- अपनी इच्छायों को नियनत्रण में रखो !
- क्रोध मत करो ,क्रोध आया भी हे तो बढ़ने मत दो ,पानी पी लो ,वह जगह छोड़ दो ,लंबे लंबे साँस लो !
- हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करो !
- भगवान ने जो दिया हे उसी में खुश रहो ,जो नहीं दिया उसके बारे में सोच कर दुःखी मत हो !
- किसी की तरक्की देख कर दुःखी मत हो -जलो मत ,उस की तरह बनने की कोशिश करो !
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About Me
Monday, August 31, 2009
मन की शान्ति के लिए (भाग -२)
आदमी क्या हे
आदमी क्या हे
- "आदमी का जिस्म है क्या, जिस पर शैदा है जहाँ ,
एक मिट्टी की इमारत , एक मिट्टी का मकां,
खून का गारा बना ,ईंट जिसमें हड्डियाँ ,
चंद शवासों पर खडा हे यह खयाले आशियां ,
मौत की पुर जोर आँधी जब इससे टकरायगी ,
देख लेना यह इमारत खाक में मिल जायेगी " - संग्रह करता राज गर्ग
Saturday, August 29, 2009
मन की शान्ति के लिए (भाग -१ )
- भूत को याद करके दुःखी मत होओं !
- भविष्य की चिंता मत करो !
- वर्त्तमान में जीओ !
- किसी से कोई अपेक्षा मत रखो !
- अपने कर्म बिना फल की इच्छा के करते जाओ !
Thursday, August 27, 2009
निराश
- किसि की बात सुन कर निराश मत हो बढते चले जाओ !
अराम इस पथ की राह नहीं है ,
जिस से आगे राह नहीं है ,
जीवन क्या है निरजन पथ है
चल रहा दोनो किनारो पर
मस्ती ही इसका पानी है !
कमी निकालना
- कमी निकालने के लिए समय होता है ,निर्माण करने के लिए समय नहीं होता -कमी तो वह निकालता है जिन को अहंकार रहता है कि मुझ से अच्छा कोई नहीं है !
कार्य
- यह सोचो कि जो कार्य कर रहे हो भगवान के लिये कर रहा हूं और भगवान का नाम ले कर काम शुरु करो ! जो कार्य हाथ में लो पूरा करने पर ही छोडो ! लगन लगा कर कार्य करो और फिर आनन्द लो नहीं तो मन दूसरी यरफ चला जाएगा !
कर्म
- विश्राम के समय विश्राम करो जब कर्म करो तो कर्मठ बन जाओ ! प्लानिग कर के कार्य करो ! मस्तिष्क खाली रखो !
Wednesday, August 26, 2009
अनुशासन
Tuesday, August 25, 2009
जीने की समझ
- जिस को जीने की समझ है वह सब कुछ कर सकता है !
- फूंक फूंक कर कदम रखने वाले चार कदम भी नहीं चल सकते !
Sunday, August 23, 2009
सदगुरु की अमृत वाणी
सदगुरु की अमृत वाणी
"यदि हम आध्यात्मिक नगरी में प्रवेश करना चाहते है तो सबसे पहले वैर को
छोड़ना सीखें । अभी से नियम बनाइये कि मुझे किसी से वैर नहीं रखना। वैर नहीं
तो प्रतिशोध नहीं , बदला भी नहीं । अपने को बदलने में विश्वास रखिये, दूसरों से बदला
लेने की इच्छा नहीं करें ।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
"If we want to enter the Spiritual World, the very first thing we need to learn is, quit being hostile.
From now onwards, the rule should be not to have animosity towards anyone. No hostility, no revenge
and no settling the scores. Have faith in changing your own self, desire for retaliation shouldn't be there."
His Holiness Sudhanshuji Maharaj
Humble Devotee
Praveen Verma
माया
- माया तेरे तीन नाम
- परसा , परसी , परसराम !
- लुच्चा , गुनडा , बेईमान !
- अपनी हर मरजी भगवान से जोड़ दो !
- भक्ति जब जागती हे तो इनसान थोड़े में भी खुश हो जाता है !
- ऐसे मत चलो की देर हो जाए !
- हमेशा सोते मत रहो की अवसर निकल जाए !
- अच्छा काम फोरन करो बुरे काम के लिए देर कर दो !
