disciple of Sudhanshuji Maharaj
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About Me
Friday, February 28, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] संसार मे ना कोई
सच्ची संपदा
सही अर्थों मैं माता पिता की सच्ची संपदा उनकी संतान है !ये ही आपकी सच्ची दौलत हैं ,खजाना हैं !उन्हें ठीक तरह संम्भालना उनकी जिम्मेदारी है !उनको संम्भालना बिजनेस संम्भालने से ज्यादा जरूरी है
जो स्वंय अच्छा
* जो स्वंय अच्छा नहीं कर सकते वे दूसरों की आलोचना करते रहते हैं। लेकिन जो स्वंय करने में सक्षम हैं वे तो स्वंय करके आदर्श स्थापित करते हैं ।
Thursday, February 27, 2014
Fwd: [Sarathi (Vjm mumbai mandal)] 108 Names of Lord Shiva
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Tuesday, February 25, 2014
Monday, February 24, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] अच्छे संस्कार
वर्त्तमान के
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वर्त्तमान के ललाट पर भविष्य के मोती चमकते हैं 1Sunday, February 23, 2014
Friday, February 21, 2014
Wednesday, February 19, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] agar aap
Tuesday, February 18, 2014
Fwd: [VISHWA JAGRITI MISSION] गुरि और शिष्य का नाता
गुरु और शिष्य का नाता
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Fwd: [VISHWA JAGRITI MISSION] Hari Om Family ! Here is the recording of the...
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Monday, February 17, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] kuchh maan kar
Fwd: [AMRIT VANI ] khushi tu aaye
Fwd: [AMRIT VANI ] man ko shaant
Sunday, February 16, 2014
Fwd: [VISHWA JAGRITI MISSION] आप प्रेम के बिना जी नहीं सकते ! प्रेम को भक्ति...
आप प्रेम के बिना जी नहीं सकते ! प्रेम को भक्ति...
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Fwd: [VISHWA JAGRITI MISSION] Live Discourse by His Holiness Sudhanshu ji Maharaj in Dubai, 7th Feb, 2014
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Saturday, February 15, 2014
Friday, February 14, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] bhala kardiya
Wednesday, February 12, 2014
Tuesday, February 11, 2014
प्रकृति से शिक्षा
प्रकृति से शिक्षा
फूलों से तुम हँसना सीखो ,भोरों से तुम गाना !
सूर्य की किरणों से सीखो ,जगना और जगाना !!
मुर्गे की बोली से सीखो ,प्रात काल उठ जाना !
महन्दी के पत्तों से सीखो ,पिस पिस कर रंग लाना !!
फलदार बृक्षों से सीखो ,फल पाकर झुक जाना !
पतझड़ बृक्षों से सीखो ,दुःख मैं न घबराना !!
अग्नि और धूएं से सीखो ,ऊंची मंजिल जाना !
मछली के जीवन से सीखो ,धर्म के हित मर जाना !!
पृथ्वी से सहनशक्ति सीखो, वायु से सर्व समाना !
जीवन मैं सब से कुछ सीखो जो चाहो कल्याना !!
जीवन की राहें से
Monday, February 10, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] guru gyan
Fwd: [AMRIT VANI ] guru charnokee
Sunday, February 9, 2014
Saturday, February 8, 2014
Fwd: [Anmol vachan] अपनी भारत की संस्कृति को पहचाने
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- आज अध्यात्म की (1)
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- आज का गुरु संदेश 10-7-13-बड़े से बड़े संकट मैं (1)
- आज का गुरु संदेश 26-6-2013---आपका वास्तविक रूप (1)
- आज का गुरु संदेश 27-6-2013-जो दिन बीत (1)
- आज का गुरु संदेश 4-7-13 (1)
- आज का गुरु संदेश 5-7-13-फूल बन कर (2)
- आज का गुरु संदेश 6-7-13-अपना रोज (1)
- आज का गुरु संदेश 7-7-13-भगवान इतना (1)
- आज का गुरु संदेश 8-7-13-शूल को जो फूल (1)
