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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Saturday, February 27, 2010

send me tha detail of maharaj ji.

----- Original Message -----
From: mggarga
To: Jitender Singh Singh
Sent: Friday, February 26, 2010 9:00 PM
Subject: Re: send me tha detail of maharaj ji.


please visit the site given below for future progm.
http://adhyatmik.blogspot.com
sony tv morning 6.30 to 7.oo am Sunday to yhursday
sanskaar tv morning 6.50to 7.00
sadhana tv morning 8.40 to 9.00 am
jee tv on saturday morning 7.30 to 8.00
----- Original Message -----
From: Jitender


Hello Sir,
Kya aap mujhea maharaj ji ke ane wale programme ke bare me bata sakte ho taki me parents maharaj ji ke parwachn ko sun sake. Aur aap mujhea ye bhi bata dena ki maharaj ji ke programme kis zee or sony ke illawa our kis channel par aate hain.


Friday, February 26, 2010

कड़वाहट



भगवान शिव ने जब विष पीया तो उसको गले मैं रखा और इस दुनिया को कह दिया की दुनिया की कड़वाहट को पी जाना , पर कड़वाहट को पीकर गले तक ही रखना ,गले से नीचे नहीं उतरनेदेना .दिल तक नहीं पहुँचने देना .दुनिया की बातें दिल को लगाने के लिए नहीं है !अगर दिल पर लगाकर बैठ गए तो खुद का जीना मुश्किल हों जाएगा !और अगर कड़वाहट को मुख से बाहर उगल दिया तो दूसरों के लिए परशानी खाडी हों जाएगी 1

Thursday, February 25, 2010

स्वर्ग नरक भगवान् ने नहीं बनाए

स्वर्ग नरक



स्वर्ग नरक भगवान् ने नहीं बनाए यह इंसान ख़ुद बनाता ही !

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

स्वर्ग नरक


स्वर्ग नरक भगवान् ने नहीं बनाए यह इंसान ख़ुद बनाता ही !

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Wednesday, February 24, 2010

कानून

कानून


आप अपने को नहीं बदलते और भगवान से चाहते हें कि वह अपना कानून बदलदे !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Tuesday, February 23, 2010

क्रोध

क्रोध


जब हम किसी चीज़ को लगातार देखते तो उस में संग पैदा होता हे ,संग होने के बाद उस को पाने की कामना होने लगती हे ,जब कामना पुरी नहीं होती या कोई होने नहीं देता तो क्रोध आता हे , क्रोध आने के बाद मूढ़ता आ जाती हे और बुधि भ्रमित होजाती हें जिस से मनुष्य कोई निर्णय लेने के लायक नहीं रहता और वह गलत करने लगता हे !
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Monday, February 22, 2010

दिया

दिया


आपने दिया जला रखा था ,खिड़की खुली तेज हवा के झोके से और दीये को बुझा कर चली गई और आपको अँधेरे मैं कर दिया ! ऐसे ही आपके मन मैं कोई लहर उठी हे जो आपके अन्दर होश का दिया जल रहा था उसे बुझा कर चली जाएगी और आपको अँधेरे मैं कर देगी , फिर आप विपरीत दिशा के और चल पड़ोगे !

Saturday, February 20, 2010

न अत्याचार करो न

अमृत वाणी


न अत्याचार करो न अत्याचार सहो यही धर्म हे !

Tuesday, February 16, 2010

Amrit Vani






Subject: Amrit Vani


Hari Om

Few points from Today's Parwachan;

1. Prarthana mai adhbhut shakti hoti hai aur Prarthana hi hume Us asim satta sai jodti hai

2. Jiwan ka aanand chhod kar kal ke liye sangharasha karna murkhta hai.

Niranjan Agarwal



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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 2/16/2010 03:05:00 AM

Friday, February 12, 2010

] शिव जी की प्रार्थना




Sent: Friday, February 12, 2010 5:40 AM
Subject: [Madan Gopal Garga] शिव जी की प्रार्थना








