जैसे सोना अग्नि में पड़कर भी काला नहीं होता, बल्कि और चमकने लगता है। इसी प्रकार संकट के क्षणों में धर्मात्मा धर्म से पीछे नहीं हटते वे और अधिक धर्मनिष्ठ होकर विपत्तियों की अग्नि में तपकर चमकने लगते हैं।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश
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