- अपनी इच्छायों को नियनत्रण में रखो !
- क्रोध मत करो ,क्रोध आया भी हे तो बढ़ने मत दो ,पानी पी लो ,वह जगह छोड़ दो ,लंबे लंबे साँस लो !
- हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करो !
- भगवान ने जो दिया हे उसी में खुश रहो ,जो नहीं दिया उसके बारे में सोच कर दुःखी मत हो !
- किसी की तरक्की देख कर दुःखी मत हो -जलो मत ,उस की तरह बनने की कोशिश करो
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About Me
Thursday, July 31, 2014
मन की शान्ति के लिए
Wednesday, July 30, 2014
"भगवान को पाने
परमात्मा का नूर चारों ओर बरस रहा है, फूलों में , नदियों में , तितलियों के रंगबिरंगे पंखों में । समस्त सृष्टि उसकी सुन्दर रचना है।
इसे पर्यटक बन कर भोगो।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Tuesday, July 29, 2014
Fwd: [ANANDDHAM.ORG] गुरुवाणी
Monday, July 28, 2014
Fwd: [ANANDDHAM.ORG] 9/07/2009 10:11:00 AM
Must read it.......
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From the desk of Yuva Kranti dal |
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Sunday, July 27, 2014
Fwd: अमृत वचन
"हम इस बात को समझें कि सफलताएँ जो जीवन में घटी, उन्हें याद करें और उनसे सबक लें , जिससे उनको दोहराया जा सके।
अपनी विफलताओं को भी याद करो, बारबार उन पर भी ध्यान दो, उनसे भी सबक लो कि वो क्यों घटी ?
और उनको इसलिए ध्यान में रखो कि वो फिर दोहराईं ना जा सकें ।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Friday, July 25, 2014
Fwd: u tubes
Om Naha Shivaya Please look at these videos on shiva Sundaranana http://www.youtube. com/watch? v=EsMVZw2wQyc Om namaha Shivaya1 http://www.youtube. com/watch? v=6dEch2dsPKI Ambe bhavani maa http://www.youtube. com/watch? v=1Ws9fGJULe0 Shivaraja Maheshwara http://www.youtube. com/watch? v=-bAsVEDxnjo Namah Shivaya http://www.youtube. com/watch? v=9EivtnLjaV0 Nagarajan |
Add whatever you love to the Yahoo! India homepage. Try now!
Wednesday, July 23, 2014
Fwd: [ANAND DHAMM] Fw: [GURUVANNI] भावनायें
Monday, July 21, 2014
Fwd: [ANANDDHAM.ORG] संघर्ष
भगवान क्रष्ण ने कहा कि जीवन एक संघर्ष है , चुनोती है ,परिक्षासथल है ,रणक्षेत्र है ,इसका सामना करना होगा ,परीक्षा देनी ही होगी , संघर्ष तब तक रहेगा जब तक सांस चलेगा , इसलिए , संगर्ष से भागना नहीं स्थिर होकर उसका सामना करना !
--
Sunday, July 20, 2014
शुद्धि
शरीर की शुद्धि जल से होती है,
मन की शुद्धि सत्य से होती है,
आत्मा की शुद्धि विद्या और तप से होती है,
बुद्धि की शुद्धि ज्ञान से होती है।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Saturday, July 19, 2014
गुप्त खजाना
सब कुछ खो जाए, तो उसकी परवाह मत करना, लेकिन आपका गुप्त खजाना साहस खो जाए तो सचमुच चिन्ता की बात है;
इसे अवश्य सँभाल लीजिए और कंगाली से बचे रहिए।
Thursday, July 17, 2014
Tuesday, July 15, 2014
Monday, July 14, 2014
आज की
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आज की उपलब्धियों पर सन्तोष करो, मगर अपनी भावी प्रगति की आशा नहीं छोड़ना।
Sunday, July 13, 2014
भाग्य आपको
Friday, July 11, 2014
Wednesday, July 9, 2014
Fwd: [AMRIT VANI ] जबतक पुरानापन
जबतक पुरानापन
जबतक पुरानापन मिटेगा नहीं नया आएगा नहीं ! इस लिए अपने अंदर का कूड़ा करकट बाहर निकालो तभी अंदर परिवर्तन होगा !