- गुरूजी के ६ -१-०५ के टी वी प्रवचन से
Thursday, August 20, 2009
पाया है तो
अमृत वाणी
- पाया है तो - छोडना है ,
- पैदा हुआ है तो - मरना है ,
- संयोग है तो -वियोग है ,
- पुरानी चीज़ छोड़नी पड़ती हैं ,नया मिल कर खुशी होती है !
- मैला वस्त्र धोते हो -मेला मन भी साफ करो !
- बदलाव जरुरी है !
- दुनिया तुम को छोडे उससे पहले तुम दुनिया को छोड़ दो और भगवान के नजदीक जाओ १
- परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
- ८-६-०१ के टी वी प्रवचन से
Wednesday, August 19, 2009
सभ्यता
- सभ्यता
- "अगर थोड़ा-सा भी कोई आपका भला करे तो आप कितना कितना धन्यवाद करते हें ।
- लेकिन वह जो रात-दिन आपका भला कर रहा है, आप पर कृपा कर रहा है, क्या हम
- इतना-सा भी नहीं कर सकते कि सुबह शाम बैठकर हाथ जोड़कर उस दाता से कहें कि
- प्रभु तेरा लाख-लाख शुक्र हें । तूने हम पर बड़ी कृपा की । इतनी सभ्यता का परिचय
- तो कम-से-कम हमें देना चाहिए ।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज- "If someone does even a small favor to us, we thank that person over and over.
- But one who constantly does favors and bestows HIS grace and kindness day and night,
- we should THANK that allmighty million times with folded hands and be grateful towards him.
- This much courtesy and decency we all should have."
His Holiness Acharya Sudhanshuji Maharaj
Humble Devotee
Praveen Verma- प्रवीण वर्मा
Sunday, August 16, 2009
गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प
गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प
"जीवन की सम्पूर्णता है आनन्द और आनन्द परमात्मा का ही एक रूप या एक नाम
है, जिसे सच्चिदानन्द कहा जाता है। हमारा जन्म परमात्मा से मिलने के लिए ही
हुआ है और इसी उद्देश्य को लेकर हम दुनिया में आए है। वस्तुतः जीवन एक
अवसर है परमात्मा से मिलने के लिए।"
परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज
Bliss is the perfection of life and also a form or a name of God which is called "Existence-Consciousness-Bliss."
Our object and purpose of taking this human birth is to unite with the Almighty. In fact life is an opportunity
to come together and unite with the Supreme, the lord who is Omnipresent and all-pervading.
His Holiness Sudhanshuji Maharaj
Humble Devotee
Praveen VErma
Saturday, August 15, 2009
Param Pujya Gurudev Shri Sudhanshuji Mahar...
Param Pujya Gurudev Shri Sudhanshuji Mahar...
Hari Om !
Vishwa Jagriti Mission (Singapore) is pleased to inform that by the Grace of God and Blessings from our Param Pujya Gurudev Shri Sudhanshuji Maharaj, the Singapore Satsang is confirmed from Sept 10(Thu) to 13(Sun).
Without your kind attendance & consistent support, Gyan Yagya like these cannot be made possible.
Please accept our attached Invitation & Kindly forward the same to all your family members and friends.
Let's all come together to again make one more Gyaan Yagya a huge success.
Please visit our website www.vjms.net for further details and VJM activities.
Hari Om & God Bless
for & on behalf of
Vishwa Jagriti Mission (Singapore)
--
Hari Om !
Vishwa Jagriti Mission (Singapore) is pleased to inform that by the Grace of God and Blessings from our Param Pujya Gurudev Shri Sudhanshuji Maharaj, the Singapore Satsang is confirmed from Sept 10(Thu) to 13(Sun).
Without your kind attendance & consistent support, Gyan Yagya like these cannot be made possible.
Please accept our attached Invitation & Kindly forward the same to all your family members and friends.
Let's all come together to again make one more Gyaan Yagya a huge success.
Please visit our website www.vjms.net for further details and VJM activities.