  • मेरा शंकर भोला है मेरा शंकर भोला है !
    शिव शंकर मेरा भोला है भीमशंकर मेरा भोला है !!
    उसके एक हाथ में डमरू सोहे दुसरे हाथ में भाला !
    बाम अंग में गौरी विराजत गोद में गणपति लाला है !!
  • पाऊं में खडाऊं साजत कानन में कुंडल !
    माथे पर चन्द्रमा विराजत केसों से बहती गंग धारा है !!
    विष्णु को देदी मोतिन की माला ख़ुद पहने सर्पों की माला है !
    विष्णु को देदी पीताम्बरी खुद ओढे गज छाला है !!
    ब्रह्मा को देदिया ब्रह्मा लोक और विष्णू को देदिया स्वर्ग लोक ख़ुद रहता है मरघट में !
    देवों को देदिया अमृत का प्याला ख़ुद पी गये विष प्याला है !!
    कहे मदन गोपाल मेरा शंकर भोला है !
  • १-८-2006





श्री गणेशाय नमः

प्रथम वंदना गणपति जी की, पूर्ण करे जो काम।हाथ जोड़ विनती करु, मेरी पत्त राखो भगवान।
हंस वाहिनी शारदे तुम्हे, शत शत करु प्रणाम।सुधांशु जी मेरी प्रेरणा, गुरुवार का प्रसाद।



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Posted By Madan Gopal Garga to Madan Gopal Garga at 8/15/2007 07:41:00 PM

Tuesday, February 9, 2010

१. कमजोर मनशक्ति ही अंधविश्वास




१. कमजोर मनशक्ति ही अंधविश्वास क़ा बहुत बड़ा कारण है
२. मनुष्य को ज्यादा भाग्यवादी नहीं बनना चाहिए वरना उसकी कर्म करने की शक्ति कमजोर हो जाती है और वह आगे नहीं बढ़ पाता
प्ररमपुज्य सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
निरंजन अग्रवाल


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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 2/09/2010 11:25:00 AM

Sunday, February 7, 2010

AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj] सदगुरु की अमृत ...



बाजार में जाते समय बहुत तरह की चीज़े देखते हैं , कुछ आकर्षक हैं तो कुछ सामान्य्।

किसी का अच्छा मकान देखकर, मन में विचार आया होगा कि मुझे अवसर मिले तो ऐसा ही मकान मै भी बनाऊँगा । आकर्षक जेवर देखकर प्रायः महिलाओं के मन में भावना आती है कि कभी पैसे होंगें, अवसर आएगा तो जरुर ऐसे जेवर बनवाएंगे। रास्ते के कूड्रे चरे को देखकर आपके मन में कभी कोई आकर्षण पैदा नहीं होता, बल्कि उसे उपेक्षा से देखते है। उधर से ध्यान हटा लेते है, उसे आप कभी भी याद नहीं रखना चाहते। जिसे आप याद नहीं रखना चाहते उसे आप उपेक्षा से देखते है। संसार को भी उपेक्षा से देखिए। अन्यथा इस संसार में जहां भी चलेंगे, जिसे भी देखेंगे, उसकी धूल आपके अन्तःकरण पर जरूर पडेगी और फिर वह खींचकर पूरी तरह से संसार की तरफ ले जाएगी।

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज

We observe a lot of things when we go to the store. Some are attractive and some ordinary. When you see a beautiful house, people often think that if they get the chance to build a house, they will build one similar to the beautiful house. Occasionally, when a woman sees attractive jewellery, she often things that when she has the money and the occassion comes, she must have that jewellery.

When we see trash, we never get attracted to it or want it. In fact we disregard it and it does not make an impresssion on us. We should also see the world this way. We should not get attracted to the world.(as we have to disregard it one day) Otherwise whereever we go, whatever we see, it will create an inner impression. If we are unable to disregard the world, our focus and attention will be taken away from God, where spirituality lies.

Translated by Humble Devotee

Praveen Verma












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Posted By Madan Gopal Garga to AMRIT VANI Good thoughts by Param Pujay SUDHANSHUJI Maharaj at 2/05/2010 04:20:00 AM

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