जो परम तत्त्व हमारे अंतर में बसा हुआ है वाही संसार के कण कण में बसा हुआ है। जिसके नियम सारे संसार में दिखाए पड़ते हैं, वाही सत्ता जो फलो में रस बनकर बैठी है , वहि सत्ता जो नदियों में जल बनकर बहती है, वहि थो हवाओ के द्वारा हमारे शारीर का स्पर्श करती है।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
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