Hari Om & God Bless
for & on behalf of
Vishwa Jagriti Mission (Singapore)
--
Tuesday, August 11, 2009
Fw: [ANANDDHAM.ORG] महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम
----- Original Message -----
Sent: Tuesday, August 11, 2009 2:32 PM
Subject: [ANANDDHAM.ORG] महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम
From: Madan Gopal Garga
To: mggarga@gmail.comSent: Tuesday, August 11, 2009 2:32 PM
Subject: [ANANDDHAM.ORG] महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम
- १५ अगस्त ,२००९ स्वतंत्रता दिवस (आनन्दधाम आश्रम ,दिल्ली )
- २ अक्तूबर , २००९ श्रधापर्व (आनंदधाम आश्रम दिल्ली )
- ८ से ११ अक्तूबर ,२००९ श्री गणेश लक्ष्मी महायग (आनंदधाम आश्रम ,दिल्ली )
- जीवन संचेतना अगस्त २००९
--
Posted By Madan Gopal Garga to ANANDDHAM.ORG at 8/11/2009 02:18:00 PM
Monday, August 10, 2009
अमृतवानी
- जिसके मिलने से खुशियाँ मिलें ,
- जो अपनी खुशबू से सब को महका देता हो ,
- जिसका ह्रदय सज्जनता से भरा हो ,
- शिव से जुडा रहता हो ,
- उसके जीवन में श्री रहती है !
- परम पूज्य सुधांशुजी महाराज
- संग्रह करता राज गर्ग
Wednesday, August 5, 2009
जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं
जीवन में जरुरी
Sunday, August 2, 2009
धन
- जिस ने खा लिया उस ने खो दिया ,
- जिस ने देदिया वो अपने साथ ले गया ,
- जिस ने जमीन में गाढ़ दिया उसने नष्ट कर दिया ,
- जिस ने छोड़ दिया उस ने सर फोड़ दिया !
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- आज की गुरुवाणी 4-5-2012 (1)
- आज जो अवसर (1)
- आज से जिन्दगी को (1)
- आत्मा (1)
- आदमी का अन्तःकरण स्वच्छ होना चाहिए (1)
- आदमी क्या हे (1)
- आनंद (1)
- आनंद धाम (1)
- आपका धन कम (1)
- आपका वास्तविक रूप है (1)
- आपके द्वारा जितने लोग दुनिया में अच्छाई पर चलते जायेंगे (1)
- आशंकायें तरह (1)
- आस्तिक इंसान वो है जो (1)
- इस धरती को अगर रहने के काबिल बनाना चाहते हो (1)
- इस धरती को अगर रहने के काबिल बनाना चाहते होन (1)
- इंसान की व्यवस्थायें बहुत अच्छी हो सकती हैं (1)
- इंसान पदार्थो का बहुत महत्व मानने लग जाता है (1)
- उपयोगी बातें (1)
- उपासना (1)
- उलझन (1)
- उलझाना (1)
- कई कार्य एक साथ (1)
- कड़वाहट (1)
- कभी अपने आपसे भी मिलो बड़ा (1)
- कभी कम होने मत देना (1)
- कमी निकालना (1)
- कर्ण कौन सा श्रेष्ट है ? (1)
- कर्म (1)
- कर्म और भाग्य दोनो (1)
- कर्म और भाग्य दोनो अलग अलग हें (1)
- कानून (1)
- कार्य (1)
- काल (समय) जब अपने (1)
- किसी महान पुरुष के वचन (1)
- कुछ उदबोधन और जागृति के अक्षर (1)
- कौन हे ? (1)
- कौन है ? (1)
- क्रोध (2)
- क्रोधी व्यक्ति अपने (1)
- क्षमा (1)
- खुश रहना (1)
- खुश रहो (1)
- खुशबू (1)
- खुशियों हमेशा बूँदों की तरह बरसती हैं (1)
- खुशी (1)
- खुशी और कमाई एक दुसरे से जुड़े (1)
- गणेश महालक्ष्मी महायागा 2008 (1)
- गलती (1)
- गीता (1)
- गुरु (1)
- गुरु का पत्र अपने प्यारों के नाम (1)
