द्वंद
- "पूरा संसार द्वन्द्वमय है। हार-जीत, मान-अपमान, सुख-दुख, गर्मी-सर्दी, उन्नति-अवन्न्ति, ये सब द्वंद है। इसी से ससार बना हुआ है। दोनो तरह के रूपों के बीच जीवन बहता
रहता है। इन दोनों के बीच जब सन्तुलन बनने लगता है तो अन्दर शांति आती है।" - गुरुवर सुधान्शुजी महाराज के प्रवचनांश
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