--
Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to AMRIT VANI at 7/09/2014 07:09:00 PM
Tuesday, July 8, 2014
Fwd: Alphabet of Happiness...
Messenger blocked? Want to chat? Here is the solution.
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] Happy Home
Happy Home
Whenever you go out keep your head cool,face smilling and speech mellowed with sweetness and return home with same disposition . There will be peace and happiness in your home.
Monday, July 7, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] Enjoy the gifts...
The mind always craves for what you do not have .The hurt and dissatisfaction of what you do not have prevents you from enjoying the things,which you have and forget to thank God for them. Be contended . Always think that God has given you abundantly
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] अच्छे संस्कार
संत पुरूष समझाते हें की बचपन से ही अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दो, उन्हें नियम पर चलना सिखाओ ,उन्हें बाँट कर खाना,मिलकर रहना,सबकी सहायता करना ,और प्रभु सिमरन करना सिखाओ !
अपना हिस्सा खालेना प्रकृति ,
दूसरों का हिस्सा भी खाजाना विकृति ,
अपना हिस्सा भी दूसरों को दे देना संस्कृति ,कहलाती है !
Sunday, July 6, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] लक्ष्य की प्राप्ती
लक्ष्य की प्राप्ती के लिय दृढ इच्छा शक्ती ,कठोर अनुशासन ,सही योजना,सुव्यवस्थित जीवन और कड़ी मेहनत ,दूर द्रष्टि रखिए दूर तक देखिए यह अपनाकर जब आप चलेंगे कैसा भी लक्ष्य हो जरूर प्राप्त होगा ! भाग्य के भरोसे नहीं बैठना कर्मठ बनाना ! तब बात बनेगी !
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] स्मरणीय
समय का नाश सर्वस्य का नाश है ,इसलिए इस बहुमूल्य निधि को व्यर्थ न गवाएँ १जो समय व्यर्थ चला गया वह पुन; प्राप्त नहीं होगा !समय का उपयोग ऐसे करें की शारीरिक ,आत्मिक और सामाजिक स्तर पर आप उन्नत हो सकें ! आपके कर्मों की सुगंध लंबे समय तक महकती रहे ! आप समय को अच्छाई की सुगंध या बुराई की सुगंध में बदल सकते हैं ! जो समय चला गया उस के लिय मत रोओं और उसका विचार भी मत करो ! व्यक्ती कितना भी बीते समय को याद कर कर के रता रहे , जो बीत गया सो बीत गया ! वह लौटकर वापिस नहीं आएगा ! अत: वर्त्तमान को सभालो !
पूज्य sudhaanshu ji mahaaraaj
Saturday, July 5, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] विचार
एक नकारात्मक विचार स्वास्थ ख़राब कर सकता है तो यह भी ध्यान रखो कि सकारात्मक विचार स्वास्थ बना भी सकता है !
मान अपमान में सदा एक जैसा रहना ,चंचलता को छोड़ना ,स्थिरता को अपनाना ,सदैव खुश रहने की आदत डालना !इन सब कार्यों से आत्मा बलवान होती है !जाप और सेवा से आपकी आत्मा बलवान होगी ! सेवा कार्य कोई हाथ में आए उसे बड़ी श्रृधा से करो ! कई लोग सेवा करते हुए भला-बुरा कह देते हैं उनको आप हंसते हुए सुन लें !
पूज्यश्री सुधान्शुजी महाराज
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] मन
मन बुरा नहीं है इसे सुंदर भावनाओं से तरंगित कीजिए !यही मन सुंदर विचारों से ऊँचाइयों को छू लेगा ,और बुरे विचारों से नीचे गिर जाता है ! इसलिए मन के अन्दर उठती तरंगों को पवित्र बनाए रखेँ !
पूज्य सुधांशु जी महाराज
Friday, July 4, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] शान्ती केसे पाएं
तृष्णा से बढ़कर कोई व्याधी नहीं है !
दया के समान कोई धर्म नही है !
सत्य जीवन है और असत्य म्रत्यु !
घ्रणा करनी हो तो अपने दोषों से करो !
लोभ करना हो तो प्रभू के स्मरण का करो !
बैर करना हो तो अपने दुराचारों से करो !
दूर रहना हो तो बुरे संग से रहो !
मोह करना हो तो परमात्मा से करो !