- गुरु के प्यारों के आनन्द का पर्व ----"-उल्लास पर्व " समारोह २०११ (1)
- गुरु को संभाल लो तो गोविन्द भी (1)
- गुरु को संभाल लो तो गोविन्दअमृतवाणी (1)
- गुरु जी बाग़ से बैठे हुए (1)
- गुरु ज्ञान की गंगा (1)
- गुरु ज्ञान वाटिका के पुष्प (1)
- गुरु ज्ञान-वाटिका के सुन्दर सुमन (1)
- गुरु मंत्र (1)
- गुरु वाणी (1)
- गुरु सन्देश उठो (1)
- गुरु सुख का बहता (1)
- गुरुजनों का सदैव सम्मान करें (1)
- गुरुदेव -गुरुमां के ग्रहस्थ प्रवेश (1)
- गुरुदेव जीवन में सात्विक भाव जगाने के लिए क्या क... (1)
- गुरुदेव धर्म के पथ पर चलने का सदेश सभी देते हें (1)
- गुरुपूर्णिमा महोत्सव के देशव्यापी कार्यकर्म (1)
- गुरुवाणी (1)
- गुरुवाणी २७-४-२०१२ (1)
- गृहस्थ आश्रम के ३१ वर्ष सम्पन्न होने पर बधाई (1)
- घर पर आये अतिथि का स्वागत करना (1)
- घृणा को प्रेम से और (1)
- चकोर को चैन मिलता है (1)
- चार चीज याद रखो (1)
- चिंतन (1)
- चिंता (1)
- चिंता को चबा लेना नहीं तो (1)
- चिंता से चिंतन की (1)
- चिंता से चिंतन की और (1)
- चित्त एक सरोवर (1)
- जग (1)
- जन्म देने वाले मालिक (1)
- जब आपके पास सही विचार हैं (1)
- जब कभी संकट की बेला (1)
- जब जीवन मैं (1)
- जब तक आदर्श विचारों में (1)
- जब भी बोलो यह सोच के बोलो (1)
- जब मन में सन्तुष्टी हो (1)
- जब संसार की वासनाओं का (1)
- जब हम कर्म के फल की कामना (1)
- जहां भी त्याग की भावना (1)
- जहाँ विराटता की थोड़ी-सी भी (1)
- जागो (1)
- जिज्ञासा प्रारंभ में परमात्मा ने हमको दी णी (1)
- जिज्ञासु :-गुरुदेव जब भी भक्ति मैं बैठता हूँ तो मन. (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : अगर भाग्य के (1)
- जिज्ञासु :-पूज्य गुरूदेव : साधारण जीवन में परमात्म (1)
- जिंदगी (1)
- जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली (1)
- जिंदगी को (1)
- ज़िन्दगी के पन्ने पर कुछ ऐसा लिख जा (1)
- जिन्दगी के प्रत्येक कर्म (1)
- जिन्दगी को ऐक खेल बनाओ (1)
- जिन्दगी वक्त के रूप (1)
- जिस समय तुम संसार में उलझ (1)
- जिसके पास धैर्य है (1)
- जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है (1)
- जीना मरना (1)
- जीने की समझ (1)
- जीभ (1)
- जीवन (1)
- जीवन की दिशा बदल (1)
- जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं (1)
- जीवन की वाटिका (1)
- जीवन की सम्पूर्णता है आनन्द (1)
- जीवन के लिए तीन चीजें जरुरी हैं (1)
- जीवन जीने की अनुपम विधा है (1)
- जीवन में जरुरी (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध (1)
- जीवन में पुरुषार्थ को महत्व दें या प्रारब्ध को (1)
- जीवन में श्रेष्ठ को जान (1)
- जीवन में सब तरह के रंग (1)
- जीवन रुपी रस्सी को नाव से खोलोगे (1)
- जीवन संगीत (1)
- जीवन स्वर्ण से नहीं खरीदा जा सकता (1)
- जुआ (1)
- जुआ सुख (1)
- जैसे आँखों में मोतियाबिंद (1)
- जैसे दिन को सजाता है (1)
- जैसे भेड़ों का झुंड चलता है (1)
- जैसे सोना अग्नि में पड़कर (1)
- जो आज वर्तमान है (2)
- जो तुम्हारे पास नहीं (1)