- आज का गुरु संदेश9-7-13-मनुष्य की आदत है (1)
- आज का जीवन सूत्र ११-४-१२ (1)
- आज का जीवन सूत्र 2-8-13-सदगुरु अपनी वाणी (1)
- आज का जीवन सूत्र २९-७-११ (1)
- आज का जीवन सूत्र ३-८-११ (1)
- आज का जीवन सूत्र 30-7-11 (1)
- आज का जीवन सूत्र ४-३-२०१२ (1)
- आज का जीवन सूत्र-10-4-2011 (1)
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- गलती (1)
- गीता (1)
- गुरु (1)
- गुरु का पत्र अपने प्यारों के नाम (1)
- गुरु के प्यारों के आनन्द का पर्व ----"-उल्लास पर्व " समारोह २०११ (1)
- गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी (1)
- गुरु को संभाल लो तो गोविन्दअमृतवाणी (1)
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- गुरु ज्ञान की गंगा (1)
- गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प (1)
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- गुरुदेव -गुरुमां के ग्रहस्थ प्रवेश (1)
- गुरुदेव जीवन में सात्विक भाव जगाने के लिए क्या क... (1)
- गुरुदेव धर्म के पथ पर चलने का सदेश सभी देते हें (1)
- गुरुपूर्णिमा महोत्सव के देशव्यापी कार्यकर्म (1)
- गुरुवाणी (1)
- गुरुवाणी २७-४-२०१२ (1)
- गृहस्थ आश्रम के ३१ वर्ष सम्पन्न होने पर बधाई (1)
- घर पर आये अतिथि का स्वागत करना (1)
- घृणा को प्रेम से और (1)
- चकोर को चैन मिलता है (1)
- चार चीज याद रखो (1)
- चिंतन (1)
- चिंता (1)
- चिंता को चबा लेना नहीं तो (1)
- चिंता से चिंतन की (1)
- चिंता से चिंतन की और (1)
- चित्त एक सरोवर (1)
- जग (1)
- जन्म देने वाले मालिक (1)
- जब आपके पास सही विचार हैं (1)
- जब कभी संकट की बेला (1)
- जब जीवन मैं (1)
- जब तक आदर्श विचारों में (1)
- जब भी बोलो यह सोच के बोलो (1)
- जब मन में सन्तुष्टी हो (1)
- जब संसार की वासनाओं का (1)
- जब हम कर्म के फल की कामना (1)
- जहां भी त्याग की भावना (1)
- जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी (1)
- जागो (1)
- जिज्ञासा प्रारंभ में परमात्मा ने हमको दी णी (1)
- जिज्ञासु :-गुरुदेव जब भी भक्ति मैं बैठता हूँ तो मन. (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : अगर भाग्य के (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : साधारण जीवन में परमात्म (1)
- जिंदगी (1)
- जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली (1)
- जिंदगी को (1)
- ज़िन्दगी के पन्ने पर कुछ ऐसा लिख जा (1)
- जिन्दगी के प्रत्येक कर्म (1)
- जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ (1)
- जिन्दगी वक्त के रूप (1)
- जिस समय तुम संसार में उलझ (1)
- जिसके पास धैर्य है (1)
- जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है (1)
- जीना मरना (1)
- जीने की समझ (1)
- जीभ (1)
- जीवन (1)
- जीवन की दिशा बदल (1)
- जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं (1)
- जीवन की वाटिका (1)
- जीवन की सम्पूर्णता है आनन्द (1)
- जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं (1)
- जीवन जीने की अनुपम विधा है (1)
- जीवन में जरुरी (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध को (1)
- जीवन में श्रेष्ठ को जान (1)
- जीवन में सब तरह के रंग (1)
- जीवन रुपी रस्सी को नाव से खोलोगे (1)
- जीवन संगीत (1)
- जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता (1)
- जुआ (1)
- जुआ सुख (1)
- जैसे आँखों में मोतियाबिंद (1)
- जैसे दिन को सजाता है (1)
- जैसे भेड़ों का झुंड चलता है (1)
- जैसे सोना अग्नि में पड़कर (1)
- जो आज वर्तमान है (2)
- जो तुम्हारे पास नहीं (1)
- जो परम तत्त्व हमारे अंतर में बसा हुआ है (2)
- जो बीत गया सो बीत गया (1)
- जो भी रोजी रोटी कमाने का रास्ता (1)
- ज्ञानोदय (1)
- झूंट (1)
- तप से (1)
- तीर्थ आपके अदंर हें (1)
- तू-तू (1)
- त्याग कारो तृष्णा का (1)
