।।ॐ गुरवे नमः।।🙏🏻🌹🙏🏻
हरि ओम जी🙏🏻😊
आज के (15/10/22) दिशा सत्संग के अमृतबिंदू-
🌹 हमे एकाग्रता का अभ्यास करना चाहिए। *आप जो भी चीज करते हो, उसमें एकाग्र हो जाए। पूरा मन उसमें लगाए तो चमत्कार होगा।*
🌹 *भगवान कृष्ण कहते हैं -विभक्त सेवी बनो-एकांत का चयन करना सीखो।* एकांत में जब एकाग्र हो जाए, तो भगवान ने जो अंदर दिया है वह प्रकट होगा।
🌹 *अटैचमेंट और डिटैचमेंट का भी अभ्यास करें। मन को जोड़ना और ध्यान हटाना भी आ जाए।* इस अभ्यास की *शुरुआत स्वाद को जीतने से करें।* उपवास- व्रत स्वाद जीतने के लिए है। फिर *वाणी का संयम करें, मिताहारी बने।*
🌹 *तुलसी का पौधा बहुत अद्भुत काम करता है-हमारे पूर्वजों ने इसीलिए घर के बाहर यह पौधा लगाने का विधान दिया।* भगवान को भोग लगाते भी तुलसीदल ऊपर रखा जाता है।
🌹 *तुलसी के पत्ते खून पतला करते हैं। 5 तरह की तुलसी का अर्क पानी में ले तो ज्यादा लाभ मिलता है*। घी और तेल को भी पचाने के लिए भोजन के आधे घंटे बाद गर्म पानी का सेवन करें। *कार्डियो एक्सरसाइज, योग और प्राणायाम जरूर करें।*
🌹 *हम अपने कंफर्ट झोन से बाहर निकल ने के लिए हिम्मत करें। परिवर्तन के लिए, कष्ट सहने के लिए तैयार रहे तो आप दायरे से बाहर होंगे।*
कभी-कभी प्रकृति अपने आप परिवर्तन कराती है- पुरानी नौकरी छुट्ती है, परेशानी आती है। कुछ दिन बाद बड़ा काम मिलता है, पैसा, बड़ी खुशियां मिलती है -तो व्यक्ति शिकायत से बाहर निकलकर धन्यवाद करता है। तब एहसास होता है -पहलेवाली नौकरी छूटती नही तो जो अब मिला है वह नहीं मिलता। *हम परिवर्तन से डरते हैं।*
🌹 *हमें लेफ्ट और राइट ब्रेन में संतुलन साधना चाहिए।* ज्यादा इमोशनल बने तो धोखा खाएंगे और ज्यादा तार्किक बने तो रिश्तो को संभाल नहीं पाओगे। दोनों में संतुलन जरूरी है। साधना में यही सिखाया जाता है।
हरि ओम जी🙏🏻😊
आप का हर पल मंगलमय हो, सब सुखी निरोग रहे।
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