- जो परम तत्त्व हमारे अंतर में बसा हुआ है (2)
- जो बीत गया सो बीत गया (1)
- जो भी रोजी रोटी कमाने का रास्ता (1)
- ज्ञानोदय (1)
- झूंट (1)
- तप से (1)
- तीर्थ आपके अदंर हें (1)
- तू-तू (1)
- त्याग कारो तृष्णा का (1)
- दया धर्म का मूल हे (1)
- दिया (1)
- दिया जला नहीं सकते (1)
- दिया जला नहीं सकते तो (1)
- दुःख -सुख (1)
- दुःख की लकीरे मन को दबाने लगे तो (1)
- दुनिया की आँखों में धूल (1)
- दुनिया की पुरानी रीत (1)
- दुनिया में जहाँ विनम्रता से कार्य (1)
- दुनिया में भगवान को चाहने वाले कम हे... (1)
- दुर्भाग्य (1)
- दूर की दर्ष्टि रखना जीवन एक महान गुण हे (1)
- दूसरों के दोष ढूंढने में अपनी शक्ति (1)
- दूसरों को चोट पहुँचाने (1)
- दोष (1)
- द्रढ निश्चय (1)
- द्वंद (1)
- धन (1)
- धन -ज्ञान (1)
- धन मिल भी जाए तो (1)
- धन साधन हें साध्य नहीं (1)
- धन्यवाद (1)
- धर्म (3)
- धर्म की कसौटी (1)
- धेर्य बहुत बड़ा गुण हे (1)
- न अत्याचार करो न (1)
- न तो संसार मैं (1)
- नया आ रहा है (1)
- नववर्ष के स्वागतार्थ सदगुरु की सदप्रेरणा (1)
- निचे न गिरें (1)
- निराश (1)
- पंछी कभी संग्रह नहीं करते (1)
- परम उद्देश्य (1)
- परमात्मा (1)
- परमात्मा की कृपा सहज ही कैसे होती हैं (1)
- परमात्मा के निमित आप कोई भी कार्य करे (1)
- परिवरतन (1)
- परिस्थितियाँ (1)
- पानी (1)
- पाया है तो (1)
- पारस मणी (1)
- पुण्यरूपी हाथ कौन सा हे ? (1)
- पुरान (1)
- पूज्य महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम (अप्रैल २००९ में ) (1)
- पूज्य श्री के मई ०९ के कार्यक्रम (1)
- पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज का विनम्र निवेदन (1)
- पूज्यश्री के आगामी कार्यक्रम (1)
- पैसा (1)
- पैसे से आप (1)
- प्रकृति का नियम है कि (1)
- प्रत्येक इन्द्रिय का अपना धर्म है (1)
- प्रथ्वी (1)
- प्रभु की भक्ति (1)
- प्रसन्न रहने का स्वभाव बनाओ (1)
- प्रसन्न रहने के (1)
- प्रार्थना (1)
- प्रार्थना का मतलब हें धन्यवाद करना (1)
- प्रार्थना का मतलब हें धन्यवाद करना और (1)
- प्रेम (1)
- बहस करते करते वहाँ मत पहुँचो (1)
- बहादुर (1)
- बहार की रौशनी के भ्रम में अन्दर के उजाले को मत भूलो (1)
- बहिर्मुख वृति आपकी बनी हुई है (1)
- बाल्यकाल (1)
- बुद्धि और मन (1)
- बुरा (1)
- बृद्धों को चाहिए कि ज्यादा बोलने से बचें (1)
- बोध कथाएँ (1)
- बोलना (1)
- भक्ति (1)
- भक्ति करने के लिये कहां से प्रारम्भ करें (1)
- भगवन (1)
- भगवान का निय (1)
- भगवान की पूजा-प्रार्थना इस (1)
- भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए प्रयोग किये गए शब्द प्रार्थना हे (1)
- भगवान के सामने जब बेठो तो हाथ जोड़कर विनम्रता (1)
- भगवान गीता में कहते हें (1)
- भगवान ने आपको दुनियाँ के लाखों (1)
- भगवान वही देता है जो उचित (1)
- भगवान् की भक्ति (2)
- भय (1)
- भविष्य जानने की कोशिश मत करो (1)
- भविष्य परमात्मा के हाथ में है (1)
- भाग्य आपको परिस्थितियॉ देता (1)
- भाग्य क्या है ? (1)
- भावनायें (1)
- भूल होना (1)
- भोगना (1)