- दया धर्म का मूल हे (1)
- दिया (1)
- दिया जला नहीं सकते (1)
- दिया जला नहीं सकते तो (1)
- दुःख -सुख (1)
- दुःख की लकीरे मन को दबाने लगे तो (1)
- दुनिया की आँखों में धूल (1)
- दुनिया की पुरानी रीत (1)
- दुनिया में जहाँ विनम्रता से कार्य (1)
- दुनिया में भगवान को चाहने वाले कम हे... (1)
- दुर्भाग्य (1)
- दूर की दर्ष्टि रखना जीवन एक महान गुण हे (1)
- दूसरों के दोष ढूंढने में अपनी शक्ति (1)
- दूसरों को चोट पहुँचाने (1)
- दोष (1)
- द्रढ निश्चय (1)
- द्वंद (1)
- धन (1)
- धन -ज्ञान (1)
- धन मिल भी जाए तो (1)
- धन साधन हें साध्य नहीं (1)
- धन्यवाद (1)
- धर्म (3)
- धर्म की कसौटी (1)
- धेर्य बहुत बड़ा गुण हे (1)
- न अत्याचार करो न (1)
- न तो संसार मैं (1)
- नया आ रहा है (1)
- नववर्ष के स्वागतार्थ सदगुरु की सदप्रेरणा (1)
- निचे न गिरें (1)
- निराश (1)
- पंछी कभी संग्रह नहीं करते (1)
- परम उद्देश्य (1)
- परमात्मा (1)
- परमात्मा की कृपा सहज ही कैसे होती हैं (1)
- परमात्मा के निमित आप कोई भी कार्य करे (1)
- परिवरतन (1)
- परिस्थितियाँ (1)
- पानी (1)
- पाया है तो (1)
- पारस मणी (1)
- पुण्यरूपी हाथ कौन सा हे ? (1)
- पुरान (1)
- पूज्य महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम (अप्रैल २००९ में ) (1)
- पूज्य श्री के मई ०९ के कार्यक्रम (1)
- पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज का विनम्र निवेदन (1)
- पूज्यश्री के आगामी कार्यक्रम (1)
- पैसा (1)
- पैसे से आप (1)
- प्रकृति का नियम है कि (1)
- प्रत्येक इन्द्रिय का अपना धर्म है (1)
- प्रथ्वी (1)
- प्रभु की भक्ति (1)
- प्रसन्न रहने का स्वभाव बनाओ (1)
- प्रसन्न रहने के (1)
- प्रार्थना (1)
- प्रार्थना का मतलब हें धन्यवाद करना (1)
- प्रार्थना का मतलब हें धन्यवाद करना और (1)
- प्रेम (1)
- बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो (1)
- बहादुर (1)
- बहार की रौशनी के भ्रम में अन्दर के उजाले को मत भूलो (1)
- बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है (1)
- बाल्यकाल (1)
- बुद्धि और मन (1)
- बुरा (1)
- बृद्धों को चाहिए कि ज्यादा बोलने से बचें (1)
- बोध कथाएँ (1)
- बोलना (1)
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- भक्ति करने के लिये कहां से प्रारम्भ करें (1)
- भगवन (1)
- भगवान का निय (1)
- भगवान की पूजा-प्रार्थना इस (1)
- भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रयोग किये गए शब्द प्रार्थना हे (1)
- भगवान के सामने जब बेठो तो हाथ जोड़कर विनम्रता (1)
- भगवान गीता में कहते हें (1)
- भगवान ने आपको दुनियाँ के लाखों (1)
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- भविष्य परमात्मा के हाथ में है (1)
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- सबसे उपयुक्त समय ----- (1)
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- समस्या से उपर उठो (1)
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- संसार में समय को बहुमूल्य संपदा माना गया हैन (1)
- सही raah (1)
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- साधना शिविर मनाली (1)
- सीखिए (1)
- सीखिए: (1)
- सुख अच्छा लगता है (1)
- सुख और दुःख (1)
- सूचना (1)
- सेवा (1)
- सोते समय मन को (1)
- स्वर्ग नरक (1)
- स्वर्ग नरक भगवान् ने नहीं बनाए (1)
- हम जो संक्षिप्त मार्ग ढ़ूढ़ रहे (1)
- हमारी रचनात्मक (1)
- हमारे कर्म हे उलझन हें (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है (1)
- हमें अश्रद्धा (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता है (1)
- हर भक्त की पुकार अपने सद्गुरुजी (1)
- हर शुभ कार्य प्रारभ करने से पूर्व कठिन प्रतीत होता हे (1)
- हंसी दुखों को दूर (1)
- हाथों से कर्म करने की (1)