संतोष से बढ़कर कोई सुख नहीं है !
!! ॐ शांती !!
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] शान्ती केसे पाएं
Thursday, July 3, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] प्रकाश फैलाओ
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जाग्रत दीप बनकर प्रकाश फेलाओ
दीया कभी भी जलता है तो पूरी दुनिया की जिम्मेदारी नहीं लेता की में सारी दुनिया को रोशनी दूँगा ! लेकिन जहाँ है वहाँ हिम्मत नहीं की अँधेरा उसके पास आ सके बस इतनी सी बात याद रखो ! जहाँ हो वहीं उजाला फैलाओ !
Wednesday, July 2, 2014
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] तुम प्रकाश हो
तुम प्रकाश हो ! तुम्हारी शक्ती अप्रतिम है !लकिन तुम अपनी शक्ती को भूल गये हो ! पिता परमात्मा ने तुम्हें ज्योतिरूप में इस जगत में भेजा है !तुम्हें अपने हिस्से का प्रकाश फैलाना है ! जहाँ भी रहो उस स्थान को प्रकाशित करते रहो !
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] स्मरणीय
*तीसरी आँख प्रज्ञा की है ! जिसकी अन्दर की आँख खुली है वह कहीं ठोकर नहीं खा सकता !
*जब चिन्तन समाप्त हो जाता है तब व्यक्ती पशुलोक के धरातल पर जीता है !
*अगर स्वयं को कोसने ,प्रताडित करने और दबाने में लगे रहोगे तो कभी आगे न बढ़ सकोगे !
*जीवन में किसी को आगे बढ़ता देख कर ईर्षा का जागना स्वाभाविक है लेकिन अगर ईर्षा को प्रतिस्पर्धा में बदल सको तब तुम सहज ही आगे बढ़ जाओगे !
Fwd: [Suvichar - Good Thoughts by Param Pujya Sudhanshuji Maharaj] सदगुरू के सूत्र
उचित योजना -कार्य में सफलता
समय प्रबंधन -उन्नति का पथ
शांत मस्तिष्क -क्ष्रेष्ठ चिंतन
ध्यान की निरन्तरता - प्रभु की निकटता
धनार्जन से पहले-श्रद्धा
सृजन से पहले -सुयोजना
कथन से पहले -विचार
जिस दिन आप यह अपनायेगे उसी क्षण आप आनंद की ओर बढ़ चलेंगे
पूज्य सुधांशु जी महाराज
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- अपने आप को संभालना (1)
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- अमृत वाणी (1)
- अमृतवाणी (1)
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- आज का काम भलीभान्ति पूरा (2)
- आज का गुरु संदेश 1-7-13-किसी ने सच कहा है (1)
- आज का गुरु संदेश 10-7-13-बड़े से बड़े संकट मैं (1)
- आज का गुरु संदेश 26-6-2013---आपका वास्तविक रूप (1)
- आज का गुरु संदेश 27-6-2013-जो दिन बीत (1)
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- आशंकायें तरह (1)
- आस्तिक इंसान वो है जो (1)
- इस धरती को अगर रहने के काबिल बनाना चाहते हो (1)
- इस धरती को अगर रहने के काबिल बनाना चाहते होन (1)
- इंसान की व्यवस्थायें बहुत अच्छी हो सकती हैं (1)
- इंसान पदार्थो का बहुत महत्व मानने लग जाता है (1)
- उपयोगी बातें (1)
- उपासना (1)
- उलझन (1)
- उलझाना (1)
- कई कार्य एक साथ (1)
- कड़वाहट (1)
- कभी अपने आपसे भी मिलो बड़ा (1)
- कभी कम होने मत देना (1)
- कमी निकालना (1)
- कर्ण कौन सा श्रेष्ट है ? (1)
- कर्म (1)
- कर्म और भाग्य दोनो (1)
- कर्म और भाग्य दोनो अलग अलग हें (1)
- कानून (1)
- कार्य (1)
- काल (समय) जब अपने (1)
- किसी महान पुरुष के वचन (1)
- कुछ उदबोधन और जागृति के अक्षर (1)
- कौन हे ? (1)