- मगर जिसे मिलता है गुरु का प्यार (1)
- मन (1)
- मन की शान्ति (भाग -३ ) (1)
- मन की शान्ति के लिए (भाग -१ ) (1)
- मन की शान्ति के लिए (भाग -२) (1)
- मन के कोरे (1)
- मन प्रभु (1)
- मननहीं बदला जाए (1)
- मनुष्य की प्रत्येक इन्द्रिय का अपना धर्म है (1)
- मनुष्य के जीवन में सबसे पहले यह (1)
- मनुष्य विचारों से ही (1)
- मन्त्र (1)
- महानता (1)
- महाराजश्री के (1)
- महाराजश्री के आगामी कार्यक्रम (1)
- महिमा (1)
- महीने में कम से कम एक दिन (1)
- माथे पर बरफ (1)
- माया (1)
- माहारज श्री के अहमदाबद् के प्रवचन का सीधा प्रसारण (1)
- मित्रता (1)
- मुर्ख (1)
- मुशकिल (1)
- मुस्कराने से खुशियां आपके आस पास (1)
- मूँगफली दी खुशबु ते गुड़ दी मिठास (1)
- मूर्खता चोट (1)
- में-में की लड़ाई से कैसे बचें (1)
- यदि किसी को कुछ दे दिया (1)
- यह जीवन छुरे (1)
- याद रखिए अगर भय है (1)
- रक्षा करो प्रेम (1)
- रहने का तरीका (1)
- राख को तो चीं (1)
- रोज यह सोचो की (1)
- लक्ष्य (1)
- लड़ाई (1)
- लापरवाही (1)
- लालच (1)
- वह इंसान महान है जो अपने नियम और मर्यादा (1)
- वहा ये बात प्रमुख हे कि.... (1)
- वाणी मैं अनर्थ (1)
- विद्यार्थियों के लिए धर्म का सूत्र (1)
- विद्यार्थियों के लिए धर्म के सूत्र (1)
- विपरीत समय में दुनिया (1)
- विराट सत्संग उल्ल्हासनगर (1)
- विराट भक्ति सत्संग (1)
- विराट भक्ति सत्संग् (1)
- विराटता (1)
- विश्वास (1)
- वे माता पिता अपनी (1)
- वेद (1)
- शांत मस्तिष्क ही सही (1)
- शान्ति (1)
- शान्ति एव सौहार्द की प्रतिमूर्ति हैं सदगुरु (1)
- शिव जी की प्रार्थना (1)
- शिवजी के १०८ नाम (1)
- शुभ कर्म (1)
- शुभ का स्वागत करो (1)
- श्री गणपति भगवान (1)
- सज्जनता (1)
- सत्कर्म (1)
- सत्संग और स्वाध्याय (1)
- सदगुरु की अमृत वाणी (1)
- सदगुरु के अनमोल बोल (1)
- सदगुरु चालीसा (1)
- सन्तान कौन सी अच्छी है (1)
- सफ़र (1)
- सफ़लता के मार्ग पर (1)
- सफलता यात्रा हे लक्ष्य (1)
- सब कुछ खो जाए (2)
- सबसे उपयुक्त समय ----- (1)
- सबसे बड़ा प्रेरक मनु (1)
- सभ्यता (1)
- समस्या को पहले समझो (1)
- समस्या से उपर उठो (1)
- सम्पति और समय (1)
- संसार (1)
- संसार में समय को बहुमूल्य संपदा माना गया हैन (1)
- सही raah (1)
- सात क़ा रहस्य (1)
- साधना शिविर मनाली (1)
- सीखिए (1)
- सीखिए: (1)
- सुख अच्छा लगता है (1)
- सुख और दुःख (1)
- सूचना (1)
- सेवा (1)
- सोते समय मन को (1)
- स्वर्ग नरक (1)
- स्वर्ग नरक भगवान् ने नहीं बनाए (1)
- हम जो संक्षिप्त मार्ग ढ़ूढ़ रहे (1)
- हमारी रचनात्मक (1)
- हमारे कर्म हे उलझन हें (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति (1)
- हमारे जीवन में विचारों की शक्ति का बडा मूल्य है (1)
- हमें अश्रद्धा (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता (1)
- हर दिन नया उपहार लेकर आता है (1)
- हर भक्त की पुकार अपने सद्गुरुजी (1)
- हर शुभ कार्य प्रारभ करने से पूर्व कठिन प्रतीत होता हे (1)
- हंसी दुखों को दूर (1)
- हाथों से कर्म करने की (1)