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parampujy Guruvar Sudhanshuji Maharaj ka Shishay

Sunday, May 30, 2010

जीवन जीने की अनुपम विधा है

जीवन जीने की अनुपम विधा है। जो व्यक्ति श्रद्धा और आस्था को अपने भीतर समेटकर समर्पण से कार्य करता है वहि सचे अर्थो में त्यागी है, तपस्वी है और प्रभु का प्यारा है। त्याग एक ऐसा पुष्प है जिसकी सुगंध कभी मलीन नहीं होती।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Wednesday, May 26, 2010

दुनिया में जहाँ विनम्रता से कार्य


दुनिया में जहाँ विनम्रता से कार्य बनता है वहां कभी उग्र नहीं होना चाहिए। लेकिन जब सारे रस्ते बंद हो जाये थो फिर डटकर मुकाबला भी करना ज़रूरी होता है। परन्तु भगवान् श्री राम की सेना की तरह संगठित होकर ही आप अन्याय, अत्याचार, पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Friday, May 21, 2010

जैसे सोना अग्नि में पड़कर


जैसे सोना अग्नि में पड़कर भी काला नहीं होता, बल्कि और चमकने लगता है। इसी प्रकार संकट के क्षणों में धर्मात्मा धर्म से पीछे नहीं हटते वे और अधिक धर्मनिष्ठ होकर विपत्तियों की अग्नि में तपकर चमकने लगते हैं।

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Thursday, May 20, 2010

त्याग कारो तृष्णा का

त्याग कारो तृष्णा का, बहुत मान की इच्छा का, अपनी लापरवाही का जिसे हम ध्यान नही देते, आलस्य का, मोह का, निंदा का, ईर्ष्या और आलोचना का।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Wednesday, May 19, 2010

अपनी अहंकारात्मक चेतना से ब्रह्म के


अपनी अहंकारात्मक चेतना से ब्रह्म के स्तर तक उठने का मार्ग यही है की हम अपनी बौधिक, मनोवेगान्त्मक और संकल्पात्मक शक्तियों को परमात्मा में केन्द्रित कर दें। यही उत्तम मार्ग है।

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Monday, May 17, 2010

महीने में कम से कम एक दिन


महीने में कम से कम एक दिन ऐसा निकाल लीजिये जो आपके, परिवार और रिश्तेदारों के लिए नहीं भगवान् के लिए हो। किसी मंदिर में, किसी धर्म स्थान में जाकर सेवा करे दींन दुखी की सहायता करें । इससे बढ़कर पुण्य या भक्ति नहीं।

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

इस धरती को अगर रहने के काबिल बनाना चाहते होFw: अमृत वचन


"इस धरती को अगर रहने के काबिल बनाना चाहते हो, स्वर्ग को धरती पर उतारना चाहते हो या विशेष सुखों को, आनन्द को भोगना चाहते हो तो मिलकर चलना सीखो, मतलब एक हो जाओ। कदम से कदम मिलाओ। एकता में बहुत बड़ी शक्ति होती है। अलग अलग बिखरे हुए तिनके खुद में कूड़ा-करकट के सिवाय कुछ नहीं होते। लेकिन उन्हीं तिनकों को इकठ्ठा करके बाँध लेने पर कूड़े-करकट को साफ़ करने का एक सफ़ल साधन तैयार हो जाता है।"

परम पूज्य सुधाँशुजी महाराज

If we want to make our life on earth worth living with bliss and happiness, then we should learn to walk together as one. There is great strength in unity. Scattered pieces of straw are nothing more than trash. However, when we gather all of those pieces of straw and tie them together, we successfully make a means to clean up the trash.


Translated by Humble Devotee
Praveen Verma








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Sunday, May 16, 2010

जो परम तत्त्व हमारे अंतर में बसा हुआ है


जो परम तत्त्व हमारे अंतर में बसा हुआ है वाही संसार के कण कण में बसा हुआ है। जिसके नियम सारे संसार में दिखाए पड़ते हैं, वाही सत्ता जो फलो में रस बनकर बैठी है , वहि सत्ता जो नदियों में जल बनकर बहती है, वहि थो हवाओ के द्वारा हमारे शारीर का स्पर्श करती है।

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Tuesday, May 11, 2010

जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है


जिसमें संतुलन है उसके अन्दर प्रसन्नता है। जो परमात्मा ने दिया उसे परमात्मा की कृपा का फल मानकर स्वीकार करो प्रसन्नता आयेगी। जीवन मैं सदा गुनगुनाते रहो, खिले रहो। उत्सव उल्लास ताप भी है और भक्ति भी है।

गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

tap

Jismen santulan hai uske andar prasannata hai. jo parmatma ne diya use parmatma ki kripa maankar sweekaar karo to prasannata aayegi. jeevan main sada gungunate raho, khile raho. prasannata, utsav, ullaas tap bhi hai aur bhakti bhi hai.
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Monday, May 10, 2010

जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं

जीवन की दौड़ मैं गिरना बुरी आदत नहीं, गिरे रहना असफलता की कहानी है ।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Sunday, May 9, 2010

सत्संग और स्वाध्याय

सत्संग और स्वाध्याय आचारवान बनाते हैं।
कुसंग और कुसाहित्य आचारहीन बनाते हैं।
गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

Saturday, May 8, 2010

विद्यार्थियों के लिए धर्म के सूत्र

विद्यार्थियों के लिए धर्म के सूत्र


धर्म है jan jiwan aadhar .


धर्म से चलता ये संसार॥


धर्म से चालित है ब्रहमाण्ड


धर्म से पालित है ब्रहमाण्ड॥


धर्म है जीवन पथ का लक्ष्य।


धर्म है सब सत्यों का सत्य॥




गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

विद्यार्थियों के लिए धर्म का सूत्र



विद्यार्थियों के लिए धर्म का सूत्र


धर्म है जन जीवन आधार।


धर्म से चलता यह संसार।


धर्म से चालित है ब्रह्माण्ड।


धर्म से पालित है ब्रहमाण्ड।


धर्म से जीवन पथ का लक्ष्य।


धर्म से सब सत्यों का सत्य ॥




गुरुवर सुधांशुजी महाराज के प्रवचनांश

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