- कौन है ? (1)
- क्रोध (2)
- क्रोधी व्यक्ति अपने (1)
- क्षमा (1)
- खुश रहना (1)
- खुश रहो (1)
- खुशबू (1)
- खुशियों हमेशा बूँदों की तरह बरसती हैं (1)
- खुशी (1)
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- गलती (1)
- गीता (1)
- गुरु (1)
- गुरु का पत्र अपने प्यारों के नाम (1)
- गुरु के प्यारों के आनन्द का पर्व ----"-उल्लास पर्व " समारोह २०११ (1)
- गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी (1)
- गुरु को संभाल लो तो गोविन्दअमृतवाणी (1)
- गुरु जी बाग़ से बैठे हुए (1)
- गुरु ज्ञान की गंगा (1)
- गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प (1)
- गुरु ज्ञान-वाटिका के सुन्दर सुमन (1)
- गुरु मंत्र (1)
- गुरु वाणी (1)
- गुरु सन्देश उठो (1)
- गुरु सुख का बहता (1)
- गुरुजनों का सदैव सम्मान करें (1)
- गुरुदेव -गुरुमां के ग्रहस्थ प्रवेश (1)
- गुरुदेव जीवन में सात्विक भाव जगाने के लिए क्या क... (1)
- गुरुदेव धर्म के पथ पर चलने का सदेश सभी देते हें (1)
- गुरुपूर्णिमा महोत्सव के देशव्यापी कार्यकर्म (1)
- गुरुवाणी (1)
- गुरुवाणी २७-४-२०१२ (1)
- गृहस्थ आश्रम के ३१ वर्ष सम्पन्न होने पर बधाई (1)
- घर पर आये अतिथि का स्वागत करना (1)
- घृणा को प्रेम से और (1)
- चकोर को चैन मिलता है (1)
- चार चीज याद रखो (1)
- चिंतन (1)
- चिंता (1)
- चिंता को चबा लेना नहीं तो (1)
- चिंता से चिंतन की (1)
- चिंता से चिंतन की और (1)
- चित्त एक सरोवर (1)
- जग (1)
- जन्म देने वाले मालिक (1)
- जब आपके पास सही विचार हैं (1)
- जब कभी संकट की बेला (1)
- जब जीवन मैं (1)
- जब तक आदर्श विचारों में (1)
- जब भी बोलो यह सोच के बोलो (1)
- जब मन में सन्तुष्टी हो (1)
- जब संसार की वासनाओं का (1)
- जब हम कर्म के फल की कामना (1)
- जहां भी त्याग की भावना (1)
- जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी (1)
- जागो (1)
- जिज्ञासा प्रारंभ में परमात्मा ने हमको दी णी (1)
- जिज्ञासु :-गुरुदेव जब भी भक्ति मैं बैठता हूँ तो मन. (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : अगर भाग्य के (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : साधारण जीवन में परमात्म (1)
- जिंदगी (1)
- जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली (1)
- जिंदगी को (1)
- ज़िन्दगी के पन्ने पर कुछ ऐसा लिख जा (1)
- जिन्दगी के प्रत्येक कर्म (1)
- जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ (1)
- जिन्दगी वक्त के रूप (1)
- जिस समय तुम संसार में उलझ (1)
- जिसके पास धैर्य है (1)
- जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है (1)
- जीना मरना (1)
- जीने की समझ (1)
- जीभ (1)
- जीवन (1)
- जीवन की दिशा बदल (1)
- जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं (1)
- जीवन की वाटिका (1)
- जीवन की सम्पूर्णता है आनन्द (1)
- जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं (1)
- जीवन जीने की अनुपम विधा है (1)
- जीवन में जरुरी (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध को (1)
- जीवन में श्रेष्ठ को जान (1)
- जीवन में सब तरह के रंग (1)
- जीवन रुपी रस्सी को नाव से खोलोगे (1)
