महीने में कम से कम एक दिन ऐसा निकाल लीजिये जो आपके, परिवार और रिश्तेदारों के लिए नहीं भगवान् के लिए हो। किसी मंदिर में, किसी धर्म स्थान में जाकर सेवा करे दींन दुखी की सहायता करें । इससे बढ़कर पुण्य या भक्ति नहीं।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
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