



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Posted By Madan Gopal Garga to Param Pujya Sudhanshu Ji Maharaj at 1/05/2010 10:02:00 PM

गृहस्थ आश्रम के ३१ वर्ष सम्पन्न होने पर बधाई

----- Original Message ----- To: mggarga312@gmail.com
Sent: Tuesday, January 05, 2010 9:49 PM
Subject: [ANANDDHAM.ORG] गृहस्थ आश्रम के ३१ वर्ष सम्पन्न होने पर बधाई



परम श्रद्धेय सदगुरुदेव जी एवं परम पूज्या गुरुमाता जी को

गुरुभाक्तों के ओर से बधाई !

परम श्रद्धेय सदगुरु श्रीसुधांशुजी महाराज एवं परम आदरणीया

गुरुमाता श्रीमती ऋचासुधांशुजी के गृहस्थ आश्रम के ३१ वर्ष सम्पन्न

होने पर समस्त भक्तजनों की गुरुचरणों मैं हार्दिक शुभकामनाएं !

शत शत नमन एवं अभिनन्दन

१४ जनवरी मकर संक्रान्ति उतरायण का पावन पर्व गुरुदेव -गुरुमां

के ग्रहस्थ प्रवेश की मंगलमयी मधुर समृति है ! सभी भक्तजनों को

इस मंगल पर्व की लाख-लाख बधाई !
जीवन संचेतना जनवरी २०१०




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Posted By Madan Gopal Garga to ANANDDHAM.ORG at 1/05/2010 09:21:00 PM

सफ़र

जैसे गाडी में बैठ कर जा रहें हें स्टेशन छुटते जा रहे हें ,ऐसे ही जिन्दगी के सफ़र में भी जो बीत गया सो बीत गया याद करके दुःखी मत् ह़ोओं ! गलतियों से शिक्षा को !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Tuesday, January 5, 2010

अदंर की मजबूती

] अदंर की मजबूती



अदंर से मजबूत रहो ताकि दुःख को दबा सको और आनंद से रह सको !

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश


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Sunday, January 3, 2010

सात क़ा रहस्य

आपका शरीर सात चक्रों में बंधा हुआ हें ! सात दिनों में ही जिंदगी पूरी होती हें ,सात सुरों में सारा संगीत बंधा हुआ हें ! रंग भी सात हें ,समुन्द्र सात हें ,सप्त आहुतियाँ हें ,सप्त द्वीप हें , सप्त ऋषि हें ,इसलिए सात क़ा बड़ा महत्त्व हें , इन सात दिनों में अपने जीवन को व्यवस्थित कर लें ,तो आपका कल्याण जो जायेगा !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Saturday, January 2, 2010

गुरु ज्ञान-वाटिका के सुन्दर सुमन

----- Original Message ----- To: mggarga@gmail.com
Sent: Friday, January 01, 2010 9:43 AM
Subject: [AMRIT VANI] गुरु ज्ञान-वाटिका के सुन्दर सुमन


"बड़ी चीज़ हाथ में आ जाए तो छोटी को फेंकना नहीं । तलवार हाथ में आ जाए तो सुई को नहीं फेंकना । बड़े लोग तुम्हें मिल जायें तो छोटे को भूलना नहीं । पता नहीं बड़ा कब आये और कब दूर हो जाए, लेकिन जो छोटा है, वह एक बार किसी का हो जाए तो फिर दूर नहीं जाता है। साधारण लोग भी बड़े महत्वपूर्ण होते है। जिनको आप बहुत बड़ा कहते है, उनके अन्दर बड़प्पन का अहंकार भरा रहता है और पैसे के कारण वे बड़े आदमी कहलाते है। पैसा छाया के समान है। छाया घटती बढ़ती रहती है। इसलिए छाया की तरफ ध्यान न देकर उसकी तरफ ध्यान दो, जिसके कारण यह छाया बढ़ती और घटती है।"

परमपूज्य सुधांशुजी महाराज

Do not discard small things like a needle when you possess something big like a sword. Similarly when you are friends with famous people, do not forget the common or ordinary people. You never know when the famous people come in your life and leave, but the common person stay faithful and truthful. Ordinary people can also be important. Prominent people can have a big ego because of their fame and riches. Riches are like a shadow. A shadow keeps increasing and decreasing. Do not concentrate on the shadow, instead pay attention to the Supreme being who is behind the fluctuation.

Translated by Humble Devotee

Praveen Verma










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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI at 1/01/2010 09:43:00 AM

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