- जीवन संगीत (1)
- जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता (1)
- जुआ (1)
- जुआ सुख (1)
- जैसे आँखों में मोतियाबिंद (1)
- जैसे दिन को सजाता है (1)
- जैसे भेड़ों का झुंड चलता है (1)
- जैसे सोना अग्नि में पड़कर (1)
- जो आज वर्तमान है (2)
- जो तुम्हारे पास नहीं (1)
- जो परम तत्त्व हमारे अंतर में बसा हुआ है (2)
- जो बीत गया सो बीत गया (1)
- जो भी रोजी रोटी कमाने का रास्ता (1)
- ज्ञानोदय (1)
- झूंट (1)
- तप से (1)
- तीर्थ आपके अदंर हें (1)
- तू-तू (1)
- त्याग कारो तृष्णा का (1)
- दया धर्म का मूल हे (1)
- दिया (1)
- दिया जला नहीं सकते (1)
- दिया जला नहीं सकते तो (1)
- दुःख -सुख (1)
- दुःख की लकीरे मन को दबाने लगे तो (1)
- दुनिया की आँखों में धूल (1)
- दुनिया की पुरानी रीत (1)
- दुनिया में जहाँ विनम्रता से कार्य (1)
- दुनिया में भगवान को चाहने वाले कम हे... (1)
- दुर्भाग्य (1)
- दूर की दर्ष्टि रखना जीवन एक महान गुण हे (1)
- दूसरों के दोष ढूंढने में अपनी शक्ति (1)
- दूसरों को चोट पहुँचाने (1)
- दोष (1)
- द्रढ निश्चय (1)
- द्वंद (1)
- धन (1)
- धन -ज्ञान (1)
- धन मिल भी जाए तो (1)
- धन साधन हें साध्य नहीं (1)
- धन्यवाद (1)
- धर्म (3)
- धर्म की कसौटी (1)
- धेर्य बहुत बड़ा गुण हे (1)
- न अत्याचार करो न (1)
- न तो संसार मैं (1)
- नया आ रहा है (1)
- नववर्ष के स्वागतार्थ सदगुरु की सदप्रेरणा (1)
- निचे न गिरें (1)
- निराश (1)
- पंछी कभी संग्रह नहीं करते (1)
- परम उद्देश्य (1)
- परमात्मा (1)
- परमात्मा की कृपा सहज ही कैसे होती हैं (1)
- परमात्मा के निमित आप कोई भी कार्य करे (1)
- परिवरतन (1)
- परिस्थितियाँ (1)
- पानी (1)
- पाया है तो (1)
- पारस मणी (1)
- पुण्यरूपी हाथ कौन सा हे ? (1)
- पुरान (1)
- पूज्य महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम (अप्रैल २००९ में ) (1)
- पूज्य श्री के मई ०९ के कार्यक्रम (1)
- पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज का विनम्र निवेदन (1)
- पूज्यश्री के आगामी कार्यक्रम (1)
- पैसा (1)
- पैसे से आप (1)
- प्रकृति का नियम है कि (1)
- प्रत्येक इन्द्रिय का अपना धर्म है (1)
- प्रथ्वी (1)
- प्रभु की भक्ति (1)
- प्रसन्न रहने का स्वभाव बनाओ (1)
- प्रसन्न रहने के (1)
- प्रार्थना (1)
- प्रार्थना का मतलब हें धन्यवाद करना (1)
- प्रार्थना का मतलब हें धन्यवाद करना और (1)
- प्रेम (1)
- बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो (1)
- बहादुर (1)
- बहार की रौशनी के भ्रम में अन्दर के उजाले को मत भूलो (1)
- बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है (1)
- बाल्यकाल (1)
- बुद्धि और मन (1)
- बुरा (1)
- बृद्धों को चाहिए कि ज्यादा बोलने से बचें (1)
- बोध कथाएँ (1)
- बोलना (1)
- भक्ति (1)
- भक्ति करने के लिये कहां से प्रारम्भ करें (1)
- भगवन (1)
- भगवान का निय (1)
- भगवान की पूजा-प्रार्थना इस (1)
- भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रयोग किये गए शब्द प्रार्थना हे (1)
- भगवान के सामने जब बेठो तो हाथ जोड़कर विनम्रता (1)
- भगवान गीता में कहते हें (1)
- भगवान ने आपको दुनियाँ के लाखों (1)
- भगवान वही देता है जो उचित (1)
- भगवान् की भक्ति (2)
- भय (1)
- भविष्य जानने की कोशिश मत करो (1)
- भविष्य परमात्मा के हाथ में है (1)
- भाग्य आपको परिस्थितियॉ देता (1)
- भाग्य क्या है ? (1)
- भावनायें (1)
- भूल होना (1)
- भोगना (1)
- मगर जिसे मिलता है गुरु का प्यार (1)
- मन (1)
- मन की शान्ति (भाग -३ ) (1)
- मन की शान्ति के लिए (भाग -१ ) (1)
- मन की शान्ति के लिए (भाग -२) (1)
- मन के कोरे (1)
- मन प्रभु (1)
- मननहीं बदला जाए (1)
- मनुष्य की प्रत्येक इन्द्रिय का अपना धर्म है (1)
- मनुष्य के जीवन में सबसे पहले यह (1)
- मनुष्य विचारों से ही (1)
- मन्त्र (1)
- महानता (1)
- महाराजश्री के (1)
- महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम (1)
- महिमा (1)
- महीने में कम से कम एक दिन (1)
- माथे पर बरफ (1)
- माया (1)
- माहारज श्री के अहमदाबद् के प्रवचन का सीधा प्रसारण (1)
- मित्रता (1)
- मुर्ख (1)
- मुशकिल (1)
- मुस्कराने से खुशियां आपके आस पास (1)
- मूँगफली दी खुशबु ते गुड़ दी मिठास (1)
- मूर्खता चोट (1)
- में-में की लड़ाई से कैसे बचें (1)
- यदि किसी को कुछ दे दिया (1)
- यह जीवन छुरे (1)
- याद रखिए अगर भय है (1)
- रक्षा करो प्रेम (1)
- रहने का तरीका (1)
- राख को तो चीं (1)
- रोज यह सोचो की (1)
- लक्ष्य (1)
- लड़ाई (1)
- लापरवाही (1)
- लालच (1)
- वह इंसान महान है जो अपने नियम और मर्यादा (1)
- वहा ये बात प्रमुख हे कि.... (1)
- वाणी मैं अनर्थ (1)
- विद्यार्थियों के लिए धर्म का सूत्र (1)
- विद्यार्थियों के लिए धर्म के सूत्र (1)
- विपरीत समय में दुनिया (1)
- विराट सत्संग उल्ल्हासनगर (1)
- विराट भक्ति सत्संग (1)
- विराट भक्ति सत्संग् (1)
- विराटता (1)
- विश्वास (1)
- वे माता पिता अपनी (1)
- वेद (1)
- शांत मस्तिष्क ही सही (1)
- शान्ति (1)
- शान्ति एव सौहार्द की प्रतिमूर्ति हैं सदगुरु (1)
- शिव जी की प्रार्थना (1)
- शिवजी के १०८ नाम (1)
- शुभ कर्म (1)
- शुभ का स्वागत करो (1)
- श्री गणपति भगवान (1)
- सज्जनता (1)
- सत्कर्म (1)
- सत्संग और स्वाध्याय (1)
- सदगुरु की अमृत वाणी (1)
- सदगुरु के अनमोल बोल (1)
- सदगुरु चालीसा (1)
- सन्तान कौन सी अच्छी है (1)
- सफ़र (1)
- सफ़लता के मार्ग पर (1)
- सफलता यात्रा हे लक्ष्य (1)
- सब कुछ खो जाए (2)
- सबसे उपयुक्त समय ----- (1)
- सबसे बड़ा प्रेरक मनु (1)
- सभ्यता (1)
- समस्या को पहले समझो (1)
- समस्या से उपर उठो (1)
- सम्पति और समय (1)
- संसार (1)
- संसार में समय को बहुमूल्य संपदा माना गया हैन (1)
- सही raah (1)
- सात क़ा रहस्य (1)
- साधना शिविर मनाली (1)
- सीखिए (1)
- सीखिए: (1)
- सुख अच्छा लगता है (1)
- सुख और दुःख (1)
- सूचना (1)
- सेवा (1)
- सोते समय मन को (1)
- स्वर्ग नरक (1)
- स्वर्ग नरक भगवान् ने नहीं बनाए (1)
- हम जो संक्षिप्त मार्ग ढ़ूढ़ रहे (1)
- हमारी रचनात्मक (1)
- हमारे कर्म हे उलझन हें (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है (1)
- हमें अश्रद्धा (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता है (1)
- हर भक्त की पुकार अपने सद्गुरुजी (1)
- हर शुभ कार्य प्रारभ करने से पूर्व कठिन प्रतीत होता हे (1)
- हंसी दुखों को दूर (1)
- हाथों से कर्म करने की (1)